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मुड़मा जतरा मेला : रघुवर दास ने किया उद्घाटन, बोले सरकार आदिवासी समाज के विकास के लिए कृतसंकल्प

मांडर : मांडर में दो दिवसीय मुड़मा जतरा मेला का उद्घाटन गुरुवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया. मौके पर उन्होंने कहा कि झारखंड के इस शक्ति स्थल से मैं आज आशीर्वाद लेने आया हूं. इस शक्ति केंद्र की बदौलत ही साढ़े तीन साल में राज्य निरंतर विकास की ओर अग्रसर है. आनेवाले दिनों में […]

मांडर : मांडर में दो दिवसीय मुड़मा जतरा मेला का उद्घाटन गुरुवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया. मौके पर उन्होंने कहा कि झारखंड के इस शक्ति स्थल से मैं आज आशीर्वाद लेने आया हूं. इस शक्ति केंद्र की बदौलत ही साढ़े तीन साल में राज्य निरंतर विकास की ओर अग्रसर है.

आनेवाले दिनों में हमें राज्य को और तेजी से विकास की ओर ले जाना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मेला बहुत ही मीठा व प्रिय शब्द है. मेले में मिठास होती है. यह मिलने-जुलने, मनोरंजन व सामान की खरीद फरोख्त का माध्यम होता है. यह गरीब दुकानदार व स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए आय का खास जरिया भी है.

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने मुड़मा मेला के अलावा बोकारो के लुरुगुरु के संताल के हिजला मेला को राजकीय महोत्सव का दर्जा दिया है. क्योंकि मेला व नृत्य-संगीत क्षेत्र की परंपरा व संस्कृति की पहचान होती है. इसे बरकरार रखना हमारी जिम्मेदारी है. मुख्यमंत्री ने विधायक गंगोत्री कुजूर द्वारा मेले में चालीस पाड़हा के पाहनों को उपहार स्वरूप नगाड़ा दिये जाने के लिए बधाई दी.

कहा कि झारखंड में मांदर व नगाड़े की थाप कभी रुकनी नहीं चाहिए ताकि आनेवाली पीढ़ी को हमारी संस्कृति व परंपरा की जानकारी मिलती रहे. उन्होंने समारोह में गरीबों के इलाज के लिए शुरू की गयी आयुष्मान योजना की जानकारी दी. इस योजना के पांच लाभुकों के बीच गोल्डेन कार्ड का वितरण भी किया. कहा : हमारी सरकार बजट की 42 प्रतिशत राशि आदिवासियों के विकास के लिए खर्च कर रही है ताकि आदिवासी समाज किसी भी क्षेत्र में पिछड़ा न रहे.

मौके पर मुख्यमंत्री ने लोगों को दीवाली व सोहराई पर्व की बधाई भी दी. मेला के उद्घाटन के मौके पर डीसी राय महिमापत रे, एसडीओ गरिमा सिंह, एसएसपी अनीश गुप्ता व अन्य प्रशासनिक पदाधिकारी सहित राजी पाड़हा के जगराम उरांव, अनिल उरांव, जतरू उरांव, मनोज उरांव, रंथू उरांव, छेदी प्रसाद, मनोज उरांव, महादेव उरांव, शिवनाथ तिग्गा, कमले उरांव, राजू उरांव, बिरसा उरांव, बिहारी उरांव, अजय भगत, सहदेव भगत, मुकेश प्रसाद, अखिलेश भगत, राजू सिंह सहित अन्य मौजूद थे.

गाजे-बाजे व झंडे के साथ पहुंचे चालीस पाड़हा के लोग : इससे पूर्व गाजे-बाजे व पाड़हा झंडे के साथ मेला स्थल पहुंचे चालीस पाड़हा के पहान, महतो, पुजार, मुंडा, पैनभरा व विभिन्न राज्यों के धर्मगुरुओं ने परंपरा के अनुसार सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा की अगुवाई में अधिष्ठात्री शक्ति के प्रतीक जतरा खूंटा की परिक्रमा व पूजा-अर्चना की.

