Jharkhand News, Ramgarh News, कुजू (धनेश्वर प्रसाद) : झारखंड के रामगढ़ जिला अंतर्गत मांडू प्रखंड स्थित नगर परिषद क्षेत्र के बोंगावार, दिगवार, बुढ़ाखाप आदि गांवों की महिलाएं इन दिनों मशरूम की खेती कर स्वावलंबी बन रही है. ये महिलाएं अपने घरेलू कार्य करने के बाद बचे समय में इसकी खेती कर आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो रही है. अब इन महिलाओं को देखकर दूसरे गांव की महिलाएं भी प्रेरित होकर अपना ध्यान मशरुम उगाने में केंद्रित कर रही है.
रामगढ़ के मांडू स्थित बुढ़ाखाप गांव की 24 वर्षीय रेणु देवी जो पहली बार मशरूम की खेती से जुड़ी है. उनका मानना है कि महज 1000 रुपये की पूंजी से 3-5 हजार रुपये तक मुनाफा हो सकता है. जिससे हम महिलाएं अपने आप में आत्मनिर्भर बन सकते हैं. उनका कहना है कि इस कार्य में बहुत ज्यादा न तो समय लगता है ओर न ही बहुत मेहनत. अपने घर के काम- काज पूरा कर शेष बचे समय में घर के खाली पड़े एक कमरे में मशरूम उत्पादन किया जा सकता है. जिससे हम महिलाओं को इस खेती से अच्छी-खासी आमदनी हो सकती है.
रेणु पहली बार अपने घर के एक छोटे से कमरे में मशरूम की खेती करना शुरू किया. इस काम में उसे करीब 6 हजार रुपये की लागत आयी. 30 दिनों में मशरूम तैयार भी कर लिया गया. अब लोग घर पहुंच कर खरीदारी भी कर रहे हैं. मशरूम उत्पादन की यह सीख अपनी बहन से मिली है. बताती है कि किसी काम को लेकर अपनी बहन के घर बड़कागांव (हजारीबाग) गयी थी जहां मशरूम की खेती करते देख उसे भी खेती करने की इच्छा मन में जगी.
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क्षेत्र में शाकाहारी (वेजिटेरियन) लोगों के लिए मशरूम पहली पसंद बनती जा रही है. रेस्टूरेंट से लेकर होटल, ढाबा आदि जगहों पर मशरूम की काफी खपत है. ग्राहक भी इसे बड़े चाव से सेवन कर रहे हैं, जिससे क्षेत्र में इसकी मांग में भी लगातार वृद्धि हो रही है.
कृषि विज्ञान केंद्र, मांडू के वैज्ञानिक डॉ डीके राघव ने कहा कि महिलाएं समेत ग्रामीण युवाओं के लिए मशरूम की खेती आत्मनिर्भर बनने में प्रभावी भूमिका निभा सकती है. इसकी खेती के लिए न अधिक पूंजी की जरूरत होती है और ना ही बहुत जमीन की. कम लागत में इस फसल को उगा सकते हैं. इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र लगातार प्रशिक्षण देकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जागरूक कर रहा है. मशरूम में कई ऐसे तत्व पाये जाते हैं, जिसके सेवन से कुपोषण की समस्या से लड़ने में रामबाण साबित हो सकता है.
Posted By : Samir Ranjan.