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Hindi Story Collection: ‘किस्से कॉफियाना’ में दुष्यंत की कहानियों का अद्भुत मिश्रण

दुष्यंत की कहानियां कड़वे यथार्थों से गुजारते हुए भी पाठक को जीवन से प्रेम करने को याद दिलाना नहीं भूलतीं. उनकी किस्सागोई लगातार खुरदरेपन से बेहतर दुनिया की यात्रा पर ले जाती हुई लगती हैं.

Hindi Story Collection: पेंगुइन से हाल ही में एक कहानी संग्रह आया है- ‘किस्से कॉफियाना’. इसके लेखक हैं- युवा कहानीकार दुष्यंत. उनकी कहानियां हिंदी साहित्य की शीर्ष परतों में चटपटी रही हैं. इस संग्रह की 26 कहानियां 26 जीवन सूत्र भी हैं. उनकी कथा शैली की आकृति है- अपनी तरह का होना. कई बार ऐसा लगता है कि वे अपनी शैली की खोज कर रहे हैं, लेकिन फिर भी ऐसा लगता है कि उनका उद्देश्य एक विशेष शैली की तलाश नहीं है. विविधता ही उनकी शैली है. यह शैलीगत यायावरी उन्हें समकालीन कथाकारों से अलग करती है.

‘जुलाई की रात’ दुष्यंत की पहली किताब

पेंगुइन से आयी उनकी यह दूसरी किताब है. पिछली किताब ‘जुलाई की रात’ को बीबीसी हिंदी ने 2013 की खास किताबों में शामिल किया था. संग्रह की कुछ कहानियों के हवाले से बात करें, तो ‘दो चांद और तीन कहानियां’ में वे शिल्प से जिस हुनर के साथ खेलते हैं, वह दुर्लभ हैं. ‘तीसरे कमरे की छत, पांचवीं सीढ़ी और बारहवां सपना’ जब ‘नया ज्ञानोदय’ पत्रिका में छपी थी, तब एक हलचल मची थी. लोक का सौंदर्य, विचार की सघनता और आधुनिक मूल्यों के साथ किस्सागोई का अद्भुत नमूना है यह कहानी. यूं तो स्त्री- पुरुष संबंधों के आसपास की हर कहानी में वे कुछ महीन बात करते हुए आगे बढ़ते हैं पर ‘गंडासा’ कहानी में प्रेम को एक अनुछुए, अनसुने आयाम तक ले जाते हैं. ‘एकदा एक्स’ शिल्प ही नहीं, कथ्य में भी हैरान करती है.

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समाज और समय की आंच पर पकी कहानियां

उनकी कुछ कहानियों में स्थानीयता की खुशबू ऐसी है कि आपके साथ ठहर जाती है, आप उससे महकते रहते हैं. उनकी कहानियां समाज और दुनिया के खुरदरे यथार्थ को संबोधित करती हैं. उनकी बेबाकी कमाल है. उन्हें अपनी कहानियों में असहज करने वाले सवाल उठाने में गुरेज नहीं है. इस किताब से गुजरना एक तिलिस्मी सा अनुभव भी हो सकता है, कड़वे यथार्थ का भी, पर जीवन के सुंदर अहसास भी महसूस होते हैं. दुष्यन्त की कहानियां कड़वे यथार्थों से गुजारते हुए भी पाठक को जीवन से प्रेम करने को याद दिलाना नहीं भूलतीं. उनकी किस्सागोई लगातार खुरदरेपन से बेहतर दुनिया की यात्रा पर ले जाती हुई लगती हैं. दुष्यन्त इतिहास के विद्यार्थी रहे हैं, तो उनकी हर कहानी समय की आंच पर पकी हुई लगती है. इतिहास की छौंक के अलावा स्त्री-पुरुष संबंध, समाज, राजनीति, आर्थिकी भी उनकी कहानियों में जगह पाते हैं. बदलते समय की ठीक-ठीक तस्दीक वे कहानियों में बिना ऐतिहासिक तथ्यों की बोझिलता के कर लेते हैं, तो इसका अर्थ यह है कि उन्होंने अपने किस्सागो को पहले रखना सीख लिया है. उनके भीतर का इतिहासकार सतह के नीचे रहता है और उनकी किस्सागोई को खाद-पानी देता है, तब कहानियों की सुंदर फसल लहलहाती है.

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