Sahitya Akademi Award : विनोद कुमार शुक्ल को मिली साहित्य अकादमी की ‘महत्तर सदस्यता’
हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक विनोद कुमार शुल्क को साहित्य अकादमी ने अपने सर्वोच्च सम्मान 'महत्तर सदस्यता' से नवाजा है.
Sahitya Akademi Award : साहित्य अकादमी ने हिंदी के प्रख्यात कवि एवं कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को बीते 23 अगस्त को अपनी ‘महत्तर सदस्यताश’ से अलंकृत किया. हालांकि अकादमी की ओर से विनोद कुमार शुक्ल को यह सर्वोच्च सम्मान देने की घोषणा सितंबर 2021 में ही की गयी थी, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उन्हें यह सम्मान नहीं दिया जा सका था.
रायपुर में दिया गया सम्मान
अकादमी की ओर से जारी एक बयान में बताया गया है कि विनोद कुमार शुक्ल के रायपुर स्थित आवास पर संक्षिप्त पुरस्कार अलंकरण समारोह हुआ, जिसमें साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक और सचिव के श्रीनिवासराव ने उन्हें अकादमी की महत्तर सदस्यता प्रदान की. साहित्य अकादमी के मुताबिक, शुक्ल सम्मान मिलने पर कहा, ‘इस सम्मान को मेरे घर आकर देने के लिए मैं साहित्य अकादमी का आभार प्रकट करता हूं. मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि इतना बड़ा सम्मान मुझे प्राप्त होगा. इस अवसर पर उन्होंने अपनी दो कविताओं का पाठ भी किया.
विनोद कुमार का जीवन और लेखन
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में एक जनवरी 1937 को जन्मे विनोद कुमार शुक्ल ने अपनी रचनात्मक यात्रा की शुरुआत कविता-संग्रह ‘लगभग जयहिंद’ से की. इसके बाद ‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह’, ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’, ‘अतिरिक्त नहीं’, ‘कविता से लंबी कविता’, ‘आकाश धरती को खटखटाता है’, ‘कभी के बाद अभी’ जैसे कविता संग्रह आये. कविता के साथ ही विनोद कुमार शुक्ल ने अपने गद्य से भी पाठकों को लगातार चकित किया. इस क्रम में उनके ‘उपन्यास नौकर की कमीज’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’, ‘दीवार में खिड़की रहती थी’ देखे जा सकते हैं. उनके कहानी संग्रह ‘पेड़ पर कमरा’ और ‘महाविद्यालय कहानी संग्रह’ पढ़े जा सकते हैं. अपनी एक अलग लेखन शैली के लिए लोकप्रिय हिंदी के इस लेखक की एक और खासियत यह है कि उन्होंने बड़ों के साथ बच्चों के लिए भी लिखा है. ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़’ उपन्यास समेत उनकी बच्चों पर लिखी किताबें ‘बना बनाया देखा आकाशा, बनते कहां दिखा आकाश’, ‘गमले में जंगल’, ‘पेड़ नहीं बैठता’, ‘एक चुप्पी जगह’ पढ़ी जा सकती हैं.
अब तक मिले पुरस्कार
विनोद कुमार शुक्ल गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, अखिल भारतीय भवानीप्रसाद मिश्र सम्मान, सृजन भारतीय सम्मान, रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार, रचना समग्र पुरस्कार एवं हिंदी गौरव सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं. बीते साल शुक्ल को पेन अमेरिका ने व्लादिमीर नाबोकोव अवार्ड फॉर अचीवमेंट इन इंटरनेशनल लिटरेचर-2023 से सम्मानित किया गया था. शुक्ल पेन अवार्ड पाने वाले भारतीय एवं एशियाई मूल के पहले लेखक हैं. इस अवार्ड को अमेरिका में साहित्य का ऑस्कर सम्मान समझा जाता है.