पूर्णिया : अपनी जान जोखिम मर डाल कर कोरोना संक्रमित मरीजों के काफी नजदीक रहने वाले डॉक्टरों को पूर्णियावासी सलाम कर रहे हैं. ये वही डाक्टर हैं. जिन्होंने आइसोलेशन में भर्ती कोरोना संक्रमित पहले और दूसरे पॉजिटिव मरीज का लगातार इलाज किया और दोनों स्वस्थ हो गये. अभी भी वे संक्रमितों के इलाज में लगातार जुटे हुए हैं. उन्हें पता है कि यह काम जोखिमों से भरा है पर दूसरों की जान बचाने के लिए डाक्टरों ने अपना जीवन भी दांव पर लगा दिया है. हालांकि डाक्टर इस बात को नहीं मानते. वे कहते हैं कि दूसरों की जान बचाना ही उनका फर्ज है. गौरतलब है कि पूर्णिया में शहरी क्षेत्र के तीन चिकित्सक, तीन नर्स सहित फर्मासिस्ट और सफाई कर्मी दिन रात संक्रमित व्यक्तियों के इलाज में लगे हुए हैं. ये सभी डॉक्टर्स दो से तीन शिफ्ट में कार्य कर रहे हैं.
एक दो डॉक्टर्स ऐसे भी हैं जिन्हें डायबिटीज भी है. इसके बावजूद कर्म को सेवा मानते हुए अपना कार्य बिना कोई डर के कर रहे हैं. दिन रात संक्रमित व्यक्तियों के सबसे करीब यही रहते हैं. जब वे घर जाते हैं तो सबसे पहले कपड़ा बदल कर घर से बाहर ही स्नान करते हैं. इससे पहले घर के दरवाजे पर पहुंचते ही डॉक्टर्स एवं नर्स के छोटे-छोटे बच्चे करीब आने की कोशिश करते हैं पर यहां वे अपनी मोह-ममता का भी त्याग करते हैं. कुरेदने पर डॉक्टर्स कहते हैं कि फर्ज के सामने भावनाएं गौण हो जाती हैं पर परिजनों की सुरक्षा का भी ख्याल रखना पड़ता है. कोरोना संक्रमितों का इलाज करने वाले डाक्टरों ने कुरेदने पर बताया कि वे दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कोरोना से युद्ध करने में जुटे हैं.
एक तरफ वे दवा देते हैं तो दूसरी ओर मरीजों का हौसला भी बढ़ाते हैं. मरीजों को अहसास नहीं होने देते कि वे संक्रमित हैं. उनके सहयोगी नर्स व पारा मेडिकल स्टाफ भी इसका ख्याल रखते हैं. एक डाक्टर ने बताया कि वे खुद डायबिटीज के रोगी हैं पर अपने कर्तव्य के प्रति सजग हैं. चूंकि मरीजों के परिजनों को वहां जाने से मनाही है इसलिए वे डाक्टर के साथ परिजन की भूमिका भी निभाते हैं. ड्यूटी कर रही एक नर्स ने बताया कि जब घर से अपनों से दूर संक्रमित व्यक्तियों का जांच करती हैं तो यह भूल जाती हैं कि यह कोरोना संक्रमित है.
इस पेशा में मरीज को स्वस्थ करना ही हम सबका कर्तव्य है.कहते हैं अधिकारीकोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में डॉक्टर्स, नर्स सहित सभी स्वास्थ्यकर्मी दिन रात लगे हुए हैं जो काबिले तारीफ है. इसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है. इन्हीं डॉक्टरों की बदौलत आज जिले के दो संक्रमित व्यक्ति ठीक हो कर घर में है. ऐसे डॉक्टरों पर गर्व है जो अपने परिवार से दूर अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं.