राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले कांग्रेस ने कमर कस ली है. गुरुवार को कांग्रेस ने चुनाव कमेटी बनायी जिसमें गोविंद सिंह डोटासरा को चेयरमैन नियुक्त किया गया. इस बाबत कांग्रेस की ओर से एक सूची जारी की गयी जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का नाम नजर आ रहा है. पार्टी की ओर से जो सूची जारी की गयी है उसमें 29 नाम दिख रहे हैं. कमेटी में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, जितेंद्र सिंह, सचिन पायलट, रघुवीर मीणा, रामेश्वर डूडी, मोहन प्रकाश, रघु शर्मा, हरिश चौधरी, लालचंद कटारिया, महेंद्र जीत मालवीय समेत कुल 29 सदस्य बनाये गये हैं.
आपको बता दें कि पिछले दिनों कांग्रेस ने राजस्थान में जारी संकट को खत्म कर लिया. इसके बाद पार्टी ने कहा कि प्रदेश में वह सीएम फेस के साथ चुनावी मैदान में नहीं उतरेगी. साथ ही नेताओं को ये नसीहत दी गयी कि जो भी बात हो वो पार्टी फार्म में रखा जाए. कोई भी नेता इसके इतर कहीं पार्टी की बात लेकर ना जाए.
गहलोत सरकार ने अपने 94 प्रतिशत चुनावी वादे किये पूरे
इस बीच कांग्रेस की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष और चुनाव के लिए नियुक्त किये गये चेयरमैन गोविंद सिंह डोटासरा ने विपक्षी भाजपा नेताओं पर आरोप लगाया कि वे चुनावी साल में ऐसा माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं कि राज्य में अपराध और भ्रष्टाचार बढ़ रहे हैं तथा कांग्रेस सरकार सुशासन देने में सक्षम नहीं है. डोटासरा ने दावा किया कि राजस्थान की मौजूदा अशोक गहलोत सरकार ने अपने 94 प्रतिशत चुनावी वादे पूरे किये हैं.
राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने राज्य चुनाव समिति का गठन किया। pic.twitter.com/KzVfvUjx1B
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 20, 2023
गोविंद सिंह डोटासरा का भाजपा पर हमला
गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा समेत पार्टी नेता कभी नोटबंदी, किसानों की आय दोगुनी करने, तीन कृषि कानून, भ्रष्टाचार खत्म करने के बारे में जवाब देते नजर नहीं आते हैं. वे (भाजपा) कभी भी अपने वादों के बारे में बात नहीं करते हैं और अनर्गल बयान देकर कांग्रेस और उसकी सरकारों को कोसने का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि मैं भाजपा नेताओं को चुनौती देना चाहता हूं कि वे केंद्र और पिछली राज्य सरकार के चुनाव घोषणापत्र की तुलना करके दिखाएं. भाजपा ने 2014 और 2019 के चुनावी घोषणा पत्र में जो वादे किये थे उनमें से नौ प्रतिशत वादे भी आज तक पूरे नहीं हुए जबकि राज्य की वर्तमान कांग्रेस सरकार ने अपने 94 प्रतिशत वादे पूरे किये हैं.
2018 के चुनाव पर एक नजर
2018 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो सत्तारुढ़ पार्टी भाजपा चुनाव हारी और कांग्रेस सत्ता पर आसीन हुई. कांग्रेस 100 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. भाजपा महज 73 सीटों पर सिमट गयी. भाजपा के 16 मंत्री को 2018 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. यही नहीं 94 विधायकों को फिर से टिकट दिया गया था. इनमें से 54 को हार का मुंह देखना पड़ा. भाजपा ने 2018 के चुनाव में 163 विधायकों में से 94 को फिर से टिकट दिया था. इनमें से केवल 40 ही अपनी सीट बचाने में सफल रहे.
राजस्थान का ट्रेंड
यदि हम पिछले 20 साल में राजस्थान में हुए चार विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो कोई भी पार्टी लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में सफल होती नजर नहीं आयी. सत्ताधारी पार्टी के विधायक दोबारा चुनाव मैदान में उतरते हैं तो उनमें से ज्यादातर को जनता नकार देती है. जनता का सबसे ज्यादा गुस्सा मंत्रियों पर निकलता है, पिछली चार सरकारों में मंत्री रहे ज्यादातर नेता अगले चुनाव में हारते नजर आ चुके हैं. इसको देखकर राजस्थान का ट्रेंड आप सहज समझ सकते हैं कि प्रदेश की जनता हर पांच साल में सरकार बदल देती है. हालांकि कांग्रेस नेता ये दावा करते दिख रहे हैं कि सूबे में इस बार कांग्रेस फिर सत्ता पर काबिज होगी और राजस्थान का ट्रेंड बदलेगा.
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राजस्थान की राजनीति में जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों की मानें तो जब कोई पार्टी सत्ता में आती है तो प्रदेश की जनता की उम्मीदें उससे जुड़ जाती हैं. लेकिन जब पांच साल में उम्मीदें पूरी नहीं होती तो जनता अगले चुनाव में उनको करारा जवाब देती है. सरकार के खिलाफ एंटीइन्कमबेंसी बढ़ जाती है और इसका असर चुनाव में नजर आता है. सत्तारुढ़ दल को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है.