यहां 40 पाड़हा के प्रतीक स्वरूप दीप प्रज्वलित किया गया. आदिवासियों की परंपरा व संस्कृति की पहचान से जुड़े एक रात व दिन के 24 घंटे के इस मेले के उद्घाटन के बाद से ही लोगों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गयी.

विधि व्यवस्था को लेकर व्यापक इंतजाम : मेले में उमड़नी वाली भीड़ को लेकर प्रशासन की ओर से विधि व शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए व्यापक इंतजाम किये गये हैं. सीसीटीवी व ड्रोन कैमरे से मेले की निगरानी की जा रही है. साथ ही मेले को चार जोन में बांट कर दंडाधिकारियों के अलावा पुरुष व महिला पुलिस बल की व्यवस्था की गयी है.

ग्रामीण एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग, डीएसपी पुरुषोत्तम कुमार सिंह बुधवार से ही यहां कैंप किये हुए हैं. राजी पाड़हा मुड़मा जतरा संचालन समिति के लोगों ने बताया कि काफी संख्या में उनके स्वयंसेवक भी मेला में प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं.

मेला स्थल पर धर्मशाला व मुड़मा से झिंझरी तक सड़क बने : गंगोत्री

विधायक गंगोत्री कुजूर ने कहा कि झारखंड के अंदर छोटानागपुर में मुड़मा जतरा मेला का पहला स्थान है. इस मेले में आदिवासियों के साथ सभी धर्म व समाज के लोग उत्साह के साथ शामिल होते हैं. मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में यह मेला निरंतर विकास की ओर अग्रसर है.

इस मेले को रघुवर सरकार ने ही धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का काम किया है. इस दौरान विधायक ने मुख्यमंत्री से मेले में दूर-दराज से आनेवाले लोगों के लिए एक धर्मशाला व मुड़मा से झिंझरी तक सड़क का निर्माण कराने की भी मांग की.

जतरा शक्ति स्थल उरांव जनजाति का सुप्रीम कोर्ट : बंधन तिग्गा

उद्घाटन समारोह में सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने मुड़मा जतरा के इतिहास व पाड़हा पर प्रकाश डाला. कहा कि मुड़मा जतरा स्थित शक्ति स्थल उरांव जनजाति का सुप्रीम कोर्ट है. बंधन तिग्गा ने मुड़मा जतरा के लिए प्रशासन की ओर से केवल पांच लाख रुपये उपलब्ध कराने पर आपत्ति जतायी. इसे सरकार का सौतेला व्यवहार बताया. संचालन बाबू पाठक व शिव उरांव ने किया.

जतरा खूंटा अधिष्ठात्री शक्ति का प्रतीक

मांडर : मेला स्थल पर स्थित जतरा खूंटा जिसे शक्ति स्थल भी कहा जाता है, इसे अधिष्ठात्री शक्ति का प्रतीक माना जाता है. मेला की शुरुआत से अंत तक इस शक्ति स्थल की पूजा-अर्चना होती है.

ऐसी मान्यता है कि इसकी पूजा-अर्चना से ही दो दिवसीय मुड़मा जतरा मेला सफलता पूर्वक संपन्न होता है और क्षेत्र के लोग खुशहाल भी रहते हैं. सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा बताते हैं कि यह शक्ति स्थल आदिवासी समुदाय का सुप्रीम कोर्ट है.जहां समाज के हर तरह के मामले की सुनवाई होती है और उसपर फैसला भी सुनाया जाता है.

मेले में मनोरंजन के साधनों की भरमार : जतरा मेला में खेल-तमाशे, बिजली चालित झूले, मौत का कुआं, सर्कस, झूला, जादू के खेल व मनोरंजन के कई अन्य साधनों की भरमार है. सौंदर्य प्रसाधन, पारंपरिक वाद्य यंत्र, कृषि उपकरण, शस्त्र, शृंगार प्रसाधन, खिलौने, फास्ट फूड, ईख, मिठाई व खाने-पीने की सैकड़ों दुकानें लगी हुई है.

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