विश्व शरणार्थी दिवस : 5 पुस्तकें जो शरणार्थी मुद्दे पर दृष्टिकोण देती हैं

विश्व शरणार्थी दिवस पर, यहां हैं 5 पुस्तकें जो शरणार्थी मुद्दों पर अपनी अनूठी दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं, जो आपकी जागरूकता को बढ़ाएंगी.

By Suhani Gahtori | June 20, 2024 2:13 PM

world refugee day : विश्व शरणार्थी दिवस प्रतिवर्ष 20 जून को मनाया जाता है ताकि हम समग्र मानव समुदाय को शरणार्थियों की समस्याओं और उनकी आवश्यकताओं के प्रति जागरूक कर सकें. इस मौके पर यहां 5 पुस्तकों की जानकारी दी गई है जो शरणार्थी मुद्दों पर दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं. ये पुस्तकें विभिन्न लेखकों और समुदायों द्वारा लिखी गई हैं, जिनसे हम इस महत्वपूर्ण विषय के प्रति अधिक समझ प्राप्त कर सकते हैं. ये पुस्तकें व्यक्तिगत अनुभवों और संकल्पनाओं को साझा करती हैं, जो हमें शरणार्थियों के संघर्ष को समझने में मदद कर सकते हैं.

1. द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल ( ऐनी फ्रैंक )

“द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल” ऐनी फ्रैंक की वास्तविक डायरी है, जो उनके 13वें जन्मदिन 12 जून 1942 को शुरू होती है. यह पुस्तक उनके परिवार के फ्रैंकफर्ट, जर्मनी में जीवन और हिटलर तथा नाजी पार्टी द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों पर हो रहे उत्पीड़न के कारण अचानक छिपने की आवश्यकता की कहानी बयां करती है. यातना से बचने के लिए उनका परिवार कुछ अन्य यहूदियों के साथ एम्स्टर्डम भाग जाता है. डायरी का समापन 1 अगस्त 1944 को हो जाता है. इस पुस्तक का सबसे महत्वपूर्ण संदेश है कि सभी को स्वतंत्रता के साथ जीने का अधिकार है. ऐनी की कहानी दिखाती है कि धर्म या जाति में अंतर के कारण लोगों के साथ अलग व्यवहार नहीं होना चाहिए. युद्ध के दौरान यहूदियों के उत्पीड़न ने इसे सिद्ध किया है. उनकी डायरी भय को उजागर करती है, जो उस समय यहूदियों के अंदर था, जो हर बीतते पल के साथ निरंतर बढ़ता ही जा रहा था. यह मार्मिक पुस्तक उन पाठकों के लिए आदर्श है जिन्हें ऐतिहासिक, युद्ध या रहस्य उपन्यासों में रुचि है.

2. सेटिंग द अनसेटल्ड ( डॉ मोनिका मंडल )

यह पुस्तक अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी कानून और दक्षिण एशिया में शरणार्थी स्थिति की जांच करती है, इसकी शुरुआत 1905 में प्रांत के प्रथम विभाजन से लेकर बंगाल में बंगाली समाज और हिंदू-मुस्लिम संबंधों के अवलोकन से होती है. इसमें 1947 में ब्रिटिश भारत के विभाजन से संबंधित घटनाओं का वर्णन किया गया है. यह अध्ययन पूर्वी पाकिस्तान से पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में शरणार्थियों के पलायन के जवाब में भारतीय केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किए गए राहत और पुनर्वास प्रयासों का दस्तावेजीकरण और विश्लेषण करता है. इसमें यह भी बताया गया है कि ये शरणार्थी अपने नए समुदायों में कैसे घुलमिल गए. यह शोध विभाजन के पीड़ितों और उसके बाद सांप्रदायिक संघर्षों और उत्पीड़न के कारण पश्चिम बंगाल में शरण लेने वाले लोगों के अनुभवों पर केंद्रित है. पुस्तक में सरकारी नीतियों, मेजबान समुदाय के दृष्टिकोण तथा शरणार्थियों के सामने आने वाली चुनौतियों का वर्णन किया गया है, क्योंकि वे नए सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण में ढल रहे हैं. यह पुस्तक आधुनिक इतिहास, बंगाल अध्ययन और विभाजन अध्ययन के विद्वानों के लिए आवश्यक है.

