महान क्रांतिकारी और देश के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति देने वाले भगत सिंह की कल जयंती है. भगत सिंह मात्र 23 वर्ष के थे तब वे देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गये. भगत सिंह का शेरो-शायरी के प्रति बड़ा झुकाव था. वे जब भी अपने परिवार वालों को खत लिखते उसमें शेरो-शायरी भी शामिल होते थे. फांसी पर चढ़ने से पहले उन्होंने अपने भाई को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने चंद पंक्तियां भी लिखीं थीं, पढ़ें :-
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भगत सिंह की जयंती पर पढ़ें फांसी के फंदे पर झूलने से पहले उन्होंने क्या लिखा
महान क्रांतिकारी और देश के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति देने वाले भगत सिंह की कल जयंती है. भगत सिंह मात्र 23 वर्ष के थे तब वे देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गये. भगत सिंह का शेरो-शायरी के प्रति बड़ा झुकाव था. वे जब भी अपने परिवार वालों को खत लिखते […]
उसे यह फ़िक्र है हरदम,
नया तर्जे-जफ़ा क्या है?
हमें यह शौक देखें,
सितम की इंतहा क्या है?
दहर से क्यों खफ़ा रहे,
चर्ख का क्यों गिला करें,
सारा जहां अदू सही,
आओ मुकाबला करें।
कोई दम का मेहमान हूं,
ए-अहले-महफ़िल,
चरागे सहर हूं,
बुझा चाहता हूं।
मेरी हवाओं में रहेगी,
ख़यालों की बिजली,
यह मुश्त-ए-ख़ाक है फ़ानी,
रहे रहे न रहे।
रचनाकाल: मार्च 1931
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