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हिंदी की बेबाक लेखिका रमणिका गुप्ता का निधन, बिहार-झारखंड से रहा है अटूट रिश्ता

नयी दिल्ली/रांची : हिंदी की बेबाक लेखिका रमणिका गुप्ता का मंगलवार को निधन हो गया. वे दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थीं. पंजाब के सुनाम में वर्ष 1930 में जन्मी रमणिका गुप्ता का बिहार-झारखंड से अटूट रिश्ता रहा है. राजनीति के क्षेत्र में भी उन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया है. रमणिका गुप्ता हिंदी की […]

नयी दिल्ली/रांची : हिंदी की बेबाक लेखिका रमणिका गुप्ता का मंगलवार को निधन हो गया. वे दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थीं. पंजाब के सुनाम में वर्ष 1930 में जन्मी रमणिका गुप्ता का बिहार-झारखंड से अटूट रिश्ता रहा है. राजनीति के क्षेत्र में भी उन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया है.

रमणिका गुप्ता हिंदी की आधुनिक महिला साहित्यकारों में से एक हैं. साहित्य, सियासत और समाज सेवा, इन तीनों ही क्षेत्रों में उन्होंने समान रूप से सक्रिय रहकर प्रसिद्धि हासिल की. उनका कर्मक्षेत्र बिहार और झारखंड रहा है. रमणिका जी की लेखनी में आदिवासी और दलित महिलाओं व बच्चों की चिंता उभर कर सामने आती है.

अपने जीवनकाल में रमणिका गुप्ता ने कई चर्चित पुस्तकों की रचना की. उनके द्वारा संपादित पुस्तक ‘दलित चेतना साहित्य’, ‘दलित चेतना सोच’ और ‘दलित सपनों का भारत’ काफी लोकप्रिय रहा है. इसके साथ ही उन्होंने त्रैमासिक हिंदी पत्रिका ‘युद्धरत आम आदमी’ का संपादन भी किया है. रमणिका गुप्ता तब के संयुक्त बिहार और अब झारखंड के हजारीबाग से विधान परिषद की सदस्य भी रही हैं और कई गैर-सरकारी एवं स्वयंसेवी संगठनों से संबद्ध रहीं.

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