हजारीबाग जिले में सर्वाधिक 5259 लोग एचआइवी पॉजिटिव, दूसरे नंबर पर है रांची
रांची : झारखंड राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी (जेसैक) के अनुसार, राज्य भर में कुल 23270 लोग एचआइवी पॉजिटिव हैं. यह संख्या वर्ष 2002 से अब तक की है. हजारीबाग जिले में सर्वाधिक 5259 लोग एचआइवी पॉजिटिव हैं. वहीं दूसरे नंबर पर रांची (4916) तथा तीसरे नंबर पर पू. सिंहभूम (3733) है. कुल पॉजिटिव लोगों में से 19291 राज्य के एचआइवी केयर के तहत निबंधित हैं.
नाको के वर्ष 2013 के आंकड़े के अनुसार, झारखंड में करीब 23 हजार एचआइवी पॉजिटिव लोगों के होने का अनुमान था. इससे पहले सोसाइटी ने जुलाई 2012 तक इनमें से 11 हजार की पहचान की थी. एचआइवी जांच व अन्य तरीकों से शेष की खोज जारी थी. वर्ष 2014 में सबसे अधिक (3133) एचआइवी पॉजिटिव रांची में पाये गये थे. अब हजारीबाग सबसे आगे है.
सोसाइटी के अनुसार, एचआइवी पॉजिटिव होने का एक बड़ा कारण पलायन है. रोजगार के लिए दूसरे राज्य गये लोग जाने-अनजाने के दौरान इसकी चपेट में आ जाते हैं. एड्स से बचाव के लिए जेसैक जनजागरण के कई कार्यक्रम चलाता है. पॉजिटिव लोगों की पहचान के लिए राज्य के सभी जिलों में एचआइवी टेस्ट क्लिनिक है.
चार नये एआरटी सेंटर बनेंगे
एचआइवी पॉजिटिव लोगों को सरकार की ओर से नि:शुल्क दवा दी जाती है. दवा एंटी रेट्रोवायवल ट्रीटमेंट सेंटर (एआरटीसी) से मिलती है. अभी राज्य भर में कुल पांच मुख्य एआरटीसी हैं, जिनके तहत 17 लिंक एआरटीसी हैं. मुख्य एआरटीसी में रिम्स रांची, एमजीएम जमशेदपुर, देवघर, हजारीबाग व गिरिडीह सदर अस्पताल शामिल हैं. अब चार नये मुख्य एआरटीसी बोकारो, चाईबासा, साहेबगंज व दुमका सदर अस्पताल में खुलने हैं.
रिम्स में प्रतिमाह 1500 एड्स मरीजों को दी जाती है दवा
रिम्स के एआरटी सेंटर में 6600 एड्स पीड़ित पंजीकृत
1920 को विभिन्न एआरटी सेंटर में शिफ्ट किया गया
रांची. रिम्स के एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट सेंटर (एआरटी) में प्रतिमाह एड्स के 1500 मरीजों को दवा दी जाती है. रांची जिले के विभिन्न क्षेत्रों से मरीज दवा लेने आते हैं. एआरटी सेंटर के डाटा मैनेजर दिलीप कुमार ने बताया कि यहां 6600 एड्स पीड़ित पंजीकृत हैं. इनमें से 4680 एड्स पीड़ित को दवा दी गयी. वहीं पंजीकृत मरीजों में से 1920 को विभिन्न एआरटी सेंटर में शिफ्ट किया गया है. उन्हें वहां के एआरटी सेंटर से दवा दी जाती है. एड्स के मरीजों को फर्स्ट व सेकेंड लाइन की दवा दी जाती है. आवश्यकता पड़ने पर थर्ड लाइन की दवा भी मुहैया करायी जाती है.
झारखंड राज्य सुरक्षा पेंशन योजना के तहत एआरटी सेंटर से एड्स पीड़ित मरीजों को एक हजार रुपये मासिक पेंशन भी दी जाती है. वहीं एड्स पीड़ित मरीज अगर टीबी से संक्रमित हो जाता है, तो उसकी दवा भी एआरटी सेंटर से दी जाती है. हेपेटाइटिस-बी से पीड़ित मरीज को भी दवा देने की जिम्मेदारी एअारटी सेंटर की है. वहीं रिम्स प्रबंधन द्वारा डॉक्टरों व एएनएम को एड्स मरीजों के इलाज में सावधानी बरतने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है.
जांच के लिए अब नहीं जाना पड़ता है कोलकाता : एड्स के मरीजों के लिए अत्याधुनिक जांच की सुविधा अब रिम्स के एआरटी सेंटर में ही उपलब्ध है. सीडीआर फोर जांच के बाद अगर मरीज को वायरल लोड की जांच की जरूरत पड़ती है, तो उनकी जांच रिम्स के एआरटी सेंटर में हो जाती है. पहले एड्स पीड़ितों को इस जांच के लिए कोलकाता जाना पड़ता था.