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26 की उम्र में सासंद और फिर केंद्रीय मंत्री, कुछ ऐसा है सचिन का सियासी करियर, पिता राजेश पायलट से मिले हैं बागी तेवर!

Sachin pilot, Rajasthan politics, Sachin pilot News: देश में छाए कोरोना संकट के बीच बीत कुछ दिन से राजस्थान का सत्ता संघर्ष सुर्खियों में हैं. और इसके केंद्र में रहे कांग्रेस के युवा तुर्क माने जाने वाले सचिन पायलट. पायलट को मंगलवार को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. भाजपा में जाने की अटकलें थीं जिसे उन्होंने बुधवार को एक टीवी से बात करते हुए खारिज कर दिया. राजस्थान में बात इतनी आगे बढ़ चुकी है, लेकिन अब भी कई नेताओं को लगता है कि यह विवाद सुलझ जाएगा. सचिन पायलट ने भी कहा है कि वो कांग्रेस से बाहर नहीं हुए हैं.

Sachin pilot, Rajasthan politics, Sachin pilot News: देश में छाए कोरोना संकट के बीच बीत कुछ दिन से राजस्थान का सत्ता संघर्ष सुर्खियों में हैं. और इसके केंद्र में रहे कांग्रेस के युवा तुर्क माने जाने वाले सचिन पायलट. पायलट को मंगलवार को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. भाजपा में जाने की अटकलें थीं जिसे उन्होंने बुधवार को एक टीवी से बात करते हुए खारिज कर दिया. राजस्थान में बात इतनी आगे बढ़ चुकी है, लेकिन अब भी कई नेताओं को लगता है कि यह विवाद सुलझ जाएगा. सचिन पायलट ने भी कहा है कि वो कांग्रेस से बाहर नहीं हुए हैं.

पिता के देहांत के कारण राजनीति में आए सचिन पायलट , 26 की उम्र में बने सांसद

सचिन पायलट का जन्म 7 सितंबर 1977 उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में दिवंगत कांग्रेस नेता राजेश पायलट और रमा पायलट के यहां हुआ था. राजेश पायलट भारत के केंद्रीय मंत्री थे. सचिन पायलट शुरूआत में राजनीति में नहीं आना चाहते थे लेकिन पिता के देहांत के बाद वो राजनीति में आए. सचिन पायलट जब 26 साल के थे तो उन्होंने राजस्थान के दौसा लोकसभा क्षेत्र से चुना लड़ा था, और साल 2004 में लोकसभा चुनावों में, भारत के सबसे कम उम्र के सांसद बने.

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इसी साल सचिन पायलट सबसे कम उम्र में गृह मामलों की लोकसभा की स्थायी समिति के सदस्य बने, फिर साल 2006 में वो नागरिक उड्डयन मंत्रालय में सलाहकार समिति के सदस्य बने. इसके बाद साल 2009 के लोकसभा चुनावों में सचिन पायलट ने भाजपा की किरण माहेश्वरी को भारी अंतर से हराया. इसी साल उन्हें केंद्रीय संचार और आईटी राज्य मंत्री बनाया गया फिर साल 2012 में यूनियन कॉर्पोरेट अफेयर के लिए राज्य मंत्री बने. हालांकि, साल 2014 के लोकसभा चुनावों में सचिन पायलट को हार का सामना करना पड़ा था.

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2014 में राजस्थान की जिम्मेदारी

इसी दौरान राजस्थान की गहलोत सरकार को 2014 की विधानसभा में करारी हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद सचिन पायलट को कांग्रेस आलाकमान ने राज्य प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी. कहा जाता है कि इस दौरान सचिन पायलट के जमीनी स्तर पर काफी अधिक काम किया और उन्हीं के दम पर साल 2019 के विधानसभा चुनावों में राजस्थान में कांग्रेस की वापसी हुई.

पिता से ही मिला बगावती तेवर

सचिन पायलट के बगावती रूख के कारण राजस्थान का सियासी संग्राम दिलचस्प बना हुआ है. राजस्थान के इस सियासी घटनाक्रम के कारण सचिन के पिता राजेश पायलट को भी याद किया जा रहा है. 1945 में जन्मे राजेश पायलट ने करियर के तौर पर भारतीय वायुसेना को चुना. करीब 13 साल उन्होंने सेना की सेवा की और इसके बाद इस्तीफा देकर राजनीति में आने का मन बनाया. राजेश पायलट की एंट्री सीधे गांधी परिवार के जरिए ही राजनीति में हुई और 1980 में उन्होंने राजस्थान की भरतपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीता. राजीव गांधी की हत्या के बाद जब कांग्रेस में उथल-पुथल मची तो राजेश पायलट भी कई मौकों पर अपने तेवर दिखाते रहे.इसका सबसे पहला उदाहरण 1997 में देखने को मिला जब राजेश पायलट ने सीताराम केसरी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ा.

कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर चुनाव होना अपने आप में अनोखी घटनी थी. हालांकि, पायलट इसमें सफल नहीं हो पाए और सीताराम केसरी ने अपने दोनों प्रतिद्वंदी शरद पवार और राजेश पायलट को हरा दिया.नवंबर 2000 में जब बागी नेता जितेंद्र प्रसाद ने कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा तो राजेश पायलट ने जितेंद्र प्रसाद का साथ दिया. इस बीच 11 जून 2000 को एक सड़क दुर्घटना में राजेश पायलट की मौत हो गई और दूसरी तरफ जितेंद्र प्रसाद चुनाव हार गए और सोनिया गांधी लगातार कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बनी रहीं. लेकिन आखिरी वक्त तक कांग्रेस की टॉप लीडरशिप को चुनौती देने के बावजूद राजेश पायलट कांग्रेस में ही बने रहे. राजेश पायलट: अ बायोग्राफी में कई जगहों पर राजेश पायलट के बगावती तेवर की कहानी का जिक्र है.

Posted BY :Utpal kant

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