Jharkhand News: रामगढ़ जिले के पतरातू प्रखंड की पहचान यहां की कोलियरी से है. शुरू से ही कोयला का कारोबार वैध एवं अवैध तरीके से फल-फूल रहा है. यही कारण है कि इस कोयले के चक्कर में कोयलांचल की धरती हमेशा वर्चस्व को लेकर लाल होती रही है. इन दिनों अवैध कोयला कारोबार में कई बदलाव देखे जा रहे हैं. इस कारोबार को छोटा दिखाने के लिए पहले तो छोटे वाहनों साइकिल एवं मोटरसाइकिल का प्रयोग किया जा रहा है. इसके बाद बड़े वाहनों से इन कोयलों की ढुलाई की जा रही है. एसडीपीओ डॉ वीरेंद्र कुमार चौधरी कहते हैं कि क्षेत्र में अवैध खनन की कोई सूचना नहीं है.
आयरन फैक्ट्रियों व ईंट-भट्ठों में खपाया जा रहा कोयला
पतरातू अंचल के विभिन्न थाना क्षेत्रों से अवैध कोयले का कारोबार आरंभ हो गया है. अवैध कोयले के कारोबार का मुख्य केंद्र ओरमांझी थाना क्षेत्र की तिरला घाटी है. तिरला घाटी स्थित एक प्राथमिक मध्य विद्यालय के पीछे कोयला का डिपो बनाया गया है, जहां मोटरसाइकिल एवं साइकिलों से कोयले को पहुंचाया जाता है. खरीदार कोयले को खरीदकर डिपो में इकट्ठा करते हैं और रात्रि 8:00 से 9:00 बजे के बीच एलपी ट्रक पर लोड कर जमशेदपुर स्थित स्पंज आयरन फैक्ट्रियों समेत रांची जिले के कई ईंट-भट्ठों में कोयले को खपाया जा रहा है.
बोरे में भरकर मोटरसाइकिलों से पहुंचाया जाता है अवैध कोयला
पतरातू अंचल के विभिन्न थाना व ओपी क्षेत्रों से क्षेत्र की कोलियरियों से चुराए गए कोयले को मोटरसाइकिलों के द्वारा सुबह 4:00 बजे से ढुलाई शुरू कर दी जाती है. इस कार्य में सैकड़ों मोटरसाइकिल सवार लगे हुए रहते हैं. ये मोटरसाइकिल सवार हरिहरपुर, सुथरपुर होते हुए घाटी मार्ग से तिरला घाटी में बनाए गए कोल डिपो पर कोयले को पहुंचाते हैं. इसके बाद कोयला खरीदार रात्रि के 8:00 बजते ही जेसीबी मशीन के द्वारा कोयले को बड़े वाहनों में लोड कर जाली पेपर के द्वारा गंतव्य स्थल तक कोयला पहुंचाते हैं.
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अवैध खनन की नहीं है सूचना
एसडीपीओ डॉ वीरेंद्र कुमार चौधरी कहते हैं कि हमारे क्षेत्र से किसी प्रकार के अवैध खनन के कार्य की सूचना नहीं है. आप लोगों से सूचना मिली है. इसकी जानकारी लेते हैं.
रिपोर्ट : अजय तिवारी, पतरातू, रामगढ़