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विश्व पुस्तक मेले का उद्‌घाटन, जावड़ेकर ने कहा पढ़ने की संस्कृति का विस्तार होना चाहिए

नयी दिल्ली : अधिक से अधिक लोगों में पढ़ने की संस्कृति का विस्तार होना चाहिए क्योंकि इससे विश्लेषणात्मक सोच जैसे मूल्यों की सीख मिलती है और विभिन्न विचारों के प्रति सम्मान की भावना विकसित होती है. उक्त बातें केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने विश्व पुस्तक मेले के 27वें संस्करण के उद्धाटन अवसर […]

नयी दिल्ली : अधिक से अधिक लोगों में पढ़ने की संस्कृति का विस्तार होना चाहिए क्योंकि इससे विश्लेषणात्मक सोच जैसे मूल्यों की सीख मिलती है और विभिन्न विचारों के प्रति सम्मान की भावना विकसित होती है. उक्त बातें केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने विश्व पुस्तक मेले के 27वें संस्करण के उद्धाटन अवसर पर कही. जावडे़कर ने कहा कि पढ़ने की संस्कृति "नये आयाम’ प्रदान करती है और इससे जीवन को एक "लक्ष्य" मिलता है.

विश्व पुस्तक मेला यहां प्रगति मैदान में पांच से 13 जनवरी तक चलेगा जिसमें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का सदस्य शारजाह भागीदार के तौर पर हिस्सा ले रहा है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘ अगर हम दिन में सिर्फ 50 पन्ने ही पढ़ते हैं तो इससे हमें संतुष्टि मिलती है. हमें नयी सोच, कल्पना और संभावनाओं का पता चलता है. पुस्तकें दुनिया के ढेर सारे भिन्न अनुभवों से हमें रुबरु कराती हैं. मुझे खुशी है कि हमारे देश में पढ़ने की संस्कृति बढ़ रही है और हमारा जीवन पढ़ाई के जरिए एक लक्ष्य पा रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमें नये आयाम हासिल होते हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि पढ़ने से विचारों के आदान प्रदान से संस्कृति का विस्तार हो तथा सभी विचारों में विश्लेषण की रूची भी बढ़े.

साथ में, सभी विचारों का सम्मान भी बढ़ना चाहिए. मेरा मानना है कि किताबें पढ़ने से हमें इन सभी मूल्यों की सीख मिलती है.’ मंत्री ने कला की अहमियत पर जोर दिया और ऐसी गतिविधियों पर अपनी आय का कुछ हिस्सा खर्च करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा, ‘‘ कला एवं संस्कृति जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है. हमें अपनी कमाई को रहन-सहन तथा खान-पान पर खर्च करना चाहिए. कल्याण पर खर्च करना चाहिए तथा कर देने में खर्च करना चाहिए, लेकिन हमें अपनी कमाई का कुछ हिस्सा सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर भी व्यय करना चाहिए. तभी हमारे जीवन का कोई लक्ष्य होगा.’ भारत व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) के सहयोग से आयोजित हो रहे पुस्तक मेले की थीम ‘दिव्यांगजन की पठन आवश्यकताएं’ रखी गई है.

भारत के यूएई और खासतौर पर शारजाह के साथ रिश्तों के बारे में बात करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच, असली दोस्ती और वास्तविक साझेदारी इन संयुक्त प्रयासों के जरिए प्रकट होती है. उन्होंने कहा, ‘‘ शारजाह और भारत वास्तव में अच्छे मित्र हैं. 20 लाख से ज्यादा भारतीय यूएई में रहते हैं. जब हम शारजाह या यूएई के किसी अन्य देश जाते हैं तो हमें घर से दूर होने के बावजूद घर जैसा महसूस होता है. बीते सालों में मित्रता, संबंध और सांस्कृतिक रिश्तों की प्रगति हुई है.’ उद्घाटन कार्यक्रम में, शारजाह के राजकीय संबंध विभाग के कार्यकारी अध्यक्ष एवं वहां के शाही परिवार के सदस्य शेख फहीम बिन सुल्तान अल कासिमी मुख्य अतिथि थे. कासिमी ने कहा कि मजबूत अंतर-सांस्कृतिक रिश्तों को बढ़ाने के लिए ऐसे कार्यक्रम अहम हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत यूएई के सबसे पुराने साझेदारों में से एक हैं. हम इस साझेदारी का निर्माण आर्थिक, वैज्ञानिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक मोर्चे पर जारी रखना चाहते हैं. हमारा कारोबार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का लंबा इतिहास रहा है जो सैकड़ों सालों से है.’ उन्होंने कहा कि यूएई के राष्ट्रपति ने 2019 की ‘सहिष्णुता के वर्ष’ के तौर पर घोषणा की है. यह "सभी देशों में बहुसंस्कृतिवाद, सभ्यता और समृद्धि" को बढ़ावा देगा. कासिमी ने कहा, ‘‘यह सहिष्णुता, स्वीकार्यता और अंतर-विश्वास संवाद का संदेश देगा, लेकिन इस देश के लिए सहिष्णुता का मूल्य नया नहीं है. भारत में आप सभी मतों, सभी विश्वासों, भाषाओं और बौद्धिक आंदोलनों को समान अहमियत देते हैं जो मिलकर भारत के जीवंत और विविध सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने का निर्माण करता है.

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