जयपुर : राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि कोरोना वायरस महामारी से उपजे संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ‘काम के बदले अनाज’ जैसी कोई योजना लाये. इसके साथ ही गहलोत ने कहा कि लाॅकडाउन पर फैसला राज्यों की परिस्थितियों को देखते हुए लिया जाये. मुख्यमंत्री ने शनिवार को प्रधानमंत्री के साथ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग में पीएम को यह सलाह दी.
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उन्होंने कहा, ‘कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए घोषित लाॅकडाउन के कारण कचरा बीनने वाले, रेहड़ी/रिक्शा चलाने वाले, घुमंतू व अन्य असहाय लोगों के जीविकोपार्जन पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में भारत सरकार को ‘काम के बदले अनाज’ की तर्ज पर एक योजना पुनः नये रूप में लाने पर विचार करना चाहिए. ऐसी योजना के संचालन के लिए अनाज भारत सरकार के पास बहुतायात में उपलब्ध है.’
श्री गहलोत ने कहा कि उक्त योजना वर्ष 2002 में अकाल-सूखे के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय लायी गयी थी और बहुत लोकप्रिय व सफल साबित हुई थी. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन के दायरे में नहीं आने वाले जरूरतमंद वर्गों के 31 लाख से अधिक परिवारों को 2,500 हजार रुपये की अनुग्रह राशि उपलब्ध करायी है.
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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से भी इस श्रेणी के लोगों के लिए अनुग्रह राशि की योजना लायी जानी चाहिए, ताकि उन्हें आर्थिक रूप से संबल मिल सके. इसके साथ ही श्री गहलोत ने उद्योगों के लिए प्रोत्साहन पैकेज तथा केंद्रीय जीएसटी में रियायत देने का सुझाव दिया.
उन्होंने राज्य के लिए उधार लेने की क्षमता व एफआरबीएम अधिनियम में उल्लेखित राजकोषीय घाटे की सीमा जीडीपी के 5 प्रतिशत तक बढ़ाने की अनुमति प्रदान करने की मांग रखी. उन्होंने राज्य सरकारों को एक लाख करोड़ रुपये की अनुदान राशि शीघ्र उपलब्ध करवाने की मांग की.
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लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार द्वारा उठाये गये विभिन्न कदमों की जानकारी देते हुए श्री गहलोत ने इसके संबंध में फैसला राज्यों की परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें विश्वास में लेकर सामूहिक तौर पर करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा लिये गये फैसले को राज्य सरकार लागू करेगी.