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रेयान की घटना के बाद बच्चों की सुरक्षा को लेकर मशहूर कवि प्रसून जोशी ने लिखी यह कविता…

गुड़गांव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में आठ सितंबर को कक्षा दो के एक छात्र प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या कर दी गयी. इस घटना ने पूरे मानव समाज को झकझोर कर रख दिया है. क्या इंसान अब इस कदर हैवान हो गया है कि वह छोटे-छोटे बच्चों को अपना शिकार बना रहा है? यह सवाल समाज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2017 2:04 PM

गुड़गांव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में आठ सितंबर को कक्षा दो के एक छात्र प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या कर दी गयी. इस घटना ने पूरे मानव समाज को झकझोर कर रख दिया है. क्या इंसान अब इस कदर हैवान हो गया है कि वह छोटे-छोटे बच्चों को अपना शिकार बना रहा है? यह सवाल समाज के सामने है. किसी भी सभ्य समाज के माथे पर यह एक ऐसा कलंक है, जो मिटाये नहीं मिटेगा और जिसका प्रायश्चित बस इतना है कि भविष्य में ऐसी घटना दोबारा ना हो. इस घटना से आहत होकर भारतीय सिनेजगत के मशहूर गीतकार, पटकथा लेखक और मशहूर कवि प्रसून जोशी ने 12 सितंबर को एक कविता अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट की थी. इस कविता में उनकी पीड़ा फूट पड़ी है और उन्होंने समाज के सामने बच्चों की सुरक्षा से संबंधित कुछ सवाल खड़े किये हैं, तो पढ़िए उनकी यह हृदयस्पर्शी कविता-


जयंती पर पढ़ें राष्ट्रकवि दिनकर की कालजयी रचनाएं


जब बचपन तुम्हारी गोद में आने से कतराने लगे,
जब मां की कोख से झांकती जिंदगी,
बाहर आने से घबराने लगे,
समझो कुछ गलत है .
जब तलवारें फूलों पर जो आजमाने लगें,
जब मासूम आंखों में खौफ नजर आने लगे,
समझो कुछ गलत है
जब ओस की बूंदों को हथेलियों पे नहीं,
हथियारों की नोंक पर थमना हो,
जब नन्हें-नन्हें तलुवों को आग से गुज़रना हो,
समझो कुछ ग़लत है
जब किलकारियां सहम जायें
जब तोतली बोलियां ख़ामोश हो जायें
समझो कुछ गलत है
कुछ नहीं बहुत कुछ गलत है
क्योंकि जोर से बारिश होनी चाहिए थी
पूरी दुनिया में
हर जगह टपकने चाहिये थे आंसू
रोना चाहिए था ऊपरवाले को
आसमान से
फूट-फूट कर
शर्म से झुकनी चाहिए थीं इंसानी सभ्यता की गर्दनें
शोक नहीं सोच का वक्त है
मातम नहीं सवालों का वक्त है .
अगर इसके बाद भी सर उठा कर खड़ा हो सकता है इंसान
तो समझो कुछ गलत है .

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