प्रयागराज में उमेश पाल और गनर की सनसनीखेज हत्याकांड के बाद अब अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद माफिया अतीक अहमद पर शिकंजा कसने की तैयारी तेज हो गई है. हत्याकांड के कुछ देर बाद ही अतीक अहमद के दो बेटों असद व अहजम को पुलिस ने उठा लिया और उन्हें गोपनीय स्थान पर ले जाकर पूछताछ चलती रही. पुलिस की टीमें दोनों से मामले में अतीक परिवार की भूमिका को लेकर सवाल कर रही हैं. हत्यारों की तलाश में एसटीएफ सहित एसओजी की 10 टीमें लगा दी गई हैं. इसके साथ ही प्रयागराज से जुड़े जनपदों की पुलिस को अलर्ट किया गया है.
इसके अलावा उनके दो दोस्तों सहित कुल सात लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की रही है. पुलिस ने अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन से भी पूछताछ की. वहीं पुलिस की टीमें माफिया अतीक से पूछताछ के लिए अब गुजरात की साबरमती जेल रवाना होगी. उमेश पाल हत्याकांड के बाद से जो सीसीटीवी फुटेज जारी हुआ, उसमें एक हमलावर को देखकर इस हत्याकांड में शक की सुई सबसे ज्यादा अतीक अहमद पर है. इसलिए वारदात के बाद से ही पुलिस का शिकंजा अतीक अहमद के परिवार और उससे जुड़े लोगों पर कस गया है.
उमेश पाल हत्याकांड को जिस तरह से अंजाम दिया गया है, उससे साफ जाहिर है कि इसके लिए पहले से योजना बनाई गई थी. उमेश के गाड़ी से उतरते ही हत्यारों ने उन पर हमला बोल दिया. हमलावर कचहरी से ही उमेश के पीछे थे. उन्हें पता था कि साथ में गनर भी हैं. इसलिए पूरी तैयारी के साथ घेराबंदी करते हुए हमला किया गया, जिससे गनर भी पोजीशन नहीं ले पाए. खास बात है कि हमलावरों ने वारदात में बम का इस्तेमाल किया. उनकी योजना थी कि सिर्फ गोली चलाने पर गनर भी जवाबी फायरिंग कर सकते हैं, इससे उमेश का बचने की संभावना हो सकती है. वहीं बम के हमले में ऐसा नहीं होगा. इसलिए अन्य बदमाशों के ताबड़तोड़ फायरिंग करने के साथ ही एक बदमाश लगातार बम फेंकता रहा.
रंजिश से लेकर जान लेने के इस खेल की वजह पर नजर डालें तो अतीक अहमद और उमेश पाल के बीच अदावत राजू पाल हत्याकांड के बाद शुरू हुई. बसपा विधायक राजू पाल की हत्याकांड के बाद उमेश पाल को अतीक गिरोह ने अपना सबसे बड़ा दुश्मन मान लिया. अतीक गिरोह लगातार उमेश को धमकाता रहा. लेकिन, वह पीछे नहीं हटे. शुक्रवार को भी उमेश कोर्ट में अतीक गिरोह द्वारा उनके अपहरण के मामले में गवाही देने कोर्ट पहुंचे.
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बसपा के तत्कालीन विधायक राजू पाल की 25 जनवरी 2005 को सुलेम सराय क्षेत्र में सनसनीखेज तरीेके से हत्या कर दी गई थी. हमले में राजू के साथ संदीप यादव और देवी लाल भी मारे गए थे. राजू के गनर समेत कई लोग घायल हुए थे. इस मामले में राजू की पत्नी पूजा पाल ने तत्कालीन सांसद अतीक अहमद, अशरफ, फरहान, आबिद, रंजीत पाल और गुफरान समेत नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. इसी मुकदमे के राजू पाल के बचपन के दोस्त और रिश्तेदार उमेश पाल मुख्य गवाह बने थे. यहीं से उनकी जान पर खतरा मंडराना शुरू हो गया.
इसके बाद से ही अतीक गिरोह और उमेश पाल के बीच रंजिश शुरू हो गई. अतीक की तमाम कोशिशों के बावजूद उमेश नहीं डरे. वह लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अतीक गिरोह से लड़ते रहे. मामले में सीबीआई जांच शुरू होने पर उमेश ही मुख्य गवाह बने थे. इस बीच कभी उमेश का अपहरण किया गया, तो कभी कचहरी में पकड़कर धमकाया गया. कभी रंगदारी मांगी गई तो कभी हत्याकांड में जबरन नामजद करा दिया गया.
उमेश ने कई बार प्रयागराज सहित लखनऊ के अधिकारियों से अपनी जान पर खतरे का अंदेशा जताया. शासन के निर्देश पर उन्हें हथियारों के साथ दो सिपाही सुरक्षा में मिले थे, लेकिन, इसके बाद भी उमेश की सनसनीखेज तरीके से हत्या कर दी गई. वहीं गनर संदीप भी मारा गया. दूसरे गनर राघवेंद्र की हालत गंभीर बनी हुई है.
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28 फरवरी 2008: अतीक गैंग ने राजू पाल हत्याकांड के बाद मुख्य गवाह उमेश पाल का अपहरण कर उन्हे धमकाया. हत्याकांड में गवाही देने से पीछे हटने को कहा गया. जान से मारने की धमकी दी गई. इसके बाद उमेश ने अतीक, अशरफ समेत गिरोह के कई गुर्गों के खिलाफ अपहरण की एफआईआर दर्ज कराई.
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11 जुलाई 2016: उमेश पाल जब अपहरण के मामले में गवाही देने कचहरी पहुंचे तो वहीं उन पर हमला किया गया. गोलियां चलाईं गईं, किस्मत से उमेश बच गए. इसके बाद उन्होंने अतीक, अशरफ, हमजा समेत गिरोह के अन्य शातिरों के खिलाफ हमले की एफआईआर दर्ज कराई.
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14 जुलाई 2016 : अतीक गैंग ने नया दांव चलते हुए 14 जुलाई को धूमनगंज के जितेंद्र पटेल की हत्या में उमेश को नामजद करा दिया. उमेश का इससे कोई वास्ता नहीं था. लेकिन उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा. बाद में इस हत्याकांड में उमेश को बाइज्जत बरी कर दिया गया.
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अतीक के गुर्गों ने धूमनगंज में फरवरी 2022 में उमेश से एक करोड़ की रंगदारी मांगी. नहीं देने पर फिर जान से मारने की धमकी दी गई. फरवरी के इस मामले में पुलिस ने अगस्त माह में एफआईआर दर्ज की.