राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस की ओर से तीन दिवसीय चिंतन शिविर काआयोजन किया गया. लेकिन राजस्थान कांग्रेस के अंदरखाने में जो सियासी द्वंद दिख रहा है उससे कांग्रेस की ही चिंता बढ़ गई है. दरअसल, चिंतन शिविर में भी सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच कम नहीं हुईं. इसका कारण है कि चिंतन शिविर में प्रदेश के दो दिग्गज नेता एक-दूसरे के आस-पास भी दिखाई नहीं दिए.
राजस्थान कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन नहीं
चिंतन शिविर के पहले ही दिन सचिन पायलट ने बयान दिया था कि युवाओं को विशेष तवज्जों दी जाएगी. पायलट गुट के अन्य नेताओं ने भी कहा था कि हाईकमान अब इंसाफ करेगा. हालांकि, इसके बाद अशोक गहलोत जब मीडिया के सामने आये और विक्टरी साइन दिखाया तो साफ हो गया कि अभी उन्हें कोई टेंशन नहीं है.
बयानों ने बढ़ाई चिंता
इधर, राजस्थान कांग्रेस के कुछ नेताओं के बयान भी यह साफ कर रहे हैं कि प्रदेश की सरकार अभी टेंशन फ्री है. राज्य के नेताओं का बयान आ रहा है कि प्रदेश में अगला चुनाव अशोक गहलोत के ही नेतृत्व में लड़ा जाएगा. इन बयानों से साफ है कि अगले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी अशोक गहलोत पर ही दांव खेलेगी. सचिन पायलट अभी किसी बड़ी जिम्मेदारी से महरुम ही रहेंगे.
दरकिनार हो रहे हैं पायलट!
प्रदेश में चिंतन शिविर को लेकर जोरदार तैयारी की गई. जगह-जगह बैनर पोस्टर लगाए गए. लेकिन पायलट के समर्थकों की ओर से लगाए गए सचिन पायलट के फोटो और होर्डिंग्स हटवा दिए गए और यह कहा गया कि, जिस भी नेता के समर्थकों ने ऐसे होर्डिंग्स लगवाए हैं उन्हें उतारा गया है. इतना ही नहीं मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तो पूरे चिंतन शिविर में कहीं भी पायलट के फोटो वाले होर्डिंग्स नहीं दिखाई दिए. साफ है कि गहलोत और पायलट के बीच कोल्ड वार जारी है.
इधर, चिंतन शिविर शुरू होने से पहले होटल जाने के दौरान राहुल गांधी और सीएम अशोक की बगल वाली सीट में बैठे थे. राहुल गांधी सीएम अशोक गहलोत को खासी तवज्जों भी दे रहे थे. दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों को लेकर बातचीत भी हुई. यह भी इस बात के संकेत हैं कि सीएम की कुर्सी पर अभी गहलोत काबिज रहेंगे. आने वाला विधानसभा चुनाव उनके ही नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा.
गौरतलब है कि सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट में वर्चस्व की जंग चल रही है. शह मात का जो खेल प्रदेश में छिड़ा है उसमें नफा-नुक्सान में अशोक गहलोत रहे या सचिन पायलट, लेकिन उसमें हार कांग्रेस की होगी. पंजाब में इसकी बानगी पार्टी देख चुकी है. जब कैप्टन अमिरंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्दू के बीच के विवाद ने प्रदेश में कांग्रेस को ही सत्ता से बेदखल कर दिया.