World Book Fair 2024 : समाज के यथार्थ को चित्रित करती हैं स्वयं प्रकाश की कहानियां

World Book Fair 2024 : युवा आलोचक पल्लव ने कहा कि स्वयं प्रकाश उन दुर्लभ कहानीकारों में थे जिनके पास श्रेष्ठ कहानियों की संख्या अच्छी खासी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 19, 2024 5:04 PM
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World Book Fair 2024 : भारतीय सामाजिक यथार्थ को स्वयं प्रकाश ने अपनी कहानियों में जिस सूक्ष्मता से चित्रित किया है वह किसी साधारण लेखक के लिए संभव नहीं है. स्वयं प्रकाश समाज के यथार्थ को श्वेत श्याम में देखने के बजाय उसके तमाम रंगों के साथ देखते हैं. लेखक और पत्रकार श्याम सुशील ने विश्व पुस्तक मेले में ‘नयी किताब प्रकाशन’ के स्टाल पर ‘स्वयं प्रकाश की चुनी हुई कहानियां’ पुस्तक का लोकार्पण करते हुए कहा कि उनका लेखन बहुरंगी है और उसमें व्यापकता के साथ गहराई भी है. सुशील ने स्वयं प्रकाश के साथ गोवा में हुई अपनी भेंट को भी याद किया और कहा कि वे जितने बड़े कहानीकार थे उतने ही बड़े मनुष्य भी थे.

विचारधारा के लिए समर्पित लेखक


युवा कथाकार उमाशंकर चौधरी ने कहा कि विचारधारा के लिए समर्पित रहने वाले दुर्लभ लेखकों में स्वयं प्रकाश का नाम अग्रणी है और अपनी वैचारिक निष्ठाओं को पूरा करते हुए भी वे कला की कसौटी पर कहीं समझौता नहीं करते. चौधरी ने स्वयं प्रकाश की चर्चित कहानी पार्टीशन का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्तमान परिदृश्य में यह कहानी मूल्यवान कृति के रूप में नजर आती है. कवि ज्योति चावला ने स्वयं प्रकाश के संपादन को याद करते हुए कहा कि प्रगतिशील वसुधा के अनेक महत्वपूर्ण अंक उनके समय में आए. चावला ने बच्चों की पत्रिका ‘चकमक’ के संपादन के लिए स्वयं प्रकाश को याद किया.

श्रेष्ठ कहानियों का संग्रह


युवा आलोचक पल्लव ने कहा कि स्वयं प्रकाश उन दुर्लभ कहानीकारों में थे जिनके पास श्रेष्ठ कहानियों की संख्या अच्छी खासी है. सांप्रदायिकता के असल कारणों की व्याख्या उनकी कहानियों का एक महत्वपूर्ण पक्ष है तो वे भारत के विशाल मध्य वर्ग को भी अपना विषय बनाते हैं. इस मध्य वर्ग से उन्हें शिकायतें तो हैं लेकिन वे इसे खारिज नहीं करते बल्कि इसके भीतर मौजूद विरल सद्गुणों की तलाश उनकी कहानियों को यादगार बनाती है. उन्होंने प्रेमचंद की तरह पर्याप्त संख्या में बड़ी कहानियां लिखीं और दूसरा लेखन भी किया. उपन्यास, नाटक, निबंध, रेखाचित्र, बाल साहित्य और अनुवाद में उनकी कुल पुस्तकें पचास तक पहुंचती है.

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लोकार्पण में पाखी के संपादक पंकज शर्मा भी उपस्थित थे. प्रकाशक अतुल महेश्वरी ने बताया कि यह पुस्तक अंगरेजी के अध्येता प्रो आशुतोष मोहन के संपादन में आई है. उन्होंने अपने प्रकाशन से आई इस शृंखला की अन्य पुस्तकों की भी जानकारी दी.

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