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पूर्णिया कृषि कॉलेज की तकनीक पर अब बंग्लादेश में होगा मखाना का उत्पादन, उच्चायुक्त ने सरकार को दिया प्रस्ताव

एक तरफ जहां इस काॅलेज के वैज्ञानिकों द्वारा निकाली गयी मखाना आधारित तकनीक को बंग्लादेश ले जाने का प्रस्ताव आया वहीं दूसरी ओर इस तकनीक को पूरे उत्तर बिहार में विस्तारित किये जाने की घोषणा की गयी. कहा है कि मखाना अनुसंधान एवं विकास में पूर्णिया कृषि काॅलेज का अहम योगदान है.

पूर्णिया. पटना में आयोजित राष्ट्रीय मखाना महोत्सव-सह-प्रदर्शनी में पूर्णिया कृषि काॅलेज का जलवा इस बार भी बरकरार रहा. एक तरफ जहां इस काॅलेज के वैज्ञानिकों द्वारा निकाली गयी मखाना आधारित तकनीक को बंग्लादेश ले जाने का प्रस्ताव आया वहीं दूसरी ओर इस तकनीक को पूरे उत्तर बिहार में विस्तारित किये जाने की घोषणा की गयी. जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम अन्तर्गत इस कृषि महाविद्यालय द्वारा जलजमाव क्षेत्रों के विकास के लिए तैयार किये गये मॉडल को भी राज्य सरकार ने सराहा है और कहा है कि मखाना अनुसंधान एवं विकास में पूर्णिया कृषि काॅलेज का अहम योगदान है.

खास बातें

  • उत्तर बिहार के सभी जिलों में किया जायेगा तकनीक का विस्तार

  • राष्ट्रीय मखाना महोत्सव-सह-प्रदर्शनी में पूर्णिया कृषि कॉलेज का जलवा

  • मखाना अनुसंधान एवं विकास में पूर्णिया कृषि कॉलेज का अहम योगदान

पटना में लगी थी प्रदर्शनी

कृषि विभाग बिहार सरकार के उद्यान निदेशालय द्वारा वैश्विक स्तर पर मखाना के मार्केटिंग एवं ब्रांडिंग को लेकर जागरूकता कार्यक्रम के तहत पटना में दो दिवसीय राष्ट्रीय मखाना महोत्सव-सह-प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था. बिहार सरकार के कृषि सचिव संजय अग्रवाल, कृषि निदेशक डा. आलोक रंजन घोष, उद्यान निदेशक अभिषेक कुमार, विशेष सचिव कृषि शैलेन्द्र कुमार सिंह के अलावा बिहार सरकार के कृषि एवं उद्यान निदेशालय के अन्य राज्य स्तरीय पदाधिकारियों ने इस आयोजन का जायजा लिया.

जल जमाव क्षेत्रों का विकास करने की तकनीक पर फोकस

इस दौरान पूर्णिया कृषि कॉलेज के वैज्ञानिक डा. अनिल कुमार द्वारा उद्यान निदेशालय वित्त पोशित मखाना विकास योजना की सफलता के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के दौर में जल जमाव क्षेत्रों का विकास करने की तकनीक पर फोकस किया गया. इसके लिए वैज्ञानिक तकनीकों की विस्तृत जानकारी दी गयी. कृषि सचिव ने कृषि महाविद्यालय के मखाना अनुसंधान एवं विकास के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि आनेवाले वर्षों में मखाना आधारित तकनीक को सम्पूर्ण उत्तर बिहार में विस्तारित करने की घोषणा की. इसके साथ ही भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय को सबौर मखाना-1 के बीज उपलब्धता की जिम्मेदारी दी गयी.

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मखाना तकनीक को बंग्लादेश ले जाने में मदद का आग्रह

इस अवसर पर पूर्णिया कृषि कॉलेज के प्राचार्य डा पारसनाथ ने बंग्लादेश से आये उच्चायुक्त के कांउसिलर मो अब्दुंलबादूद को महाविद्यालय द्वारा विकसित मखाना आधारित तकनीकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. पूरी बात सुनने के बाद उन्होंने कहा कि बंग्लादेश में भी बड़े पैमाने पर जलजमाव क्षेत्र हैं जो बेकार पड़े रहते हैं. उन्होंने बिहार के कृषि सचिव से मखाना आधारित तकनीक को बंग्लादेश की धरती पर पहुंचाने में मदद का आग्रह किया. मखाना महोत्सव के दूसरे दिन तकनीकी सत्र के बाद उद्यान निदेशक अभिषेक कुमार ने भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया के प्रचार्य एवं मखाना वैज्ञानिकों की टीम को प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया.

फसल लगाने से पूर्व मिट्टी की जांच कराने की सलाह

वैज्ञानिकों में डा. पंकज कुमार यादव ने किसानों के साथ तकनीकी चर्चा में वर्तमान कृषि में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को फसल लगाने से पूर्व मिट्टी की जांच कराने की सलाह दी और कहा कि अच्छे बीज अच्छी गुणवत्ता की खाद के उपयोग के साथ समय-समय पर वैज्ञानिकों से तकनीकी सलाह लेनी चाहिए. इस अवसर पर वैज्ञानिक डा पंकज कुमार यादव, डा अनिल कुमार, डा रूबी साहा, डा विकास कुमार, डा पंकज कुमार मंडल आदि उपस्थित थे.

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