रामगढ़ : झारखंड के रामगढ़ जिला में 25 गांवों के लोगों ने अपना अधिकार मांगा, तो पुलिस ने उन पर लाठियां बरसा दीं. पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया. ये लोग उन 25 गांवों के ग्रामीण थे, जिनकी जमीन का सरकार ने पावर प्लांट के लिए अधिग्रहण किया है. ये जमीन का मुआवजा, नौकरी और पुनर्वास की मांग कर रहे थे. चार घंटे की बैठक में भी बात नहीं बनी, तो लोग गिरफ्तारी देने पर अड़ गये. इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया.
इसके बाद से क्षेत्र के लोगों में उबाल है. लोगों ने लाठी चलाने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है. आंदोलन कर रहे लोगों में से 6-7 लोगों के खिलाफ शुक्रवार को नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी. वहीं 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गयी है. वहीं, स्थानीय पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज से साफ इनकार किया है.
विस्थापित प्रभावित संघर्ष मोर्चा के बैनर तले वर्षों से ये लोग आंदोलन कर रहे हैं. शांतिपूर्ण ढंग से अपना आंदोलन चला रहे हैं. इनका कहना है कि 4000 मेगावाट के पावर प्लांट का निर्माण पीवीयूएनएल ने शुरू कर दिया है. रैयतों ने कहा कि प्रबंधन बार-बार समझौता बैठक करता है. हर बार उन्हें आश्वासन दिया जाता है और हर बार यह छलावा साबित होता है. गुरुवार को भी लंबी बैठक चली, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.
मोर्चा के लोगों ने कहा कि ये लोग दो दिन से धरना-प्रदर्शन कर रहे थे. गुरुवार शाम करीब चार बजे वार्ता के लिए पतरातू के अंचल अधिकारी निर्भय कुमार ने धरना दे रहे लोगों को पीवीयूएनएल प्रशासनिक भवन में प्रबंधन के साथ वार्ता के लिए बुलाया. विस्थापितों का एक प्रतिनिधिमंडल वार्ता के लिए प्रशासनिक भवन पहुंचा. बैठक में पीवीयूएनएल प्रबंधन ने साफ कहा कि वे विस्थापितों को रोजगार देने में असमर्थ हैं. उनके यहां कोई विस्थापित नहीं है.
Also Read: लालू यादव से मिलने बिहार से हर दिन आ रहे सैकड़ों राजद नेता और समर्थक, रिम्स में तैनात किये गये तीन मजिस्ट्रेटदूसरी ओर, प्रबंधन व प्रशासन ने भी कोई लिखित समझौता पत्र देने से मना कर दिया. वार्ता विफल होने के बाद धरना स्थल पर धारा 144 लागू कर दिया गया. इसके बावजूद विस्थापित वहीं जमे रहे. उन्होंने नारेबाजी शुरू कर दी. प्रशासन के अधिकारियों ने मना किया, तो भी वे नारेबाजी करते रहे. विस्थापित धरनास्थल से हटने को तैयार नहीं थे. वे जेल जाने के लिए तैयार थे. इसके बाद प्रशासन ने लाठीचार्ज का आदेश दिया.
पुलिस बल ने लाठीचार्ज कर दिया. इसके बाद अफरातफरी का माहौल बन गया. लाठीचार्ज में कई विस्थापित घायल हो गये. विस्थापित संघर्ष मोर्चा के नेता ने कहा कि प्रबंधन और प्रशासन ने विस्थापितों के हक और आंदोलन को कुचलने का काम किया है. हमारे सभी साथियों को लाठीचार्ज कर जबरन पंडाल से हटाया गया है. इसकी हमलोग घोर निंदा करते हैं.
मोर्चा के नेता ने कहा कि यह प्रबंधन की भूल है कि यह आंदोलन खत्म हो जायेगा. उन्होंने कहा कि अगर हमारी धरती पर हमें नौकरी, मुआवजा, पुनर्वास नहीं मिला, तो हमलोग इस प्लांट के काम को बाधित कर देंगे. इसके पहले रामगढ़ के एसडीओ खुद आंदोलन स्थल पर पहुंचे थे. उन्होंने लोगों को समझाया भी था.
