नयी दिल्ली : मशहूर बांग्ला लेखिका आशापूर्णा देवी के किस्से-कहानियों के समृद्ध संग्रह से 21 कहानियों को एक साथ एक नए संग्रह में लाया गया है. उनकी कहानियां भारतीय नारी के घरेलू जीवन को इस प्रकार वर्णित करती हैं जैसा किसी दूसरे लेखक नहीं किया. लेखन के अपने 70 साल के करियर में उन्होंने बेहद असाधारण साहित्यिक कृतियां दुनिया को दी हैं.
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एक के बाद एक अपनी कहानियों में उन्होंने अपने ही घरों में कैद महिलाओं के जीवन का और सत्ता में उनकी भूमिका, दबाव तथा मध्यवर्गीय शहरी परिवारों की मजबूत दिखने वाली सोच के पीछे छिपे ढोंग को लेकर उनकी प्रतिक्रिया का विश्लेषण किया है.
कहानी संग्रह ‘शेक द बॉटल एंड अदर स्टोरीज’ की प्रत्येक कहानी महिला पात्र के व्यक्तित्वों के अनपेक्षित पक्ष को सामने लाती है. देवी ने कहानियों में विद्रोही महिला पात्रों को विरोध का जरिया बनाया. हालांकि उन्होंने इन पात्रों के विद्रोह को कभी भी ऊपरी तौर पर नहीं दिखाया. उनकी कहानियों का अनुवाद अरुनव सिन्हा ने किया है.
देवी के लेखन छोड़ने तक उनकी लिखी कहानियों की संख्या हजारों में पहुंच गयी थी. उन्हें सबसे ज्यादा याद ‘प्रथोम प्रोतिश्रृति’, ‘सुबर्नोलता’ और ‘बकुल कथा’ के लिए किया जाता है. उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार एवं पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया गया. उनका निधन 1995 में हुआ था.