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EXCLUSIVE : लॉकडाउन में 6.89 लाख लोग झारखंड लौटे, 2.9 लाख से ज्यादा कुशल श्रमिकों को रोजगार देने की ये है योजना

Jharkhand, Migrant Laborers, Skilled Laborers : रांची : वैश्विक महामारी कोविड19 (कोरोना वायरस डिजीज 2019) की वजह से देश भर में घोषित लॉकडाउन के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से 6.89 लाख से अधिक लोग झारखंड लौटे. इनमें से 5,11,663 (5 लाख 11 हजार 663) लोगों को प्रवासी मजदूर के रूप में चिह्नित किया गया. इनमें से 3 लाख से अधिक लोगों का ग्रामीण विकास विभाग ने सर्वे किया, तो पाया कि 2.09 लाख से अधिक लोग कुशल श्रमिक हैं, जबकि 92 हजार से अधिक लोग अकुशल श्रमिक हैं.

रांची : वैश्विक महामारी कोविड19 (कोरोना वायरस डिजीज 2019) की वजह से देश भर में घोषित लॉकडाउन के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से 6.89 लाख से अधिक लोग झारखंड लौटे. इनमें से 5,11,663 (5 लाख 11 हजार 663) लोगों को प्रवासी मजदूर के रूप में चिह्नित किया गया. इनमें से 3 लाख से अधिक लोगों का ग्रामीण विकास विभाग ने सर्वे किया, तो पाया कि 2.09 लाख से अधिक लोग कुशल श्रमिक हैं, जबकि 92 हजार से अधिक लोग अकुशल श्रमिक हैं. झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने बताया कि इन कुशल और अकुशल श्रमिकों को रोजगार देने की वृहद योजना है, जिस पर सरकार काम कर रही है. उन्होंने बताया कि भारी संख्या में लोगों को मनरेगा से जोड़ा जा चुका है.

सर्वे में ग्रामीण विकास विभाग ने पाया कि ये लोग 14 तरह के बिजनेस से जुड़े 49 तरह का हुनर लेकर ये लोग अपने घर लौटे हैं. सबसे ज्यादा 60,835 लोग भवन निर्माण (कंस्ट्रक्शन) क्षेत्र से जुड़े हैं. इसके बाद ऑटोमोटिव क्षेत्र के 42,068, लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के 27,144, इलेक्ट्रॉनिक्स के बिजनेस से जुड़े 25,684 कामगार लौटे हैं. इसी तरह परिधान, टूरिज्म हॉस्पिटैलिटी एवं स्वास्थ्य सेवाओं में काम करने वाले क्रमश: 20769, 18787 और 14386 लोग झारखंड लौटे हैं.

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Exclusive : लॉकडाउन में 6. 89 लाख लोग झारखंड लौटे, 2. 9 लाख से ज्यादा कुशल श्रमिकों को रोजगार देने की ये है योजना 3
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भवन निर्माण के क्षेत्र में काम करने वाले 4 तरह के हुनरमंद हैं. सबसे ज्यादा 44,713 राज मिस्त्री/सहायक राजमिस्त्री हैं, तो 6,194 बिजली मिस्त्री, 6,071 बढ़ई और 3,857 पेंटर/सहायक पेंटर हैं. वाहन उद्योग से जुड़े जो 42,068 लोग झारखंड लौटे हैं, वे 6 विधाओं में हुनरमंद हैं. सबसे ज्यादा ड्राइवर सह मिस्त्री हैं. इनकी संख्या 20,373 है. 7,281 वेल्डिंग मिस्त्री हैं, 5,110 लोग लेथ वर्क का काम करते हैं, 3,598 वेल्डर और 1,549 लोग कार/मोटरसाइकिल सर्विसिंग का काम अन्य राज्यों में करते थे.

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लॉजिस्टिक्स यानी रसद एवं आपूर्ति के क्षेत्र से जुड़े 27,144 लोग लौटे हैं. ये लोग कूरियर सेवा, गोदाम में अनाज/माल छंटाई एवं गोदाम में स्टोर कीपर/माल भेजने के काम में दक्ष हैं. कूरियर सेवा में काम करने वाले 1,476 लोग अपने घर लौटे हैं, तो 15,276 लोग गोदाम में अनाज/माल छंटाई का काम करते थे. वहीं गोदाम में स्टोर कीपर/माल भेजने का काम करने वाले 10,392 लोग भी कोरोना काल में नौकरी गंवाकर अपने घर पहुंचे.

इलेक्ट्रॉनिक्स ट्रेड से जुड़े कुशल कामगार

इलेक्ट्रॉनिक्स के ट्रेड से जुड़े 25,684 लोग झारखंड लौटे हैं. ये लोग इस बिजनेस के 8 फील्ड में ट्रेंड हैं. 7,907 कंप्यूटर नियंत्रित मशीन (सीएनसी) ऑपरेटर का संचालन करने की क्षमता रखते हैं, तो 7,859 लोग ऐसे हैं, जो मोबाइल फोन की मरम्मत करते हैं. घर लौटने वालों में 5,202 घरेलू बिजली उपकरण मिस्त्री, 1,774 इलेक्ट्रॉनिक मशीन सोल्डरिंग तकनीशियन, 1,082 कंप्यूटर और उसके सहायक उपकरणों का मिस्त्री/तकनीशियन, 901 सेंट्रल एयर कंडीशन मिस्त्री/तकनीशियन, 531 एयर कंडीशन मिस्त्री और 428 सोलर पैनल इंस्टॉलर शामिल हैं.

20 हजार से अधिक लोग वस्त्र एवं परिधान उद्योग से

वस्त्र एवं परिधान उद्योग से जुड़े 20,769 लोग कोरोना काल में झारखंड लौटे, जो 2 विधा में दक्ष हैं. 16,461 लोग दर्जी हैं या सिलाई मशीन ऑपरेटर का काम कर चुके हैं. 4,308 लोग मशीन से कपड़े की कटाई करने में माहिर हैं. टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी के बिजनेस में काम करने वाले 18,787 लोग 5 तरह के काम करने में ट्रेंड हैं. सबसे ज्यादा 8,345 लोग रसोइया या हलवाई का काम करने में सक्षम हैं. 6,062 लोग वेटर (खाद्य एवं पेय पदार्थ परोसने वाले) काम काम कर रहे थे. 2,333 लोग खाद्य एवं पेय पदार्थ से जुड़ी सेवाओं में दक्ष हैं, तो 1,299 बार टेंडर और 748 लोग सुविधा प्रबंधन (फैसिलिटी मैनेजमेंट) सेवा में काम कर चुके हैं.

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में दे सकते हैं योगदान

बेहद अहम स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग भी भारी संख्या में अपने घर लौटे हैं. ये लोग 12 तरह के काम कर सकते हैं. इस श्रेणी में आने वाले सर्वे में शामिल लोगों में सबसे ज्यादा 5,758 लोग जेनरल ड्यूटी सहायक के रूप में कहीं न कहीं काम कर चुके हैं. घर लौटे 3,557 लोग व्यावसायिक चिकित्सक सहायक (ओटी तकनीशियन) रह चुके हैं. 951 लोग दवाखाना सहायक, 690 लोग खून सैंपल कलेक्शन, जांच घर में काम कर चुके हैं, तो 665 सहायक नर्स, 582 मेडिकल जांच घर में तकनीशियन, 558 रेडियोलॉजी तकनीशियन, 481 ब्लड बैंक तकनीशियन, 328 मेडिकल रिकॉर्ड तकनीशियन, 321 ऑपरेशन थियेटर में तकनीशियन, 300 डायलिसिस तकनीशियन और 195 एक्स-रे तकनीशियन भी अपने घर आये हैं, जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में मैनपावर की कमी को दूर कर सकते हैं.

इन क्षेत्रों के कुशल श्रमिक भी लौटे

कई अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले कुशल श्रमिक भी लॉकडाउन के दौरान घर लौटे हैं. इनमें 7,676 सिक्यूरिटी गार्ड, 4450 खुदरा बिक्री सहायक, ब्यूटी वेलनेस सेक्टर से जुड़ी 1,213 ब्यूटी पार्लर सहायक और 2,013 प्लम्बर और कैपिटल गुड्स के क्षेत्र में धातु चतरा से अलमारी, बक्सा आदि बनाने वाले 2,414 लोग अपने घर आये हैं, जिन्हें रोजगार की जरूरत पड़ेगी.

