माफिया अतीक अहमद के आर्थिक साम्राज्य को ढहाने में जुटी कमिश्नरेट पुलिस ने लखनऊ में उसकी करोड़ों की बेनामी संपत्ति खोज निकाली है. माफिया ने यह संपत्ति राजधानी के बेहद पॉश इलाके में ठेकेदार के नाम पर खरीदा था. संपत्ति का पता चलने के बाद ठेकेदार का परिवार रडार पर आ गया है. धूमनगंज थाने में दर्ज गैंगस्टर के मुकदमे में पुलिस अतीक की अपराध से अर्जित संपत्ति तलाशने में जुटी है. इसी क्रम में पता चला कि माफिया ने लखनऊ के महानगर कॉलोनी में एक फ्लैट अपने करीबी ठेकेदार के नाम पर खरीदा था. जानकारी जुटाने पर यह बात सामने आई कि यह फ्लैट करेली के जीटीबी नगर निवासी सिंचाई विभाग के एक ठेकेदार के नाम पर खरीदा गया था. इस फ्लैट की 2012 में रजिस्ट्री कराई गई थी. पुलिस को यह भी पता चला कि ठेकेदार अतीक का करीबी रहा है. उसकी कुछ वर्षों पहले मौत हो चुकी है. महज 30 लाख रुपये में खरीदे गए इस फ्लैट की कीमत वर्तमान में करोड़ों में है. जिस वक्त यह फ्लैट खरीदा गया, उस दौरान बैनामे में सरकारी मालियत से कम मूल्य चुकाने की भी बात सामने आई है.
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पुलिस जब जांच के लिए ठेकेदार की पत्नी के पास पहुंची तो उसने बताया कि फ्लैट उसके पति ने खरीदा था. अतीक ने जबरन इसकी चाबी ले ली थी. फ्लैट लेते वक्त कहा था कि कुछ दिनों के लिए उसके किसी परिचित को रहना है. इसके बाद उसने चाबी वापस नहीं की. फिर लगातार उसके लोगों का ही फ्लैट पर कब्जा बना रहा. महिला की बातों में कितनी सच्चाई है, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा. फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच में युद्धस्तर पर जुटी है.
पुलिस की जांच में यह बात भी सामने आई है कि बेनामी संपत्ति के रूप में चिह्नित इस फ्लैट में अतीक का बेटा असद अपने दोस्त आतिन जफर के साथ रहता था. दोनों यहीं रहकर लखनऊ जेल में बंद अतीक के कारोबार को संचालित करते थे. साथ ही माफिया के बड़े बेटे उमर व आतिन के पिता से मिलते-जुलते थे. साथ ही यहां अशरफ के साले सद्दाम का भी आना-जाना था. उमेश पाल हत्याकांड के बाद युवक को नग्न कर पिटाई करने का सद्दाम का वीडियो भी इसी फ्लैट का था. माना जा रहा है कि उमेश पाल हत्याकांड की साजिश के तार भी इस फ्लैट से जुड़े हैं. इसी फ्लैट में रहते हुए ही असद लगातार लखनऊ जेल में बंद अपने भाई उमर के अलावा बरेली जेल में बंद अशरफ व नैनी जेल में बंद अली से मिलने आया-जाया करता था. उमेश की हत्या के बाद फोन कर उसने दोस्त आतिन से अपना एटीएम कार्ड व फोन इसी फ्लैट में छिपाने को कहा था.
बता दें कि कमिश्नरेट पुलिस ने अतीक अहमद की गौसपुर कटहुला स्थित 12.42 करोड़ की बेनामी संपत्ति कुर्क की थी. पुलिस आयुक्त रमित शर्मा की ओर से गैंगस्टर एक्ट के तहत यह पहली कार्रवाई थी, जिसमें माफिया गैंग को तगड़ी चोट पहुंची थी. यह संपत्ति एक राजमिस्त्री हूबलाल निवासी लालापुर के नाम पर औने-पौने दामों में खरीदी गई थी. कमिश्नरेट पुलिस के एक्शन से माफिया के सताए हुए लोगों के साथ ऐसे लोगों में भी हिम्मत बंधी है, जिनके नाम पर जबरन बेनामी संपत्ति बनाई गई. हूबलाल के बाद कुछ अन्य लोगों ने भी पुलिस से संपर्क किया है, जिसकी जांच जारी है. दरअसल, माफिया की मौत के बाद भी उसके गुर्गों के डर से लोग सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे. हालांकि, हाल ही में अतीक के गुर्गों के खिलाफ पुलिस के एक्शन को देखते हुए अब ऐसे लोगों में हिम्मत बंधी है और वह पुलिस से संपर्क कर रहे हैं.