पुस्तक चर्चा : दिल की जमीन पर कब्जा करने में सफल प्रतीत होता है ‘अब ख़्वाब नए हैं’

Hindi literature book review : अनिता रश्मि समकालीन हिदी कथा साहित्य में एक परिचित नाम हैं, उनके दो उपन्यासों, चार कहानी संग्रहों, एक यात्रावृत्त और एक लघुकथा संग्रह के जरिये बतौर कथाकार उनकी पहचान स्थापित हो चुकी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2020 3:41 PM
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कविता को सृष्टि का स्पंदन कहा जा सकता है. मनुष्य की हर धड़कन की अभिव्यक्ति का सामर्थ्य बोली की वाचिकता में होती है और पद्य बोलियों के सबसे नजदीक बैठता है. इसलिए विश्व की समस्त भाषाओं ने सर्वप्रथम अपने-अपने साहित्य में कविताओं का ही सृजन किया.

समकालीन कविताएं हताश समय को चीन्ह रही हैं और उनके साथ लड़ रही हैं. कुछ कवि-कवयित्री ऐसे होते हैं, जिन्हें पढ़ना सुखद होता है. ऐसी ही एक कवयित्री हैं अनिता रश्मि, जिनका कविता संग्रह ‘अब ख्वाब नये हैं’ सामने आयी है.

अनिता रश्मि समकालीन हिदी कथा साहित्य में एक परिचित नाम हैं, उनके दो उपन्यासों, चार कहानी संग्रहों, एक यात्रावृत्त और एक लघुकथा संग्रह के जरिये बतौर कथाकार उनकी पहचान स्थापित हो चुकी है. इस नये संग्रह ‘अब ख़्वाब नए हैं’ में उनकी बहत्तर कविताएं है, जिनमें आठ छोटी कविताएं और तेरह नन्हीं कविताएं शामिल हैं. नये काव्य-संग्रह ‘अब ख़्वाब नए हैं’ की कविताओं की भावभूमि, टेनोर और टेक्सचर थोड़ा हटकर है.

अनिता रश्मि के लगाव कितने विविध हैं – यह बात स्वयं इस संग्रह की कविताएँ बताती हैं. अपनी अनुभूतियां, पीड़ा, अपने सुख-दुख, अपने प्रेम को अपनी कविताओं में पाने और बांटने के लिए जिन ठिकानों की ओर जाना-लौटना पसंद करती हैं, उनमें से एक ठिकाना तो गांव है जिसके प्रति उन्हें गहरा लगाव है, दूसरा ठिकाना उनका परिवार है जहां वे जन्मी, पली और बड़ी हुईं, तीसरा ठिकाना गांव से शहर तक फैला वह वृहत्तर समाज है जिसमें एक ओर आभिजात्य वर्ग है तो दूसरी ओर जीने के लिए जद्दोजेहद करता दलित, वंचित, निर्धन और सताये हुए लोगों का वर्ग है.

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इस संग्रह की ‘युद्ध’, ‘दर्द’, ‘बैलून वाला’, ‘कत्ल’, ‘अंतर’, ‘साइकिल पर कोयला ढोने वाले के नाम’ ‘पड़ोसी से प्रश्न’ ‘आवाज’ आदि कविताएँ वर्तमान के इसी जटिल और क्रूर पक्ष को चित्रित करती हैं. कवयित्री वर्तमान की भयावहता से विचलित नहीं होतीं. ‘इस समय में’ कविता की ये पंक्तियाँ गौर करने लायक हैं-

‘इस समय में

भयावह प्रश्नों से टकराकर

केवल इसलिए चुपचाप

बैठा नहीं जा सकता कि

दे रही है पृथ्वी हमें

भरपूर स्पेस, नूतन स्वप्न’

‘वसंत’ और ‘चाहत’ जैसी कविताओं में रोमानी अंदाज है तो ‘उम्मीद’ ‘ठूँठ’, ‘अब ख़्वाब नए हैं’ में मनुष्य की अदम्य जिजीविषा और आशावादिता. इन कविताओं में जीवन और प्रकृति के अनेक रंग रूप, शेड्स, ध्वनियां और छवियां हैं.

Posted By : Rajneesh Anand

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