सत्ता से दूर रहकर भी कांग्रेस और कलह आज तक एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं. जिसका खामियाजा अंतत: कांग्रेस को भी भुगतना पड़ता है. हालांकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि राजस्थान कांग्रेस में सब कुछ ठीक चल रहा है, सभी विधायक उनके साथ हैं और राज्यसभा चुनाव में राजस्थान की तीन में से दो सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवारों की जीत होगी. पर राजस्थान और इससे बाहर पिछले दिनों हुए घटनाक्रम से यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है कि राजस्थान कांग्रेस में सब कुछ सही चल रहा है.
दरअसल टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में कांग्रेस तेजी से संकट में घिरता जा रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और युवा उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी सार्वजनिक प्रतिद्वंद्विता इसमें योगदान दे रही है. रिपोर्ट के मुताबिक रविवार शाम दो राजधानी दिल्ली में भाजपा के एक शीर्ष नेता के साथ एक राज्य के कांग्रेस के शीर्ष नेता के बैठक की अफवाह उड़ी, जिससे राजस्थान कांग्रेस की परेशानी बढ़ गयी है. यह खबर तब आयी जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले से सतर्क थे, साथ ही उनके ऊपर यह आरोप भी लगे की उन्होंने पार्टी के विधायकों की हर एक मूवमेंट की जानकारी के लिए जासूस भी रखे थे. विधायक बाहर नहीं जा पाये इसलिए राजस्थान की सीमा सील कर दी गयी. पर सीमा सील करने के पीछे कोरोना वायरस को अधिकारिक वजह बताया गया. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार सीमाएं सील की गयी थी क्योंकि मुख्यमंत्री को डर था कि कुछ विधायक हरियाणा के एक रिसॉर्ट में जा सकते हैं. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है.
Also Read: राज्यसभा चुनाव में खरीद-फरोख्त रोकने के लिए अशोक गहलोत, निर्दलीय विधायकों ने रिसोर्ट में बितायी रात
एक और घटनाक्रम पर गौर तो बीते शुक्रवार को अचानक अशोक गहलोत को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाने की जरूरत क्या था. क्या वे यह दिखाना चाह रहे थे कि उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच उनके संबंध अच्छे हो गये हैं. उन दोनों ने अपने पुराने मतभेदों को भूला दिया है. मीडिया के सामन यह दिखाने का प्रयास किया गया कि अब दोनों एक साथ आगे बढ़कर कार्य करेंगे. पर एक तरह से प्रेस कॉन्फ्रेंस ने राजस्थान कांग्रेस को फायदा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया. प्रेस कॉन्फ्रेंस ने कई लोगों के मन में यह धारणा प्रबल कर दी कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री अलग-अलग उद्देश्यों पर काम कर रहे हैं.
अगर पिछले कुछ घटनाक्रम की बात करें तो गुरुवार सुबह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दावा किया कि भाजपा के शीर्ष नेता कांग्रेस विधायकों को खरीदने और राज्य में कांग्रेस सरकार का समर्थन करने वाले स्वतंत्र उम्मीदवारों को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं. जबकि खुद कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों के साथ बैठक करके आ रहे थे जहां विधायकों को रखा गया था. इधर मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद राजस्थान कांग्रेस में भी दरार की खबरे आयी थी. अगर कांग्रेस पार्टी के सूत्रों की माने तो राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के माध्यम से कील चलाने का पहला गंभीर प्रयास 21-22 मार्च के आसपास किया गया था. लेकिन सितारों ने अशोक गहलोत के साथ थे जिसके कारण इस कथित प्रयास के दिनों के भीतर एक राष्ट्रीय लॉकडाउन के लागू हो गया और कांग्रेस टूट से बच गयी.