Rajasthan Chunav 2023 : राजस्थान में इस साल चुनाव होने वाले हैं जिससे पहले प्रदेश की राजनीति गरम हो चुकी है. इस बीच पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के तीन जवानों के परिजन कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की मांग को लेकर सोमवार को कांग्रेस नेता सचिन पायलट के आवास पहुंचे. पीड़ित परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि राज्य सरकार ने परिवारों से कई वादे किये थे जो अब तक पूरे नहीं किये गये हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी उनसे नहीं मिल रहे हैं. सदस्यों ने कहा कि अब कांग्रेस आलाकमान ही एकमात्र विकल्प बचा है.
शहीदों की पत्नियों की मांगों में उनकी (शहीद की) प्रतिमाएं लगाना, अनुकम्पा के आधार पर परिजनों की नियुक्ति, उनके गांवों में सड़कों का निर्माण आदि शामिल हैं. पायलट से उनके आवास पर मुलाकात के बाद परिजन आवास के मुख्य द्वार के बाहर धरने पर बैठ गये. पायलट ने इस संबंध में मीडिया से बात की और कहा कि यदि इच्छा शक्ति है, तो हर चीज का समाधान निकल सकता है, लेकिन पिछले दिनों जिस प्रकार से पुलिस का व्यवहार रहा वो सच में निंदनीय है.. ऐसा नहीं होना चाहिए था बल्कि जो इसके लिये जिम्मेदार हैं उन पर भी कार्रवाई करनी चाहिए.
सचिन पायलट ने कहा कि अगर नियमों में कोई बदलाव करना है तो राज्य सरकार करे. मामला शहीदों के परिजनों से जुड़ा है. साथ ही पुलिस के व्यवहार को भी सही नहीं कहा जा सकता. बाद में पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर शहीद जवानों की पत्नियों के साथ कथित पुलिस दुर्व्यवहार की जांच की मांग की. उन्होंने अनुकम्पा के आधार पर नौकरी के नियमों में नरमी बरतने जैसी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का भी अनुरोध किया.
यहां चर्चा कर दें कि जयपुर के शहीद स्मारक पर पिछले कुछ दिनों से धरने पर बैठे शहीदों के परिवार के सदस्यों के साथ पुलिस ने उस समय कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया, जब वे राजभवन में राज्यपाल को ज्ञापन देने के बाद वहां से मुख्यमंत्री आवास की ओर पैदल मार्च कर रहे थे. भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के नेतृत्व में शहीदों के परिवार के सदस्य राज्य सरकार द्वारा उनसे किए गए वादों को पूरा करवाने की मांग को लेकर 28 फरवरी से धरने पर बैठे हैं.
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भाजपा सांसद ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि न्याय के लिये दर दर भटक रही वीरांगनाओं ने आज सचिन पायलट के निवास पर पहुंच कर अपना दुखड़ा सुनाया. मुझे आशा है कि महिलाओं को सुरक्षा और सुविधा देने का दावा करने वाली अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के उच्च पदस्थ पदाधिकारियों तक वे उनकी विपरीत परिस्थिति को अवश्य ही पहुंचायेंगे.