गुलाब एक किताब से,
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गुलाब एक किताब से, आज गिर पड़ा यहां. गंध सब सिमट गयी, राह भी तो बंट गयी. हम सभी खड़े रहे, और वह गुजर गया. साहित्य का चिराग फिर, आज एक बुझ गया. नेह का सिरा कहां, कैसे कब उलझ गया. हम छोर ढूंढते रहे, और वह सुलझ गया. जिंदगी की ठांव से, इस शहर […]
गुलाब एक किताब से,
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