कुजू (रामगढ़) : मन में अगर कुछ करने का जज्बा हो, तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं होता. इस बात को सच कर दिखाया है रामगढ़ जिला अंतर्गत मांडू प्रखंड के बड़गांव निवासी मनोज कुमार महतो ने. आमतौर पर पढाई- लिखाई करने के बाद लोग खेती- बारी करना नहीं चाहते, लेकिन बड़गांव निवासी मनोज कुमार महतो, पिता कार्तिक महतो व उसकी पत्नी सरिता कुमारी ने आधुनिक कृषि को ही अपना जीविकोपार्जन का साधन बना लिया. इससे न सिर्फ मनोज की आमदनी बढ़, बल्कि अन्य किसानों के प्रेरणास्त्रोत भी बन गये. पढ़ें धनेश्वर प्रसाद की रिपोर्ट.
प्रगतिशील किसान मनोज अपने 2 एकड़ जमीन में उन्नत तकनीक से विभिन्न फसल लगाकर अपनी आय को बढ़ाने में लगे हैं. मनोज लौकी, टमाटर, मिर्चा, प्याज, खीरा, तरबूज, गेहूं, सरसो, करेला, आलू आदि की आधुनिक व उन्नत तकनीक के सहारे खेती कर रहे हैं. इन सब्जियों की पैदावार और अधिक हो, इसके लिए उन्होंने सरकार से पॉली हाउस और सोलर संचालित सिंचाई व्यवस्था की मांग की है.
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नौकरी नहीं मिलने के बाद जुटे खेती में
स्नातक की पढ़ाई के बाद खेती से जुड़ा मनोज कुमार महतो ने जनता उच्च विद्यालय, चैनपुर से मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद रामगढ़ कॉलेज से इंटर की पढ़ाई की. उसके बाद विनोवा भावे विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद इलेक्ट्रोनिक्स में पटना से डिप्लोमा प्राप्त किया. नौकरी के लिए कई जगह प्रयास किये, लेकिन सफलता नहीं मिली. इससे मनोज निराश नहीं हुआ और खुद ही कुछ करने को सोचा.
खेती- किसानी का लिया प्रशिक्षण
नौकरी नहीं मिलने पर उसने अपने आप को आधुनिक खेती में पूरी तरह ढाल लिया. उन्होंने वर्ष 2012-13 में मनरेगा से अपने जमीन में कूप का निर्माण कराया तथा इससे सिंचाई कर खेती करने लगे. मनोज कुमार महतो आधुनिक खेती करने के लिए सपोर्ट संस्था मांडू, बिरसा जैविक उद्यान, भूमि संरक्षण डेमोटांड़, टीएसआरडीएस (TSRDS) घाटोटांड़, केवीके (KVK) मांडू, सजंता फाउंडेशन इंडिया के तहत खेती- किसानी संबंधी प्रशिक्षण प्राप्त किया. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वे अपने खेत में आधुनिक खेती करने लगे.
टपक विधि से करते हैं खेती
मनोज ने करीब एक एकड़ भूमि में टपक विधि (ड्रिप एरिगेशन) के माध्यम से गेंहू की फसल लगाये. उन्होंने बताया कि टपक विधि से खेती करने से पानी की काफी बचत होती है. फसल में ज्यादा घास नहीं निकलने के साथ मजदूरी कम लगती है. साथ ही फसल की उपज भी अच्छी होती है.
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फसलों में जीवा अमृत बनाकर करते हैं छिड़काव
अपने खेत में कीटनाशक दवाईयों का बहिष्कार करते हुए जैविक कीटनाशकों का ही प्रयोग करते हैं. मनोज जैविक कीटनाशक जीवाअमृत बना कर फसलों में छिड़काव करते हैं. इससे फसलों में कीड़ा नहीं लगता है. साथ ही फसल भी काफी अच्छे तरीके से तैयार होता है. वहीं भूमि की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रहती है.
अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत
खेती- किसानी में रमे मनोज महतो अपने खेत में काफी समय देते हैं. जैविक व उन्नत तकनीक के माध्यम से फसलों की पैदावार बढ़ाने को प्रयासरत हैं. मनोज के खेतों की फसलों को देखने आसपास के किसान भी आते हैं. मनोज कहते हैं कि जैविक खेती से एक साथ दोहरा लाभ मिलता है. एक तो खेतों की मिट्टी की उर्वरकता बरकरार रहती है, वहीं फसल का उत्पादन भी बेहतर होता है.