जयंती पर विशेष : ब्रिटिश काल में गोर्की की ‘मां’ पढ़ना भारत में था अपराध

आज साहित्य जगत के पुरोधा मैक्सिम गोर्की की जयंती है, उनका जन्म 28 मार्च 1868 में हुआ था. वे रूस के प्रसिद्ध लेखक और राजनीतिक कार्यकर्ता थे. उन्होंने साहित्य जगत में ‘समाजवादी यथार्थवाद’ की परिकल्पना की और उसे स्थापित किया. गोर्की के पिता बढ़ई थे. उनपर मार्क्सवाद का गहरा प्रभाव था. 1892 में गोर्की की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 28, 2018 10:50 AM
आज साहित्य जगत के पुरोधा मैक्सिम गोर्की की जयंती है, उनका जन्म 28 मार्च 1868 में हुआ था. वे रूस के प्रसिद्ध लेखक और राजनीतिक कार्यकर्ता थे. उन्होंने साहित्य जगत में ‘समाजवादी यथार्थवाद’ की परिकल्पना की और उसे स्थापित किया.
गोर्की के पिता बढ़ई थे. उनपर मार्क्सवाद का गहरा प्रभाव था. 1892 में गोर्की की पहली कहानी "मकार चुद्रा" प्रकाशित हुई. गोर्की की प्रारंभिक कृतियों में रोमांसवाद और यथार्थवाद का मेल दिखाई देता है. जबकि बाद की रचनाओं में क्रांतिकारी भावनाएं मुखर नजर आती हैं.
उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘मां’ सर्वाधिक चर्चित है, यह एक क्रांतिकारी उपन्यास है, जिसे ब्रिटिश भारत में पढ़ना अपराध था. गोर्की ने अपने देश और विश्व की जनता को फासिज्म की असलियत से परिचित कराया था, 18 जून 1936 को उन्हें जहर देकर मार डाला गया. प्रमुख रचनाएं:- ‘मां’, मेरे विश्वविद्यालय, मेरा बचपन, थ्री मैन .

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