3. रिफ्यूजी (एलन ग्राट्ज़)

यह उपन्यास विभिन्न क्षेत्रों और ऐतिहासिक अवधियों के तीन शरणार्थी बच्चों के परस्पर जुड़े जीवन का वर्णन करता है. प्रत्येक बच्चा अपने-अपने देश में राजनीतिक उथल-पुथल से बचते हुए कष्टदायक क्षति का सामना करता है तथा व्यक्तिगत जीत हासिल करता है. जोसेफ लांडाऊ, एक युवा यहूदी लड़का, 1939 में यहूदियों के भयानक उत्पीड़न से बचने के लिए नाजी जर्मनी से भाग जाता है. इसाबेल फर्नांडीज, एक बहादुर क्यूबा लड़की, 1994 में आर्थिक पतन और नागरिक अशांति के बीच कास्त्रो के क्यूबा से भाग निकलती है. महमूद बिशारा, एक सीरियाई लड़का, बशर अल-असद के क्रूर और अस्थिर शासन के दौरान 2015 में अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर हो जाता है. उनकी कहानियां, हालांकि समय और भूगोल से अलग हैं परंतु शरणार्थियों के सार्वभौमिक संघर्ष को उजागर करती हैं. उनके नजरिए के माध्यम से पाठक शरणार्थियों के अनुभव को परिभाषित कराते हैं और अपार चुनौतियों और छोटी-छोटी जीतों के साक्षी बनाते हैं, यह उपन्यास निराशा के बीच जीवित रहने और आशा के सार को सरल और मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करता है.

4. ए लैंड ऑफ परमानेंट गुडबाय ( अतिया अबावी)

तारिक इस पुस्तक का केंद्रीय पात्र है, जो एक सीरियाई किशोर है, जो अपनी मातृभूमि से भागने के लिए मजबूर हो जाता है . पुस्तक उसकी इस यात्रा के दौरान होने वाली शारीरिक और भावनात्मक पीड़ा का सजीव चित्रण करता है. आख्यान के दौरान, तारिक बचपन से लेकर वयस्कता तक की एक परिवर्तनकारी यात्रा से गुजरता है, जिसका प्रतीक उसके सफेद बाल हैं और उसे सिगरेट की पेशकश का प्रतीकात्मक संकेत है. जो उसके साथियों के बीच एक पुरुष के रूप में उसकी नई पहचान को दर्शाता है . सीरिया छोड़ने के बारे में उनकी मिश्रित भावनाएं शरणार्थी बनने की अनैच्छिक प्रकृति को रेखांकित करती हैं:जहां वह अपनी मातृभूमि की आत्मीयता के लिए तरसता है, वहीं इस्तांबुल और जर्मनी जैसी जगहों पर उसे अपनापन महसूस करने में कठिनाई होती है. तारिक की कहानी शरणार्थी अनुभव का मार्मिक चित्रण है, जो अपने घर को छोड़ने की अपार चुनौतियों पर प्रकाश डालती है. यह पुस्तक तारिक के साथ हुई दर्दनाक घटनाओं के माध्यम से आघात के सार्वभौमिक विषय की भी पड़ताल करती है, जैसे कि अपनी यात्रा के दौरान एक महिला की दुखद मौत का गवाह बनना. ये अनुभव स्थायी निशान छोड़ जाते हैं, जो जर्मनी में सुरक्षित पहुंचने के बाद भी दुःस्वप्न और चिंता के रूप में प्रकट होते हैं.

5. वी आर डिस्प्लेस्ड (मलाला युसुफजई)

इस पुस्तक में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और न्यूयॉर्क टाइम्स की बेस्टसेलिंग लेखिका मलाला यूसुफजई ने दुनिया भर में लाखों विस्थापित लोगों के बारे में आंकड़ों का वर्णन किया है. अपने पिता की हत्या के बाद, मारिया अपनी मां के साथ मध्य रात्रि में अमेरिका भागती है तकि वह युद्ध से बच सके. ज़ैनब दो साल तक स्कूल से बाहर रही ताकि वह इटली की एक कठोर यात्रा से बच सके. अजीदा भी भयंकर हिंसा से बची, लेकिन फिर उसको अपने परिवार की सुरक्षा के लिए प्राकृतिक आपदाओं से जूझना पड़ा. मलाला ने अपने शरणार्थी शिविर के अनुभव को साझा किया,तबसे जब वह पाकिस्तान में एक छोटी बच्ची थी, और उसके बाद अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ता के रूप में जो दुनिया भर में यात्रा कर सकती थी, सिवाय अपने प्यारे घर के. इस पुस्तक में मलाला ने अपनी कहानी के साथ-साथ उसकी यात्रा के दौरान उन अद्वितीय लड़कियों की भी कहानियां साझा की हैं – वे लड़कियां जिन्होंने अपने समुदाय, रिश्तेदारों को खो दिया और एक अनजान दुनिया में आईं.

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