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गांधी के विराट व्यक्तित्व के सामने कोई झूठ कभी नहीं टिक पायेगा: शैलेन्द्र कुमार

Mahatma Gandhi Death Anniversary 2023: रायपुर के दीनदयाल उपाध्याय सभागार में आज सुबह नागरिकों एवं युवाओं ने महात्मा गांधी के जीवन और विचारों पर आयोजित संवाद में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. कार्यक्रम की शुरुआत में गांधी का प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे’ प्रस्तुत किया गया.

By Samir Kumar | January 30, 2023 11:02 PM
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Mahatma Gandhi Death Anniversary 2023: रायपुर के दीनदयाल उपाध्याय सभागार में आज सुबह नागरिकों एवं युवाओं ने महात्मा गांधी के जीवन और विचारों पर आयोजित संवाद में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़, सन्मति और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के इस संयुक्त कार्यक्रम की शुरुआत हॉल के बाहर रखी गांधी की एक बड़ी तस्वीर पर पुष्पांजलि के साथ हुई. इसके बाद, सभागार में 11 बजे 2 मिनट का मौन रखा गया. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के समूह ने गांधी के चार भजन प्रस्तुत किए. शुरुआत में गांधी का प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे’ प्रस्तुत किया गया.

गांधी का बचाव करने की किसी को जरूरत नहीं: शैलेंद्र कुमार

इस अवसर पर विचारक व प्रखर वक्ता शैलेंद्र कुमार ने कहा कि 30 जनवरी, 1948 को इंसानियत की बुलंद मीनार को गिरा दिया गया था. जिस गांधी को धर्म के नाम पर मारा गया, वे धर्म पर आस्था रखते थे और प्रार्थना के लिए जा रहे थे. आज उसी हत्यारी विचारधारा के लोग गांधी पर सवाल खड़ा करते हैं. गांधी का बचाव करने की किसी को जरूरत नहीं है, वह खुद ही अपना बचाव करने में सक्षम हैं. गांधी के अनुसार, हिंदू होने का मतलब मनुष्यता की पैरोकारी है. गांधी मनुवादी दकियानूसी धार्मिकता के खिलाफ हैं.

गांधी का लोकतांत्रिक विचार हिंदू महासभा को नहीं पच पाया

शैलेंद्र कुमार ने कहा कि गांधी की हत्या राष्ट्र की संवैधानिक अवधारणा की हत्या है. उनकी हत्या हिंदुत्व की संकीर्ण मानसिकता के साथ जुड़ी हुई है. गांधी का लोकतांत्रिक विचार हिंदू महासभा को नहीं पच पाया. हिटलर की अंधराष्ट्रवाद की भाषा गोलवलकर की प्रेरणा थी और आज उसी को फैलाने का काम किया जा रहा है. गांधी प्रेम और करुणा के प्रतीक हैं. शैलेंद्र कुमार ने कहा कि गांधी के साथ कोई भी कुछ मामलों में असहमत हो सकता है, लेकिन उद्विग्न समय में गांधी के साथ बैठकर शांति मिलती है, एक रास्ता मिलता है. उन्होंने कहा कि गांधी सौंदर्यबोधात्मक चेतना की अभिव्यक्ति हैं और उनकी नैतिक आभा से डरने वाले लोग दुष्प्रचार का सहारा लेते हैं, लेकिन गांधी के विराट निडर व्यक्तित्व के सामने कोई झूठ टिक नहीं पाता. झूठ को इतिहास की संचालक शक्ति बनाने वाले मृत्यु को जीत लेने वाले गांधी की वीरता पर नहीं बोलेंगे.

षड्यंत्र के तहत गांधी को बताया जा रहा विभाजन का जिम्मेदार

गांधी को विभाजन का दोषी ठहराने वाले दुष्प्रचार का भंडाफोड़ करते हुए चर्चित लेखक व विचारक अशोक कुमार पांडेय ने कहा कि कहीं पर एक लाइन लिखा दिखा दीजिए, जहां गांधी कह रहे हों कि हिंदू-मुस्लिम मिलकर नहीं रह सकते और सावरकर कह रहे हों कि हिंदू-मुस्लिम मिलकर रह सकते हैं. सावरकर और जिन्ना ने हिंदू और मुस्लिम दो अलग-अलग राष्ट्रों की मांग की थी. जो लोग अंग्रेजों की विचारधारा बांटो और राज करो की नीति का पालन करते हुए देश का विभाजन चाहते थे, आज उन्हीं को अपना आदर्श मानने वाले गांधी को विभाजन का जिम्मेदार बता रहे हैं. यह एक षड्यंत्र के तहत किया जा रहा है.

