विजय कुमार सिंह, पूर्णिया: सोमवार को रुपौली थाना क्षेत्र के रामपुर परिहट पंचायत के गोखली टोला से छठ्ठू मंडल के दरवाजे से नारायणपुर चौहद्दी गांव के रामदेव मंडल के घर के लिए धूमधाम से बारात निकली. मगर किसी को क्या मालूम था कि जिस दूल्हा वरूण को अपनी नयी नवेली बहू को लेकर लौटना था, उसे पांच-पांच अर्थी लेकर लौटनी होगी. अर्थियों के साथ गांव लौटे दूल्हा वरूण को हल्दी के बदले खून से सने कपड़े में देखकर पूरा रूपौली रो पड़ा. जिससे घरवाले ने हंसी-ठिठोली कर बारात में अपना सेहरा ठीक से संभालने कहा था, उसने कलेजे पर पत्थर रखकर पार्थिव शरीरों को कंधा दिया.
नारायणपुर चौहद्दी गांव के रामदेव मंडल के यहां बारात पहुंचने से पहले ही भागलपुर के बिहपुर में एनएच 31 पर बारात की एक ऑटो ट्रक की चपेट में आ गयी. इस हादसे में दूल्हा वरुण के पिता छठ्ठु मंडल, चाचा मदन मोहन मंडल, चाचा पिंटू मंडल, फूफा गजाधर मंडल और गांव का ऑटो चालक गजेन्द्र साह की जान चली गयी.
सड़क हादसे में बड़ा भाई बिपिन मंडल, बिनोद मंडल, मिठ्ठू मंडल, मयंन मंडल, सूरज मंडल ,सौरव मंडल आदि गंभीर रूप से जख्मी हो गये. जैसे ही गांव में यह खबर मिली कि वरुण की शादी में गयी बारात में पांच लोगों की मौत सड़क हादसे में हो गयी तो पूरे गांव में हर तरफ कोहराम मच गया. सुबह होते-होते पूरा रूपौली गमगीन हो गया.
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दूल्हे की मां रंजो देवी एक ही बात कहकर रोने लगती थी आवे रहल रहे दुलहन तह इह हमर मालिक के लाश केनाय के आबी गेलय होव बाप. यह कहकर रो रोकर चित्कार कर दहाड़ मार कर मूर्छित हो कर जमीन पर गिर जाती है. वापस होश में आने पर एकही बात रट लगाये रहती है. वहीं मदन मोहन की पत्नी बिशेखा, पिंटू की पत्नी किरण सभी महिलाओं को एक साथ हाथों की कांच की चूड़ियां फोड़ते देख देख हर कोई दहल जाता है.
किरण कलपती है कि भतीजे की शादी के लोकर दो जोड़ा कपड़ा सिलाई थी. नये कपड़े पहनकर रस्मो रिवाज करेगी. वही बिशेखा रो-रोकर बदहवास है. वह एक ही बात का रट लगाये है कि अब उसका संसार कैसे चलेगा. ओटो चालक गजेंद्र मंडल की पत्नी इना देवी फफकती है होव बाबु जब गंभीर रूप से बिमार छलैय तबे ठीक होय गेलय. जब सबकुछ ठीक होय गेलय तो हमरा छोड़ चल गलये.
दूल्हा वरूण के फूफा उदाकिशुनगंज निवासी गजाधर मंडल को पूरे गांव ने अंतिम विदाई तो हर किसी की आंखों में आंसू थे. फूफा का शव अन्य शवों के साथ रूपौली पहुंचा. इसके बाद पूरे गांव ने कलेजे पर पत्थर रखकर अपने मेहमान की अर्थी उनके गांव उदाकिशनगंज भेजी. हर कोई बरबस फफक पड़ा कि किसी दुश्मन को भी यह दिन नहीं देखना पड़े कि उसे उसके मेहमान का शव ससुराल से घर भेजना पड़े. शवयात्रत्रा में हर तरफ अर्थी ही अर्थी दिखाई दे रही थी.
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Posted By: Thakur Shaktilochan