सबमें प्रवाहित हूं, लेकिन अंतर्ध्यान, हमारे भीतर इसी तरह बहते रहेंगे कुंवर नारायण

लखनऊ : हिंदी के चर्चित कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कुंवर नारायण, अब नहीं रहे. उनके निधन के बाद साहित्य जगत शोक है. ऐसे सम्मानित कवि जिनके प्रति लोगों के मन में अत्यधिक सम्मान था, उनका जाना लोगों को तकलीफ दे रहा है. सोशल मीडिया के जरिये साहित्यकारों ने अपनी संवेदना व्यक्त की है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 15, 2017 5:11 PM


लखनऊ :
हिंदी के चर्चित कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कुंवर नारायण, अब नहीं रहे. उनके निधन के बाद साहित्य जगत शोक है. ऐसे सम्मानित कवि जिनके प्रति लोगों के मन में अत्यधिक सम्मान था, उनका जाना लोगों को तकलीफ दे रहा है. सोशल मीडिया के जरिये साहित्यकारों ने अपनी संवेदना व्यक्त की है.

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कवि कुंवर नारायण का निधन


प्रसिद्ध कवि और फिक्शन राइटर गीत चतुर्वेदी कुंवर नारायण की ही कुछ पंक्तियों को पोस्ट करके उन्हें नमन करते हैं. गीत लिखते हैं-सबमें प्रवाहित हूँ, लेकिन अंतर्ध्यान.

– हमारे भीतर इसी तरह बहते रहेंगे कुँवर नारायण. उन्हें नमन.
मशहूर साहित्यकार ध्रुव गुप्त ने अपनी संवेदना जताते हुए लिखा है-एक हरा जंगल धमनियों में जलता हैहिंदी साहित्य के कुछ जीवित स्तंभों में एक नब्बे-वर्षीय कवि कुंवर नारायण का आज ढह जाना साहित्य के लिए हाल के दिनों की सबसे बुरी खबर है. व्यापक और जटिल संवेदनाओं के विलक्षण कवि कुंवर नारायण हमारे दौर के सर्वश्रेष्ठ कवियों में रहे हैं. उन्हें ख़ास तौर पर अपनी रचनाशीलता में इतिहास और मिथक के जरिये वर्तमान को देखने और दिखाने के लिए जाना जाता है. अपनी कविताओं द्वारा उन्होंने हिंदी कविता के पाठकों में कविता की एक नयी तरह की समझ और जिज्ञासा पैदा की थी. उनकी दो कालजयी कृतियां ‘आत्मजयी’ और ‘बाजश्रवा के बहाने’ जिस तरह ‘कठोपनिषद’ के पात्रों – नचिकेता, बाजश्रवा और यम के माध्यम से मृत्यु की शाश्वत समस्या के साथ जीवन के अर्थ और आलोक को रेखांकित करती हैं, वह हिंदी कविता में रचनाशीलता का शिखर हैं.
उदय प्रकाश लिखते हैं-‘आत्मजयी’ वह कविता संग्रह था, जिसके द्वारा मैं कुंवर नारायण जी की कविताओं के संपर्क में आया. तब मैं गांव में था और स्कूल में पढ़ता था. ‘आत्मजयी’ की कविताओं ने उस बचपन में मृत्यु और अमरता से जुड़ी अबोध और अब तक बहुत उलझी हुई जिज्ञासाओं को जानने के लिए ‘कठोपनिषद’ पढ़ने की प्रेरणा दी. वे कविताएं एक ही भाषिक सतह पर दैनिक और दार्शनिक, वास्तविक और परि-कल्पित दोनों ही स्तरों पर सक्रिय रहती थीं. इसके बाद तो उनके अन्य संग्रह पढ़ता गया.

रश्मि शर्मा ने कुंवर नारायण को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी एक कविता पोस्ट की है-
बहुत कुछ दे सकती है कविता
क्योंकि बहुत कुछ हो सकती है कविता
ज़िन्दगी में
अगर हम जगह दें उसे
जैसे फलों को जगह देते हैं पेड़
जैसे तारों को जगह देती है रात
हम बचाये रख सकते हैं उसके लिए
अपने अन्दर कहीं…

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