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‘ज़िंदगी@लॉकडाउन’ कोरोना काल को समझने और अभिव्यक्त करने की कोशिश

Hindi literature : रांची के साहित्यकार हिमकर श्याम ने लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान एक अनूठी पहल की और 13 रचनाकारों की रचनाएं कविता संग्रह के रूप में प्रकाशित करवाया. हिमकर श्याम के संपादन में यह कविता संग्रह आया जिसका नाम है- 'ज़िंदगी@लॉकडाउन'. यह संग्रह कोरोना काल में प्रकाशित हुआ है. इस साझा कविता संग्रह में 13 रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2020 4:27 PM

रांची के साहित्यकार हिमकर श्याम ने लॉकडाउन के दौरान एक अनूठी पहल की और 13 रचनाकारों की रचनाएं कविता संग्रह के रूप में प्रकाशित करवाया. हिमकर श्याम के संपादन में यह कविता संग्रह आया जिसका नाम है- ‘ज़िंदगी@लॉकडाउन’. यह संग्रह कोरोना काल में प्रकाशित हुआ है. इस साझा कविता संग्रह में 13 रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई हैं.

इस संग्रह की खास बात यह है कि इसकी तमाम रचनाएं कोरोनाकाल और लॉकडाउन पर ही केंद्रित हैं. जिन रचनाकारों की रचनाएं इस संगह में शामिल हैं उनके नाम हैं- हिमकर श्याम, निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव, कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव ‘निरंकुश’, वैद्यनाथ मिश्र, कामेश्वर कुमार ‘कामेश’, डॉक्टर अभिषेक ‘अभि’, अभिलाषा ‘अभि’, शिल्पी कुमारी ‘सुमन’, कृष्णा विश्वकर्मा ‘बादल’ और हिमकर श्याम (झारखण्ड), शुभदा पाण्डेय और सत्य नारायण रेगर (राजस्थान), बिनोद सिंह गढ़वाल (बिहार) एवं राश दादा ‘राश’(कर्नाटक)-की रचनाएं शामिल हैं.

‘ज़िंदगी@लॉकडाउन’ कोरोना काल को समझने और अभिव्यक्त करने की कोशिश 2

ये तमाम रचनाकार झारखंड, बिहार, राजस्थान और कर्नाटक से संबंधित हैं. हिमकर श्याम का इससे पहले एक कविता संग्रह आ चुका है-‘युद्धरत मैं’. उन्होंने चार गजल संग्रह का संपादन भी किया है. उनका एक गजल संग्रह ‘दिल बंजारा’ जल्दी ही प्रकाशित होने वाला है.

हिमकर श्याम पेशे से पत्रकार हैं और प्रभात खबर और जागरण से जुड़कर काम कर चुके हैं. फिलवक्त वे फ्री लांस पत्रकारिता कर रहे हैं. ‘ज़िंदगी@लॉकडाउन’ के बारे में बात करते हुए वे कहते हैं कि रचनाकार अपने समय, समाज और देश में घटित होनेवाली घटनाओं और उनके प्रभावों से प्रेरणा पाकर ही सृजन करता है. कोरोना हमारी पीढ़ी का सबसे बड़ा संकट बन कर सामने आया है. हर आदमी विचलित है, बेचैन है. कोई लेखक, कवि इसके प्रभाव से अछूता नहीं रह सकता. ज़िंदगी@लॉकडाउन कोरोना काल को अपने ढंग से समझने और अभिव्यक्त करने की सामूहिक कोशिश है.

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Posted By : Rajneesh Anand

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