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World Hindi Day : 44 साल पहले नागपुर से शुरू होकर विश्व फलक पर परचम लहरा रही हिंदी

नयी दिल्ली : आज 10 जनवरी है. यही वह तारीख है, जब बीते एक दशक से विश्व हिंदी दिवस का आयोजन किया जा रहा है, मगर यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि आज से करीब 44 साल पहले 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में विश्व हिंदी सम्मेलन की शुरुआत की गयी थी. करीब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 9, 2019 10:41 PM
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नयी दिल्ली : आज 10 जनवरी है. यही वह तारीख है, जब बीते एक दशक से विश्व हिंदी दिवस का आयोजन किया जा रहा है, मगर यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि आज से करीब 44 साल पहले 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में विश्व हिंदी सम्मेलन की शुरुआत की गयी थी. करीब चार दशक से अधिक के वक्त में गैर-हिंदी भाषी क्षेत्र से सफर शुरू करने के बाद इस समय हमारे देश की राजभाषा हिंदी विश्व फलक पर अपना परचम लहरा रही है. इन 44 सालों के सफर में भारत की प्रमुख भाषाओं में शुमार हिंदी ने कई उतार-चढ़ाव भी देखे और देवनागरी लिपि से लेकर रोमन लिपि में हिंग्लिश के रूप में भी इस्तेमाल की जाने लगी.

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दरअसल, विश्व हिन्दी दिवस का उद्देश्य पूरी दुनिया में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए वातावरण निर्मित करना, हिंदी के प्रति अनुराग पैदा करना, हिंदी की दशा के लिए जागरूकता पैदा करना और हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रस्तुत करना है. आम तौर पर विदेशों में भारतीय दूतावास विश्व हिंदी दिवस को विशेष आयोजन करते हैं. सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिंदी के लिए अनूठे कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं.

पूरी दुनिया में हिंदी प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन किया गया था. प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था. इसलिए 10 जनवरी का दिन ही विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी, 2006 को हर साल विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) के रूप मनाये जाने की घोषणा की थी.

आज आलम यह है कि दुनिया भर के करीब 130 विश्वविद्यालयों में हिंदी की पढ़ायी जाती है और दुनिया में करोड़ों लोग हिंदी बोलते हैं. चीनी भाषा के बाद दुनिया में हिंदी एक ऐसी भाषा है, जो इतनी बड़ी संख्या में बोली जाती है. सबसे पहले, नार्वे में पहला विश्व हिंदी दिवस भारतीय दूतावास की ओर से आयोजित किया गया था. इसके बाद दूसरा और तीसरा विश्व हिंदी दिवस भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के तत्वाधान में लेखक सुरेशचंद्र शुक्ल की अध्यक्षता में आयोजित गया था.

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