Bihar Flood 2022: पूर्णिया जिले में कनकई, महानंदा, परमान, बकरा एवं दास नदी के जलस्तर में आयी वृद्धि से जिले के तीन अंचलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. बाढ़ के फलस्वरूप बायसी, बैसा एवं अमौर अंचल अन्तर्गत 22 पंचायत के कुल 45 गांव प्रभावित हुए हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में प्रशासनिक स्तर से कोई राहत व बचाव कार्य अब तक शुरू नहीं होने से बाढ़ प्रभावित परिवारों में काफी असंतोष है.
आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, बाढ़ से कुल 2,691 परिवार के 10,524 आबादी प्रभावित हुए हैं. बाढ़ के साथ तेजी से नदी कटाव होने से अब तक 28 पक्का मकान एवं 148 झोपड़ी मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं. यातायात व्यवस्था भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लगभग ध्वस्त हो गये हैं. प्रशासनिक स्तर पर यातायात दुरुस्त करने का प्रयास जारी है. जहां भी सड़क कट गये हैं उसकी मरम्मत करायी जा रही है.
अमौर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बंगरा मेहदीपुर पंचायत के रमणी गांव वार्ड एक एवं दो में परमान नदी से भीषण कटाव जारी है. इससे वार्ड दो में लगभग 16 परिवारों का घर नदी में समा गया है. वहीं लगभग 30 से 40 घरों पर कटाव की खतरा मंडरा रहा है. वहीं स्थानीय मुखिया अब्दुल कुद्दुस ने बताया कि परमान व बकरा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है. इससे रमनी गांव वार्ड 1 एवं 2 में कटाव तेज हो गया है.इससे 15 परिवार के घर नदी में समा गये.वहीं कटाव की जद में लगभग 40 घर है. वह कभी भी नदी में समा सकता है.
Also Read: Bihar Flood Live: बिहार में छोटी नदियों का विकराल रूप, कोसी-सीमांचल में बाढ़ की तबाही, जानें अपडेटअमौर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बहने वाली नदियों कनकई और महानंदा स्थिर और परमान व बकरा में काफी उफान जारी है.इसी के साथ परमान की सहायक नदी बकरा में उफान है. इससे कई पंचायतो में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. लोग सुरक्षित स्थान की तलाश में गांव से पलायन करने लगे हैं. इधर पलसा प्रधानमंत्री सड़क से खेमीया जाने वाली कच्ची सड़क और कलवर्ट पूरी तरह डूब गया है.इससे खेंमिया गांव वाले का मुख्यालय से आना जाना भंग हो गया है.
बैसा प्रखंड क्षेत्र में भीषण बाढ़ के कारण प्रखंड क्षेत्र के सभी 16 पंचायतों का प्रखंड मुख्यालय से संपर्क भंग हो गया है, दर्जनों गांव टापू बन गए हैं. अचानक आयी आफत की बारिश एवं बाढ़ ने पीड़ितों को संभलने का मौका नहीं दिया. वहीं बाढ़ से किसानों के धान की फसल का बिचड़ा पूरी तरह बर्बाद हो चुका है. प्रभावित गांवों के लोग घरेलू समान और मवेशियों को लेकर उंचे स्थान पर शरण लिए हुए हैं.
Published By: Thakur Shaktilochan