Also Read: झारखंड की कोयला परियोजनाओं में टेरर फंडिंग मामले में हाइकोर्ट का बड़ा फैसला वित्तीय सेवाओं से जुड़े लोग

वित्तीय सेवाओं से जुड़े 1,445 लोग आये हैं. इनमें 1,134 अकाउंटेंट हैं, जबकि 311 लोग टैली के जानकार अकाउंटेंट हैं. इसी तरह आइटी सेक्टर के 2,378 लोग झारखंड आये हैं, जिनमें 1,932 लोग कॉल सेंटर में काम करते थे और 446 लोग आइटी हेल्प डेस्क संचालक के रूप में कहीं न कहीं काम कर रहे थे.

बस, ट्रेन और हवाई जहाज से लाये गये लोग

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि 1 मई, 2020 से 238 स्पेशल ट्रेनें अलग-अलग राज्यों से झारखंड के 6.89 लाख से अधिक लोग अपने घर पहुंचे. इनमें से 4 लाख 12 हजार 357 लोग झारखंड सरकार की मदद से अपने राज्य और अपने घर पहुंचे. झारखंड सरकार की मदद से जो लोग लाये गये, उनमें से 3 लाख 10 हजार 340 लोगों को 238 स्पेशल श्रमिक ट्रेन के माध्यम से लाया गया है. 1 लाख 852 लोगों को बस तथा 1,165 लोगों को हवाई मार्ग से झारखंड लाया गया और फिर उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था की गयी.

कुशल कामगारों को रोजगार दिलायेगी सरकार : आलमगीर आलम

ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि झारखंड सरकार अपने यहां के लोगों का अब देश के किसी भी भाग में शोषण नहीं होने देगी. श्रमिकों को हमने महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से जोड़ा है. बाहर के राज्यों से करीब 7 लाख लोग हमारे यहां लौटे हैं. इनमें करीब 3 लाख कुशल कामगार हैं. ये लोग मनरेगा में काम नहीं करेंगे या ये लोग कहीं मजदूरी नहीं करेंगे. इन्हें इनके हुनर का ही काम देना होगा. इसके लिए सरकार ने तय किया है कि उद्योगपतियों को हम अपने यहां आमंत्रित करेंगे और उन्हें बतायेंगे कि हमारे यहां किस ट्रेड के कितने लोग काम करने लायक हैं.

सरकार उन उद्योगों से समझौता करेगी. इसके जरिये सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि हमारे लोग किसी बिचौलिया की ठगी का शिकार न हों. एमओयू में ही कामगारों के मेहनताना, उनको मिलने वाली सुविधाओं आदि के बारे में स्पष्ट विवरण होगा. इसका फायदा यह होगा कि न तो कंपनी अपने वादे से मुकर पायेगी, न ही कामगार को काम करने में कोई परेशानी होगी. श्री आलम ने कहा कि यह सरकार आम लोगों के भले के लिए कई काम कर रही है. कोरोना का संकट एक बार खत्म हो जाये, तो सरकार पूरी रफ्तार से झारखंड के विकास के लिए काम करेगी.

श्री आलम ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि राज्य में कुछ छोटे-छोटे प्लांट स्थापित हों, जहां लोगों को रोजगार मिले. उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोग गुजरात से लौटे हैं. ये लोग टेक्सटाइल इंडस्ट्री में काम करते थे. राज्य में यदि कोई टेक्सटाइल का कारखाना खुल जाये, तो इन्हें गुजरात जाने की जरूरत नहीं होगी. इसी तरह महाराष्ट्र में झारखंड के लोगों की काफी डिमांड है. हम मुख्यमंत्री से बात करेंगे कि ऐसी शुरुआत झारखंड में भी की जाये, ताकि हमारे लोगों को अपने घर से इतना दूर काम करने के लिए नहीं जाना पड़े.

Posted By : Mithilesh Jha

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