गांधी ने देश ही नहीं दुनिया को दिशा दी: अशोक कुमार पांडेय

अशोक कुमार पांडेय ने आगे कहा कि आज गांधी के सामने सावरकर के शिष्य हत्यारे गोडसे को खड़ा किया जा रहा है. अगर, गोडसे के जीवन से गांधी की हत्या को निकाल दिया जाये तो गोडसे का कहीं नाम तक सुनने को नहीं मिलता. जबकि, गांधी के जीवन से गोडसे को हटा दिया जाये तो भी गांधी का संपूर्ण व्यक्तित्व हमारे सामने उभरकर आता है. गांधी की आजादी का संघर्ष, सत्य और अहिंसा के पथ पर अडिग एक योद्धा जो जीवन पर्यंत अपने नेक सिद्धांतो से समझौता नहीं करता. गांधी अमर हैं, क्योंकि उन्होंने देश ही नहीं दुनिया को दिशा दी. उन्होंने कहा कि हमें दोहराना चाहिए कि मजबूरी का नाम नहीं मजबूती और निर्भयता का नाम गांधी है. गांधी कहते थे कि हिंसा में भरोसा करने वालों को मारने की कला सीखनी पड़ती है और अहिंसा में भरोसा करने वालों को मरने की कला सीखनी पड़ती है. गांधीवाद अपने अंतस के मूल में निर्भयता का नाम है.

मानवीयता व मनुष्यता के पक्षधर थे गांधी: सुजाता चौधरी

जानी-मानी गांधी विचारक व साहित्यकार सुजाता चौधरी ने कहा कि राम को अपनी सांस में बसाने वाले गांधी की हत्या करने वाले खुद को हिंदू धर्म का रक्षक कहते हैं. हत्यारों का धर्म किस तरह का है, जो उस गांधी की हत्या करता है जो भीषण दंगे की आग में जल रहे नोआखली में अल्पसंख्यक हिंदुओं को बचाने नंगे पांव निकल जाता है और वहां कहीं हिंदुओं के रक्षक नहीं दिखाई देते. गांधी सिर्फ हिंदुओं व मुस्लिमों को बचाने गली-गली नहीं भटकते, बल्कि वह मानवीयता को बचाने निकलते हैं. गांधी मानवीयता व मनुष्यता के पक्षधर थे. आज हत्यारे के पक्ष में तर्क गढ़े जा रहे हैं. मैं कहती हूं कोई भी हत्यारा या दुष्कर्मी हो वह अपने पक्ष में जरूर तर्क देगा, तो क्या उसकी बात मान ली जायेगी या उनकी बात सुनी जायेगी जिन चिंतकों ने समाज को दिशा दी है, संघर्ष किया है.

गांधी के जीवन मूल्यों से सीखकर बनायी जा सकती है एक सुंदर दुनिया: शरद चंद्र बेहार

अध्यक्षीय उद्बोधन में शिक्षाविद् व पूर्व मुख्य सचिव शरद चंद्र बेहार ने कहा कि गांधी जी को सिर्फ 2 अक्टूबर और 30 जनवरी तक सीमित न रखा जाये, बल्कि इस पर लगातार काम करने की जरूरत है. गांधी जी जो कहते थे वह करते थे. उनके जीवन मूल्यों से सीखकर एक सुंदर दुनिया बनायी जा सकती है. कार्यक्रम में वरिष्ठ गांधीवादी भालचंद्र कछवाह, आनंद मिश्रा, मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा और प्रदीप शर्मा, वरिष्ठ राजनेता प्रदीप चौबे, किसान नेता आनंद मिश्रा, रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति केशरीलाल वर्मा, कुशाभाऊ ठाकरे विवि के कुलपति बलदेव भाई शर्मा, कुलसचिव आनंद बहादुर, अधीर भगवनानी, जया जादवानी, सुभद्रा राठौर, प्रो. एल एस निगम, अमन परवानी, इंडियन मेडिकल एसोशिएशन के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता, राजीव गुप्ता, पत्रकार राजकुमार सोनी, आवेश तिवारी सहित बड़ी संख्या छात्र, नौजवान और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे.

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