उपन्यास दुक्खम – सुक्खम के लिए साहित्यकार ममता कालिया को व्यास सम्मान
नयी दिल्ली : हिंदी की जानी मानी साहित्यकार ममता कालिया को वर्ष 2017 का प्रतिष्ठित व्यास सम्मान देने की आज घोषणा की गयी. के के बिरला फाउंडेशन ने आज जारी एक विज्ञप्ति में बताया कि साहित्य अकादमी के अध्यक्ष और प्रख्यात साहित्यकार विश्वनाथ तिवारी की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति ने ममता को उनके उपन्यास […]
नयी दिल्ली : हिंदी की जानी मानी साहित्यकार ममता कालिया को वर्ष 2017 का प्रतिष्ठित व्यास सम्मान देने की आज घोषणा की गयी. के के बिरला फाउंडेशन ने आज जारी एक विज्ञप्ति में बताया कि साहित्य अकादमी के अध्यक्ष और प्रख्यात साहित्यकार विश्वनाथ तिवारी की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति ने ममता को उनके उपन्यास दुक्खम – सुक्खम के लिए सत्ताइसवें व्यास सम्मान से नवाजने का निर्णय किया. उनका यह उपन्यास वर्ष 2009 में प्रकाशित हुआ था.
विज्ञप्ति में बताया गया है कि ममता को सम्मान के रुप में साढे तीन लाख रुपये की राशि दी जाएगी. इसमें बताया गया है कि यह सम्मान किसी भारतीय नागरिक की दस वर्ष की अवधि में हिंदी में प्रकाशित रचना को दिया जाता है. व्यास सम्मान की शुरुआत1991 में की गई थी. पहला व्यास सम्मान डॉ राम विलास शर्मा को दिया गया था. ममता का जन्म दो नवम्बर, 1940 को वृन्दावन में हुआ था। वह हिंदी साहित्य की जानी मानी साहित्यकार हैं. वह हिंदी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में लिखती हैं.
उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. अंग्रेजी की डिग्री प्राप्त की. फिर वह मुंबई के एस.एन.डी.टी. विश्वविद्यालय में परास्नातक विभाग में व्याख्याता बन गयीं. वर्ष 1973 में वह इलाहाबाद के एक डिग्री कॉलेज में प्राचार्य नियुक्त हुई और वहीं से वर्ष 2001 में अवकाश ग्रहण किया.
ममता ने बेघर , नरक-दर-नरक , दुक्खम-सुक्खम , सपनों की होम डिलिवरी , कल्चर वल्चर , जांच अभी जारी है , निर्मोही , बोलने वाली औरत , भविष्य का स्त्री विमर्श समेत कई रचनाओं को कमलबद्ध किया है. उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा यशपाल कथा सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान एवं राम मनोहर लोहिया सम्मान से सम्मानित किया गया है. इसके अतिरिक्त उन्हें वनमाली सम्मान एवं वाग्देवी सम्मान से भी नवाजा गया है.