FOSWAL LITERATURE FESTIVAL : पहले दिन भारत समेत भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव के लेखक हुए शामिल

चार दिनों तक चलने वाले कला और साहित्य के लोकप्रिय कार्यक्रम फोसवाल महोत्सव के पहले दिन अनेक पुस्तकों का विमोचन हुआ. इस कार्यक्रम का आयोजन नयी दिल्ली स्थित एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स एंड लिटरेचर के प्रांगण में हो रहा है.

By Aarti Srivastava | November 11, 2024 5:04 PM
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FOSWAL LITERATURE FESTIVAL : नयी दिल्ली स्थित एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स एंड लिटरेचर के प्रांगण में रविवार (10 नवंबर) को सार्क देशों की कला और साहित्य को एक मंच पर लाने वाला लोकप्रिय कार्यक्रम फोसवाल (फाउंडेशन ऑफ सार्क राइटर्स एंड लिटरेचर) महोत्सव शुरू हुआ. ‘फाउंडेशन ऑफ सार्क राइटर्स एंड लिटरेचर’ द्वारा आयोजित इस चार दिवसीय महोत्सव का यह 65वां संस्करण है. इस अवसर पर पहले दिन भारत समेत भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव के लेखक और गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की.

हमारी पीड़ाएं एक जैसी हैं : अजीत कौर

कार्यक्रम की शुरुआत ‘फाउंडेशन ऑफ सार्क राइटर्स एंड लिटरेचर’ की चेयरपर्सन पद्मश्री अजीत कौर ने अपने स्वागत भाषण से किया. उन्होंने बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, भूटान, नेपाल और भारत से आये सभी मेहमानों का स्वागत किया. सार्क देशों से हमारे गहरे रिश्ते को रेखांकित करते हुए कहा कि सार्क देशों की सीमाओं के मध्य हम सिर्फ नदियां, समुद्र, मानसून, सभ्यता और संस्कृति ही नहीं बांटते, बल्कि हमारी पीड़ाएं भी एक जैसी हैं. इन्हें दूर करने के लिए हमें साथ आना होगा. धरती के अंधाधुंध दोहन पर भी उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की.

इन शख्सियतों ने भी रखी अपनी बात

कार्यक्रम के शुरुआती सत्र में संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने पंजाब की काली बई नदी को साफ करने के पीछे अपनी प्रेरणा के बारे में बताया. उन्होंने नदी के ऐतिहासक और धार्मिक महत्व को बताते हुए गुरुनानक देव जी से इसके गहरे रिश्ते की कहानी भी साझा की. जस्टिस विनीत कोठारी, एमएल लाहोती, श्री अनिल सूद ने भी पर्यावरण संरक्षक पर अपने विचार व्यक्त किये. लाहोती ने कहा कि पुर्तगाल ने अपने प्रमुख शहरों में आने वाले बाहरी पर्यटको को कम करने के उद्देश्य से उन पर शुल्क लगाना शुरू कर दिया है. जस्टिस विनीत कोठारी ने अपने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किये गये सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसलों की चर्चा की. अनिल सूद ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि युद्ध देश की रक्षा के नाम पर लड़े जाते हैं लेकिन इसका सबसे ज्यादा खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ता है.

सार्क एनवायरमेंट व लिटरेचर अवॉर्ड

कार्यक्रम में सार्क एनवायरमेंट अवॉर्ड व लिटरेचल अवॉर्ड भी प्रदान किये गये. संत बलबीर सिंह सीचेवाल, डॉ वंदना शिवा, जस्टिस विनीत कोठारी, एमएल लाहोती, अनिल सूद और कमल कश्यप को सार्क एनवायरमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. जबकि डॉ तारा गांधी भट्टाचार्य, प्रोफेसर शेहपार रसूल, डॉ अनामिका, डॉ वनिता, अरुंधति सुब्रमण्यम और श्रीलंका के डॉ थमीरा मंजू वाले व नेपाल के बिदान आचार्य को सार्क लिटरेचर अवार्ड से सम्मानित किया गया. इसके साथ ही कार्यक्रम में वर्सेज अंवेल्ड, मेमोरी कीपर्स सहित अनेक पुस्तकों का विमोचन भी हुआ. एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स एंड लिटरेचर के वाइस प्रेसिडेंट देव प्रकाश चौधरी ने अजीत कौर के सानिध्य में इन पुस्तकों का विमोचन किया. कार्यक्रम में भारत समेत भूटान, मालदीव आदि के साहित्यकारों ने कविता व कहानी का पाठ भी किया.


विदित हो कि यह कार्यक्रम दस नवंबर को शुरू हो चुका है और यह 13 नवंबर तक चलेगा.

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