Also Read: झारखंड हाइकोर्ट ने हेमंत सोरेन सरकार से पूछा, अच्छे डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ के बावजूद रिम्स की स्थिति बदतर क्योंदूसरी तरफ, पतरातू के एसडीपीओ ने लाठीचार्ज से इनकार किया. कहा कि यहां पर विस्थापित मोर्चा धरना-प्रदर्शन कर रहा था. उन्होंने कहा कि चूंकि अभी कोरोना का समय है, अनावश्यक रूप से भीड़ इकठ्ठा होने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इसे असंवैधानिक मानते हुए उन्हें हटाया गया. लेकिन, वे लोग हटना नहीं चाह रहे थे. उन्होंने कहा कि पुलिस ने लाठीचार्ज नहीं किया.
हक व अधिकार की मांग को लेकर विस्थापित प्रभावित संघर्ष मोर्चा के बैनर तले पीटीपीएस पोस्ट ऑफिस के समीप शांतिपूर्ण तरीके से धरना पर बैठे विस्थापितों व प्रभावितों पर गुरुवार की रात पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की घटना का चारों ओर विरोध किया जा रहा है. विभिन्न दलों के नेताओं ने लाठीचार्ज की घटना का निंदा करते हुए लाठीचार्ज में शामिल पुलिस वालों पर कार्रवाई की मांग की. साथ ही कहा कि पीवीयूएनएल प्रबंधन विस्थापितों व प्रभावितों की जायज मांगों को पूरा करने की बजाय उन पर लाठियां बरसा रही है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.
भाजपा के वरीय नेता राकेश प्रसाद ने विस्थापितों पर लाठीचार्ज की निंदा की. कहा कि वार्ता से ही हर समस्या का समाधान संभव है. किसी भी परिस्थिति में लाठीचार्ज करना उचित नहीं है. सरकार इस मामले को संज्ञान में लेकर विस्थापितों व प्रभावितों की समस्याओं का समाधान की दिशा में पहल करे.
पतरातू की जिला परिषद सदस्य अर्चना देवी ने लाठीचार्ज की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. कहा कि पीटीपीएस से विस्थापित हुए 25 गांव के लोग लगातार हक व अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं. प्रबंधन उनसे सम्मानजनक समझौता करने के बदले लाठियों से पिटवा रही है. उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने लाठीचार्ज में शामिल पुलिस वालों पर कार्रवाई की मांग की है.
पतरातू प्रखंड की प्रमुख रीता देवी ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से अपने हक व अधिकार के लिए आंदोलन कर रहे विस्थापितों पर लाठी बरसाना दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार व पीवीयूएनएल प्रबंधन के इशारे पर पुलिस ने विस्थापितों पर बर्बरतापूर्वक लाठियां चलाकर उनकी आवाज को कुचलने का काम किया है. विस्थापितों की मांग जायज है. उनकी मांगें पूरी होनी चाहिए.
मुखिया गंगाधर महतो ने कहा कि अपने हक व अधिकार की आवाज बुलंद करना गुनाह नहीं है. मोर्चा की मांग कहीं से भी अनुचित नहीं है. वे जमीन के बदले हक व अधिकार की मांग कर रहे हैं. वहीं, पीवीयूएनएल प्रबंधन विस्थापितों पर लाठियां चलवा रहा है. उन्होंने लाठी चलाने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है.
आजसू के वरीय नेता नित्यानंद कुमार ने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से धरना पर बैठे विस्थापितों को लाठी से पीटना दुर्भाग्यपूर्ण है. पीवीयूएनएल प्रबंधन की तानाशाही नहीं चलेगी. लाठीचार्ज की घटना के बाद प्रबंधन व प्रशासन के खिलाफ विस्थापितों के साथ आम लोगों में भी आक्रोश है. उन्होंने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की.
Posted By : Mithilesh Jha