हाल ही में संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव के पहले से राजस्थानी में शुरू हुआ सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा. अब खबरों के मुताबिक, राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच के तनातनी अब खुल कर सामने आ गई है. राजस्थान के इस सियासी संग्राम के बीच रविवार सुबह सचिन पायलट ट्विटर पर ट्रेंड करने लगे. कई सोशल मीडिया यूजर ने पूछा कि क्या क्या सचिन पायलट अगले सिंधिया होंगे? इसके साथ ही लोग पायलट, मोदी, शाह, गहलोत और सिंधिया पर बने कई मजेदार पोस्ट शेयर करने लगे.
Is #Sachinpilot Will Be Next Scindia ? pic.twitter.com/CMtQWVo4pn
— Rohit kale 🇮🇳 (@kale_rohit_3303) July 12, 2020
ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि सचिन पायलट भी मध्य प्रदेश के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह जाते दिखाई दे रहे हैं. दरअसल, यह मामला उस समय गरमा गया है जब सीएम अशोक गहलोत ने शनिवार को आरोप लगाया कि उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है. इसके बाद शनिवार को घटनाक्रम तेजी से बदला. कई टीवी चैनलों ने सूत्रों के हवाले से दावा किया कि सचिन पायलट दर्जन से ज्यादा विधायकों के साथ दिल्ली में हैं. बताया जा रहा है कि अब वह आलाकमान से मिलकर मामले को निपटाने के मूड में हैं. इधर, ये बी खबर आई कि शनिवार रात अशोक गहलोत ने अपने सभी मंत्रियों के साथ बैठक की. दरअसल, सचिन पायलट का आरोप है कि उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है. सरकार के फैसलों में अहमियत नहीं दी जाती है. उधर गहलोत खेमे के लोगों का आरोप है कि सचिन पायलट भाजपा के संपर्क में हैं.
जून 2019 में प्रदेश में कांग्रेस की बड़ी हार पर प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को जिम्मेदार ठहराने वाले अशोक गहलोत ने शनिवार को कहा कि जब एक मुख्यमंत्री बन गया तो बाकी लोगों को शांत हो जाना चाहिए. अपना काम करना चाहिए. उनका यह इशारा और वार उपमुख्यमंत्री और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट की तरफ था.
हाल की खबरों पर गौर करें तो राजस्थान में गहलोत बनाम पायलट चल रहा है. अशोक गहलोत के खेमे ने राज्य में जल्द नया प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने की सूचना को हवा दे रखी है. हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का दफ्तर अभी इस बारे में कुछ नहीं बोल रहा है. वहीं सचिन पायलट प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ना नहीं चाहते.
मध्य प्रदेश और राजस्थान के मौजूदा राजनीतिक हालात काफी अलग हैं. एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी इस बात को लेकर थी कि उन्हें कोई अधिकार नहीं दिए गए थे. उन्हें कोई पद नहीं दिया गया था, लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत ने कमलनाथ वाली गलती नहीं की है. कमलनाथ मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश अध्यक्ष पद भी अपने पास रखे हुए थे. वहीं गहलोत ने सचिन पायलट को अपनी कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री का पद दे रखा है. साथ ही पायलट प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी बने हुए हैं.
ताजा हालात के मद्देनजर लोग यह कयास लगा रहे हैं कि राजस्थान में भी मध्य प्रदेश जैसा हाल हो सकता है. लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा. कारण सीटों का आंकड़ा है. मध्य प्रदेश में सीटों को लेकर बीजेपी कांग्रेस के बीच का अंतर काफी कम था. लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं है. मौजूदा वक्त में राजस्थान में भाजपा के 73 विधायक हैं, आरएलपी के तीन विधायक उन्हें समर्थन दे रहे हैं. इस तरह इस खेमे में 76 विधायक हैं. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के खुद के 107 विधायक हैं और निर्दलीय सहित अन्य के समर्थन से वह बहुमत के नंबर 120 को आसानी से छू रही है. भाजपा-कांग्रेस की तुलना करें तो 44 विधायकों का अंतर है. 44 विधायकों का फासला पाटना करीब करीब असंभव है.
Posted By: Utpal kant