नयी दिल्ली :आजयानीपांच अगस्त कोमशहूर कवि व शिक्षाविद शिवमंगल सिंह सुमनकाजन्मदिन है. आज ही के दिन 1915 में उनका जन्म उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले के झगेरपुर में हुआ था. उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से एमए व पीएचडी किया. बाद में जब वे कवि व शिक्षाविद के रूप में मशहूर हो गये तो उन्हें उनके ही विश्वविद्यालय ने 1950 में डी लिट की उपाधि से सम्मानित किया था. शिवमंगल सिंह सुमन 1968 से 1978 तक उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे. वे उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष सहित शिक्षा जगत के अन्य कई अहम पदों पर रहे.
शिवमंगल सिंह सुमन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रिय कवि हैं. वाजपेयी अक्सर अपने भाषणोें में उनकी कविताओं का उल्लेख करते थे. ध्यान रहे कि वाजपेयी जी स्वयं भी कवि हैं. 27 नवंबर 2002 को शिवमंगल सिंह सुमन का 87 साल की उम्र में निधन हो गया था. उनके निधन पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था – डॉ शिव मंगल सिंह सुमन केवल हिंदी कविता के क्षेत्र में एक शक्तिशाली हस्ताक्षर ही नहीं थे, बल्कि वह अपने समय की सामूहिक चेतना के संरक्षक भी थे. उन्होंने न केवल अपनी भावनाओं को दर्द व्यक्त किया, बल्कि युग के मुद्दों पर भी निर्भीक रचनात्मक टिप्पणी की.
उनके प्रमुख कविता संग्रह हैं – हिल्लोल, जीवन के गान, युग का माेल, प्रलय सृजन, विश्वास बढ़ता ही गया, विध्य हिमालय, मिट्टी की बारात, वाणी की व्यथा, कटे अंगूठों की वंदनवारें.
शिवमंगल सिंह सुमन को आज कवि कुमार विश्वास ने भी ट्वीट कर याद किया है और उनकी एक कविता की कुछ पंक्तियों का उल्लेख किया है. कुमार विश्वास ने अपने ट्विटर एकाउंट पर लिखा है – हिंदी काव्य जगत के देदीप्यमान हस्ताक्षर, प्रेम-अनुराग व मानवता के कवि पद्मभूषण स्वर्गीय शिवमंगल सिंह सुमन जी के जन्मदिन पर उन्हें आकाश भर प्रणाम.
क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले
यह भी सही वह भी सही,
वरदान माँगूँगा नहीं।
(शिवमंगल सिंह 'सुमन')
हिंदी काव्य जगत के देदीप्यमान हस्ताक्षर, प्रेम-अनुराग व मानवता के कवि पद्मभूषण स्व शिवमंगल सिंह 'सुमन' जी के जन्मदिन पर उन्हें आकाश भर प्रणाम🙏❤ pic.twitter.com/RK9vpTzjcU— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) August 5, 2018