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गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने किया बिहार की बेटी की किताब Dream Bridges Success का लोकार्पण

पणजी : गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने सोमवार को बिहार के दरभंगा की रहने वाली और नेपाल मेडिकल कॉलेज में पहले साल की 19 वर्षीय छात्रा तृष्याश्री की पुस्तक ‘ड्रीम ब्रिजेज सक्सेस’ का लोकार्पण किया. इस पुस्तक का लोकार्पण गोवा के राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में किया गया. इस मौके […]

पणजी : गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने सोमवार को बिहार के दरभंगा की रहने वाली और नेपाल मेडिकल कॉलेज में पहले साल की 19 वर्षीय छात्रा तृष्याश्री की पुस्तक ‘ड्रीम ब्रिजेज सक्सेस’ का लोकार्पण किया. इस पुस्तक का लोकार्पण गोवा के राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में किया गया. इस मौके पर राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि इस पुस्तक के हर पन्ने पर कोई न कोई संदेश अंकित है. यह पुस्तक और लेखिका भले ही देखने में छोटी है, लेकिन पुस्तक के अंदर अनुभव विशाल है.

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उन्होंने कहा कि लेखिका ने अपने विषय को प्रस्तुत करने के लिए कई छोटी-छोटी कहानियां खुद ही गढ़ती हैं. इस उम्र में इतनी अच्छी और ज्ञानवर्द्धक पुस्तक लिखना मेरे लिए भी आश्चर्यजनक्र है. मुझे भी इस पुस्तक को पढ़ने के बाद बहुत कुछ सीखने को मिला है. उन्होंने कहा कि मैं हमेशा कहती हूं कि इस संसार में मनुष्य अकेला नहीं है. इस चराचर जगत में सब हमारे साथ हैं. अधिकांश लेखक-लेखिकायें इस चराचर जगत के पात्रों का उदाहरण अपने लेखनी से पिरोते हैं.

उन्होंने कहा कि लेखिका इतनी छोटी सी पुस्तक लिखते हुए भी विषयानुसार कई महापुरुषों के उद्धरण को उदधृत किया है. लेखिका और पुस्तक के बारे में यही कहा जा सकता है कि ‘सतसैया के दोहरे, ज्यों नावक के तीर. देखन में छोटे लगैं, घाव करैं गंभीर.’ इस पुस्तक में स्वप्न के साथ स्वप्न और सफलता के बीच में किन-किन मूल्यों का आधार हो सकता है, इन तथ्यों को लेखिका ने बहुत सरल भाव और परिपक्तवता के साथ उकेरा है. यह पुस्तक युवाओं को ही नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के लिए पठनीय और ज्ञानवर्द्धक है.

समारोह के विशिष्ट अतिथि भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रामकृपाल सिन्हा ने कहा कि आज का दिन लेखिका के माता-पिता के लिए गर्व का दिन है. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक मैंने पूरी पढ़ी और पढ़ने के बाद मुझे फ्रांसिस बैकन की याद ताजा हो गयी. उन्होंने कहीं लिखा था- Some books are to be chewed and digested, some books are to be tasted, some books are to be read by deputy. इसका मतलब यह कि पुस्तक पहली श्रेणी में आती है. इस पुस्तक में दो पात्रों का वार्तालाप है. लेखिका की मेहनत इसमें साफ दिखती है. पुस्तक को रुचिकर बनाने के लिए लेखिका ने कई महापुरुषों के उद्धरण को उदधृत किया है.

कार्यक्रम में लेखिका के पिता डॉ सुभाष चंद्र सिंह ने लेखिका के बचपन से लेकर अब तक के सफर में उसके लेखनीय गुणों को विस्तार से चर्चा की. लेखिका तृष्याश्री ने पुस्तक के लिखने का उद्देश्य और आधार के बारे में लोगों को जानकारी दी. कार्यक्रम में यहां के कई गणमान्य व्यक्ति सहित गोवा विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं और राजभवन के अधिकारीगण मौजूद रहे. मंच का कुशल संचालन मनमोहन प्रकाश और धन्यवाद ज्ञापन श्रीप्रकाश ने की.

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