सफदर हाशमी की पुण्यतिथि आज: पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालो…

पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालो पढ़ना-लिखना सीखो ओ भूख से मरने वालो क ख ग घ को पहचानो अलिफ़ को पढ़ना सीखो अ आ इ ई को हथियार बनाकर लड़ना सीखो इन जादुई पंक्तियों से आप जरूर रूबरू होंगे, लेकिन अगर यह भूल गये हैं कि इनके रचनाकार कौन हैं, तो हम आपको याद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 1, 2019 4:46 PM

पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालो

पढ़ना-लिखना सीखो ओ भूख से मरने वालो

क ख ग घ को पहचानो

अलिफ़ को पढ़ना सीखो

अ आ इ ई को हथियार

बनाकर लड़ना सीखो

इन जादुई पंक्तियों से आप जरूर रूबरू होंगे, लेकिन अगर यह भूल गये हैं कि इनके रचनाकार कौन हैं, तो हम आपको याद दिलाते हैं. जीहां, इन पंक्तियों के रचनाकार हैं मशहूर नाटककार और गीतकार सफदर हाशमी. इस गीत का प्रयोग साक्षरता मिशन के एक विज्ञापन में किया गया था, जो लोगों की जुबां पर चढ़ गया था.

हाशमी साहब के बारे में यह कहा जाता है कि वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. वे प्रसिद्ध नाटककार, कलाकार, निर्देशक, गीतकार और कलाविद थे. उन्हें सबसे ज्यादा ख्याति नुक्कड़ नाटक के जरिये मिली. आज उनकी पुण्यतिथि है. सफदर हाशमी की हत्या दो जनवरी 1989 को एक नुक्कड़ नाटक ‘हल्ला बोल’ के मंचन के दौरान कर दी गयी थी. उनकी हत्या गाजियाबाद नगरपालिका के चुनाव के दौरान हुई थी. वे कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक थे और उनके विरोधियों ने इसी विचारधारा के कारण उनकी हत्या कर दी.

सफदर हाशमी जन नाट्य मंच (जनम) के संस्थापक सदस्य थे. यह संगठन 1973 में ‘ इप्टा’ से टूटकर बना था. ‘जनम’ का मजदूर संगठन सीटू से गहरा संबंध था. इन्होंने महिेलाओं, किसानों और युवाओं के लिए कई आंदोलन किये. नुक्कड़ नाटक को इन्होंने अपना हथियार बना लिया था. वे गढ़वाल और दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के लेक्चरर भी रहे थे. उन्होंने पीटीआई और इकोनॉमिक्स टाइम्स में बतौर पत्रकार काम किया था. आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि.

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