राकेश तिवारी को मिला रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार, कहा कहानी का बदलना अनिवार्य
नयी दिल्ली : बीसवां रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार कथाकार राकेश तिवारी को उनकी कहानी ‘मंगत की खोपड़ी में स्वप्न का विकास’ के लिए दिया गया. उन्हें यह पुरस्कार राजधानी के गांधी शांति प्रतिष्ठान में दिया गया. राकेश तिवारी को यह पुरस्कार वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी, वरिष्ठ कवि विष्णु चंद्र शर्मा तथा वरिष्ठ कथाकार पंकज बिष्ट […]
नयी दिल्ली : बीसवां रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार कथाकार राकेश तिवारी को उनकी कहानी ‘मंगत की खोपड़ी में स्वप्न का विकास’ के लिए दिया गया. उन्हें यह पुरस्कार राजधानी के गांधी शांति प्रतिष्ठान में दिया गया. राकेश तिवारी को यह पुरस्कार वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी, वरिष्ठ कवि विष्णु चंद्र शर्मा तथा वरिष्ठ कथाकार पंकज बिष्ट ने प्रदान किया. पुरस्कार प्राप्त करने के बाद राकेश तिवारी ने कहा, पत्रकार के रूप में अर्जित अनुभव संपदा ने मेरी बहुत मदद की है. कहानी हमेशा लेखक के धैर्य की परीक्षा लेती है. कहानी कला के तत्वों को ध्यान में रखते हुए मैं कहानी नहीं लिख सकता. कहानी का बदलना अनिवार्य है.
कार्यक्रम के प्रारंभ में रमाकांत जी के सुपुत्र चंद्रशेखर श्रीवास्तव तथा विष्णु चद्र शर्मा ने उनकी स्मृतियों को साझा करते हुए उनके रचनाकर्म पर बात की. निर्णायक और वरिष्ठ कथाकार महेश कटारे का कहना था, यह कहानी अपने युग के मर्म को बेधने के साथ समय की मनोगत और वस्तुगत सीमाओं का अतिक्रमण करने में समर्थ है. विश्वनाथ त्रिपाठी ने कहा, इस कहानी में दुर्लभ सृजनत्मकता है. अजीब किस्म की फेंटेसी भी इसमें है.
फिल्मकार राजीव कटियार ने राकेश तिवारी के साथ अपने छात्र जीवन के नाट्याभिनय की स्मृतियों को साझा किया तो आलोचक ज्योतिष जोशी ने कहा, राकेश जितनी सहजता से कहानी में जीवन को विन्यस्त करते हैं, वह अद्भुत है. इस कहानी में लगता है मंगत नहीं, हम ही हैं. पंकज बिष्ट ने अंत में रमाकांत और राकेश तिवारी के साथ उन्होंने अपने संबंधों को साझा करते हुए कहा कि राकेश की पुरस्कृत कहानी में राजनीतिक व्यंग्य भी है. समारोह में राजधानी और अन्य शहरों से आये लगभग 100 लेखकों व साहित्य रसिकों ने शिरकत की.