जन्मदिन पर विशेष : जब हरिवंश राय बच्चन की कविता सुन रो पड़ीं थी तेजी और …
हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन" हिंदी भाषा साहित्य के स्तंभों में से एक हैं, आज उनकी जयंती है. बच्चन साहब को ‘हालावाद’ का प्रवर्तक माना जाता है, वे हिंदी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक हैं. उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है. बच्चन जी की गिनती हिंदी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों […]
हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन" हिंदी भाषा साहित्य के स्तंभों में से एक हैं, आज उनकी जयंती है. बच्चन साहब को ‘हालावाद’ का प्रवर्तक माना जाता है, वे हिंदी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक हैं. उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है. बच्चन जी की गिनती हिंदी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में होती है. उनकी जयंती पर आज उनके जीवन का एक रोचक प्रसंग याद आता है. हरिवंश राय की पहली पत्नी श्यामा का निधन हो चुका था. ऐसे में वे अकेले हो गये थे. अपनी आत्मकथा क्या भूलूं क्या याद करूं में हरिवंश राय बच्चन ने तेजी बच्चन से अपनी मुलाकात का जिक्र किया है. वे अपने दोस्त प्रकाश के घर बरेली गये थे. यहां उनकी मुलाकात तेजी सूरी से हुई और उनके प्रेम संबंधों की शुरुआत हुई.
गीत सुनाते-सुनाते न जाने मेरी आवाज में कहां से वेदना भर आयी. मैंने ‘उस नयन से बह सकी कब इस नयन की अश्रु-धारा..’ लाइन पढ़ी ही थी कि मिस सूरी की आंखें नम हो गयीं और उनके आंसू टप-टप प्रकाश के कंधे पर गिर रहे थे. ये देखकर मेरा गला भर आता है. मेरा गला रुंध जाता है. मेरे भी आंसू नहीं रुक रहे थे. ऐसा लगा मानो, मिस सूरी की आखों से गंगा-जमुना बह चली है और मेरे आंखों से जैसे सरस्वती.”