प्रभात खबर के दीपावली अंक में पढ़ें कविता ‘आधा’

राजेन्द्र उपाध्याय सम्पर्क : बी-108, पंडारा रोड नयी दिल्ली -110003 मो : 9431023458 आधा आधी बाती से भी पूरा उजाला होता है आधी लौ भी पूरी रौशनी देती है आधी गगरी भी पूरी प्यास बुझाती है आधे रास्ते पर भी मिलती है मंजिल आधे बने मकानों में भी बसते हैं घर आधे बगीचों में भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2017 4:53 PM

राजेन्द्र उपाध्याय

सम्पर्क : बी-108, पंडारा रोड
नयी दिल्ली -110003
मो : 9431023458
आधा
आधी बाती से भी पूरा उजाला होता है
आधी लौ भी पूरी रौशनी देती है
आधी गगरी भी पूरी प्यास बुझाती है
आधे रास्ते पर भी मिलती है मंजिल
आधे बने मकानों में भी बसते हैं घर
आधे बगीचों में भी खिलते हैं फूल आता है बसंत
आधी भरी हुई नदी भी नदी कहाती है
आधा समुद्र भी गरजता है उतनी ही शिद्दत से
आधा बादल भी बरसता है तो भिंगोता है
आधा आँचल भी छाँव देता है
आधी छतरी ने भी कई बार मुझे भींगने से बचाया
आधी आँच ने भी ठिठुरने से बचाया
आधे तालाब मे भी तैरती हैं मछलियाँ
खिलते हैं कंवल
आधी रात को आधी नींद में देखे जाते हैं पूरे ख्वाब
आधा सच भी उतना ही काम का जितना आधा झूठ है
पेड़ तब भी पेड़ हैं जब वह आधा हरा आधा ठूंठ है
आधी खिड़की से भी आती है पूरी रोशनी पूरी धूप
आधे घूँघट में भी नजर आता है पूरा रूप
आधे मैदान में भी हिरण भरते हैं कुलाँचे
आधे इन्द्रधनुष भी बला के खूबसूरत होते हैं
आधा नृत्य आधी मुद्रा आधा बाँकपन भी कमाल करता है
आधे गाए गीतों की गूँज देर तक रहती है
आधी धुन भी बरसों बरस साथ चलती है
आजकल आधी गर्मी आधी ठंड के दिन है
यह नया साल भी आधा नया आधा पुराना.
आधे अधूरे लोगों से भी बनता है राष्ट्र
आधे अधूरे सपनों से बनता है समाज
आधे अधूरे लोग बनते हैं महान, महात्मा और भगवान
आधी अधूरी चीजों से बनते हैं ताजमहल
आधी अधूरी पंक्तियों से लिखा जाता है महाकाव्य
आधे अधूरे उपन्यास हजारों हैं जो कभी पूरे नहीं हो पाए
आधी अधूरी कहानियाँ हजारों
हर प्रेम कहानी आखिर में आधी अधूरी ही रह जाती हैं
हर कविता आखिर में अधूरी ही रह जाती है
आधी पढ़ी हुई किताबों की संख्या अनंत है
आधी अधूरी मूर्तियों का सौंदर्य कम नहीं है पूरी से
मोनालिसा के चित्र में भी कुछ अधूरा अधूरा सा है
आधी अधूरी चीजों से बना है हमारा संसार
चाँद आधा भी उतना ही खूबसूरत
आधा शरीर भी सुंदर पूरे जितना
आधी रात भी रात ही कहाती है
दुनिया में कहीं भी कोई भी ऐसी चीज नहीं
जो पूरी की पूरी सामने आई हो.
हर चीज पहले पहल आधी अधूरी होती है
चाहे वह पेड़ हो या मनुष्य
यहाँ तक कि हमारे भगवान भी आधे अधूरे होते हैं
हनुमान आधे मनुष्य आधे वानर
गणेश आधे गजानन आधे मनुष्य
नरसिंह अवतार भी तो आधा नर आधा सिंह है
आधे की महिमा पूरे से कम नहीं है
यह धरती भी आधी जमीन में आधी पानी में…
(पूरी कविता प्रभात खबर के दीपावली विशेषांक में पढ़ें)

Next Article

Exit mobile version