चितरपुर(रामगढ़), सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार: चितरपुर प्रखंड की प्रमुख द्रौपदी देवी के खिलाफ पारित अविश्वास प्रस्ताव को राज्य निर्वाचन आयुक्त ने निरस्त कर दिया है. अब वे प्रमुख पद पर बनी रहेंगी. इस संदर्भ में राज्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा शुक्रवार को फैसला सुनाया गया. इसमें कहा गया है कि झारखंड पंचायती राज अधिनियम के तहत चितरपुर प्रखंड की प्रमुख द्रौपदी देवी के विरुद्ध 17 अगस्त 2023 को पारित अविश्वास प्रस्ताव के न्यायसंगतता को राज्य निर्वाचन आयोग, झारखंड में चुनौती दी गयी थी. इसे लेकर चार सितंबर को दोनों पक्षों को जारी नोटिस के आलोक में 12 सितंबर एवं 26 सितंबर को सुनवाई की गयी. दोनों पक्षकारों द्वारा अपना-अपना पक्ष और साक्ष्य रखा गया. इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने यह पाया कि सांसद जयंत सिन्हा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया की बैठक के दौरान सुबह 11:22 बजे बीडीओ चितरपुर के इमेल पर अपने प्रतिनिधि का नामांकन कर बैठक में भाग लेने को लेकर नाम भेजा गया, जबकि 11 बजे ही प्रतिनिधि को शामिल करते हुए उन्हें मतदान में शामिल कराया गया. इस तरह नियमावली 2005 के नियम-3 और 4 के आलोक में नियम-5 के उपबंधों का पालन नहीं किया गया. इस संदर्भ में प्रमुख द्रौपदी देवी ने कहा कि साजिश के तहत हटाने का प्रयास किया गया था, लेकिन साजिशकर्ता नाकाम रहे. बताते चलें कि चितरपुर पूर्वी पंचायत समिति सदस्य जूली गुप्ता समेत अन्य दस पंसस द्वारा प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था.
अविश्वास प्रस्ताव में प्रावधानों का अनुपालन नहीं
नियमावली के प्रावधानों का पालन किए बिना पीठासीन पदाधिकारी द्वारा प्रतिनिधि के रूप में शामिल कर मतदान कराया गया था. यह पीठासीन पदाधिकारी की गंभीर प्रक्रियात्मक त्रुटि है. इस त्रुटि के कारण उपस्थित सदस्यों की संख्या 14 से बढ़ कर 15 हो गयी. बैठक का कोरम त्रुटिपूर्ण तरीके से किया गया. इस तरह आयोग का मानना है कि अविश्वास प्रस्ताव में विधि के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया गया.
प्रमुख के विरुद्ध पारित अविश्वास प्रस्ताव निरस्त
अनुमंडल पदाधिकारी रामगढ़ सह पीठासीन पदाधिकारी द्वारा प्रमुख के विरुद्ध पारित कराये गये अविश्वास प्रस्ताव को निरस्त किया गया. इस संदर्भ में प्रमुख द्रौपदी देवी ने कहा कि मुझे साजिश के तहत हटाने का प्रयास किया गया था, लेकिन साजिशकर्ता नाकाम रहे. बताते चलें कि चितरपुर पूर्वी पंचायत समिति सदस्य जूली गुप्ता समेत अन्य दस पंसस द्वारा प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था.
17 अगस्त 2023 को हुआ था अविश्वास प्रस्ताव पारित
चितरपुर प्रखंड की प्रमुख द्रौपदी देवी को पद से हटाने के लिए भरपूर प्रयास किया गया था, लेकिन इस साजिश में कुछ लोग बेनकाब हो गये. चर्चा है कि प्रमुख बनने की चाह में एक पंचायत समिति सदस्य ने दस सदस्यों को लेकर प्रमुख पर अविश्वास प्रस्ताव लाया था, लेकिन मतदान में कई अनियमितता पाये जाने के बाद राज्य निर्वाचन आयुक्त ने ही अविश्वास प्रस्ताव को निरस्त कर दिया. पूरे क्षेत्र में चर्चा है कि प्रमुख को हटाने के लिए जमकर पैसा बहाया गया, लेकिन इस मंसूबे पर पानी फिर गया. इस संदर्भ में प्रमुख द्रौपदी देवी ने कहा है कि 17 अगस्त 2023 को पीठासीन पदाधिकारी सह अनुमंडल पदाधिकारी ने नियमों का उल्लंघन कर अविश्वास प्रस्ताव को पारित कर दिया था. जिसके खिलाफ मैंने 24 अगस्त को राज्य निर्वाचन आयोग में अपील दायर की थी. जिसका फैसला आया और उनकी जीत हुई. प्रमुख की ओर से पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार के मार्गदर्शन में अधिवक्ता विकल्प गुप्ता ने न्यायालय में अपना पक्ष रखा. प्रमुख ने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त बीडीओ उदय कुमार ने अपने काले कारनामे को छिपाने के लिए मेरे खिलाफ षडयंत्र रचा, जो पूरी तरह से नाकाम रहे.
इस ग्राउंड पर आया फैसला
झारखंड पंचायत सदस्य (प्रतिनिधि का नामांकन) नियमावली 2005 के नियम-3 एवं 4 के आलोक में नियम-5 के उपबंधों का पालन नहीं किया गया. जब बैठक के निर्धारित समय के बाद प्रतिनिधि का नामांकन प्राप्त हुआ, तो ऐसी परिस्थिति में इन उपबंधों का पालन विहित प्रक्रिया के अनुरूप करा पाना संभव ही नहीं था. नियमावली में उल्लेखित है कि प्रतिनिधि बैठक में विचार-विमर्श के लिए भाग लेंगे, लेकिन अपना मत देने के लिए पात्र नहीं होंगे. इसके बावजूद सांसद प्रतिनिधि से मतदान कराया गया. अविश्वास प्रस्ताव की कार्यवाही तथा सीलबंद लिफाफे में रखे गये मतपत्रों से यह स्पष्ट हुआ.