हिंदी के मशहूर साहित्यकार और आलोचक नामवर सिंह का निधन
नयी दिल्ली: हिंदी के प्रख्यात आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में बीती रात अंतिम सांस ली. वे 93 वर्ष के थे. जानकारी के अनुसार कल रात तकरीबन 11.50 बजे उनका निधन हुआ. दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर में एक महीने से नामवर सिंह ब्रेन हैमरेज के कारण लाइफ सपोर्ट सिस्टम […]
नयी दिल्ली: हिंदी के प्रख्यात आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में बीती रात अंतिम सांस ली. वे 93 वर्ष के थे. जानकारी के अनुसार कल रात तकरीबन 11.50 बजे उनका निधन हुआ. दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर में एक महीने से नामवर सिंह ब्रेन हैमरेज के कारण लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे. जनवरी के महीने में अचानक वो अपने रूम में गिर गये जिसके बाद उन्हें एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था.
नामवर सिंह के परिवार वालों ने जानकारी दी कि दिल्ली के लोधी रोड स्थित शमशान घाट में बुधवार दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. यहां चर्चा कर दें कि वह लंबे वक्त से हिंदी के सबसे गंभीर आलोचक और समीक्षक के रूप में जाने जाते हैं, उनकी छायावाद, नामवर सिंह और समीक्षा, आलोचना और विचारधारा जैसी किताबें उनके चाहने वालों के जेहन में बसती हैं.
आलोचना में उनकी किताबें पृथ्वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, कहानी नयी कहानी, कविता के नये प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज, वाद विवाद संवाद आदि काफी फेमस हैं. उनका साक्षात्कार ‘कहना न होगा’ भी साहित्य जगत में अपनी अलग पहचान रखता है.
नामवर सिंह का जन्म वाराणसी जिले (अब चंदौली) के जीयनपुर नामक गांव में 28 जुलाई, 1926 को हुआ. उन्होंने वाराणसी के हीवेट क्षत्रिय स्कूल से मैट्रिक और उदयप्रताप कालेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की. 1941 में कविता से लेखक जीवन की शुरुआत उन्होंने की. उनकी पहली कविता 1941 में ‘क्षत्रियमित्र’ पत्रिका (बनारस) में प्रकाशित हुई. नामवर सिंह ने 1949 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से बीए और 1951 में वहीं से हिन्दी में एमए किया.
प्रधानमंत्री, गृह मंत्री ने साहित्यकार नामवर सिंह के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रसिद्ध साहित्यकार नामवर सिंह के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए कहा कि ‘दूसरी परंपरा की खोज’ करने वाले नामवर जी का जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुष नामवर सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ है. उन्होंने आलोचना के माध्यम से हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा दी.”उन्होंने कहा, ‘‘ ‘दूसरी परंपरा की खोज’ करने वाले नामवर जी का जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिजनों को संबल प्रदान करे.”
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नामवर सिंह के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि प्रख्यात साहित्यकार एवं समालोचक डा. नामवर सिंह के निधन से हिंदी भाषा ने अपना एक बहुत बड़ा साधक और सेवक खो दिया है। सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘ वे आलोचना की दृष्टि ही नहीं रखते थे बल्कि काव्य की वृष्टि के विस्तार में भी उनका बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने हिंदी साहित्य के नए प्रतिमान तय किए और नए मुहावरे गढ़े.” उन्होंने कहा कि डॉ नामवर सिंह का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति भी है. विचारों से असहमति होने के बावजूद वे लोगों को सम्मान और स्थान देना जानते थे. उनका निधन हिंदी साहित्य जगत एवं हमारे समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है.
नामवर सिंह के जाने से भारतीय भाषाओं ने ताकतवार आवाज खो दी: राहुल
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हिंदी जगत के प्रसिद्ध साहित्यकार नामवर सिंह के निधन पर दुख प्रकट करते हुए बुधवार को कहा कि भारतीय भाषाओं ने अपनी एक ताकतवर आवाज खोज दी है और परस्पर संवाद को बहाल करना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी. गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘नामवर सिंह के निधन से भारतीय भाषाओं ने अपनी एक ताकतवर आवाज खो दी है. समाज को सहिष्णु, जनतांत्रिक बनाने में उन्होंने जिंदगी लगा दी। हिंदुस्तान में संवाद को बहाल करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी.’