पढ़ें, पूजा शकुंतला शुक्ला की दो कविताएं
-पूजा शकुंतला शुक्ला- (कवयित्री, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापिका हैं. कविताएं लिखने का शौक रखती हैं, तो पढ़ें आज उनकी दो कविताएं, जो आपके हृदय तक जायेंगी.) सर्द रात सर्द रात में, खुले आकाश में, दुखों से बंधे पाश में, उसे हर रात देखा है, लिपटे हिम्मत के कंबल में, रखे स्वाभिमान का तकिया, […]
-पूजा शकुंतला शुक्ला-
(कवयित्री, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापिका हैं. कविताएं लिखने का शौक रखती हैं, तो पढ़ें आज उनकी दो कविताएं, जो आपके हृदय तक जायेंगी.)
सर्द रात
सर्द रात में,
खुले आकाश में,
दुखों से बंधे पाश में,
उसे हर रात देखा है,
लिपटे हिम्मत के कंबल में,
रखे स्वाभिमान का तकिया,
सोते अस्तित्व के गद्दे पे,
थामे उम्मीद का दामन,
देते हर चुनौती को मात,
उसे हर रात देखा है…
रंग प्यार के
कुछ रंग गहरे, रंगे प्यार में ,
चुन कर मैं ले आयी हूँ,
सपने की सलाइयों से
प्रेम को बुनना चाहती हूँ
कितने फंदे? कितनी गाठें?
कुछ ठीक- ठाक मालूम नहीं,
धागों पर उकेर कर अहसासों को,
इच्छाओं की गरमाहट में ,
तुम को लपेटना चाहती हूं
लगेंगे कितने दिन और कितनी रातें ?
कुछ ठीक- ठाक अंदाज़ नहीं,
जब हो तैयार तुम को वो ,
अपने आलिंगन में लेगा ,
मैं दूर खड़ी निहारूँगी,
कितने पल और कितनी घड़ियाँ,
कुछ ठीक-ठाक अंदाज़ नहीं..
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