22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड: 6 साल में 365 बच्चों को परिवार ने फेंका, 203 की हो गयी मौत

Jharkhand News, Child Abandonment in Jharkhand: झारखंड में 6 साल में कम से कम 365 बच्चों को जन्म के बाद उन्हें जन्म देने वालों ने और उनके परिजनों ने फेंक दिया. इनमें से 209 बच्चों की मौत हो गयी. स्थानीय लोगों, सामाजिक संगठनों और प्रशासन की मदद से 159 बच्चों की जान बच गयी. इनमें बेटे और बेटियां दोनों हैं. परित्याग का शिकार हुए ऐसे बच्चों की संख्या इससे कहीं अधिक है, लेकिन रिकॉर्ड में अब तक इतने ही मामले सामने आये हैं.

रांची : झारखंड में 6 साल में कम से कम 365 बच्चों को जन्म के बाद उन्हें जन्म देने वालों ने और उनके परिजनों ने फेंक दिया. इनमें से 209 बच्चों की मौत हो गयी. स्थानीय लोगों, सामाजिक संगठनों और प्रशासन की मदद से 159 बच्चों की जान बच गयी. इनमें बेटे और बेटियां दोनों हैं. परित्याग का शिकार हुए ऐसे बच्चों की संख्या इससे कहीं अधिक है, लेकिन रिकॉर्ड में अब तक इतने ही मामले सामने आये हैं.

परित्यक्त शिशुओं को बचाने और उन्हें नया जीवन प्रदान करने के लिए काम करने वाली गैर-सरकारी संस्था पा-लो-ना ने पिछले दिनों एक मीडिया कॉन्क्लेव में ये आंकड़े जारी किये. आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो सबसे ज्यादा 54 बच्चों ने वर्ष 2019 में दम तोड़ दिया. वर्ष 2018 में 48 और वर्ष 2020 में 41 ऐसे नवजात की मौत हुई, जिन्हें जन्म के बाद फेंक दिया गया था. कुछ बच्चों को जीवित फेंक दिया गया, कुछ को मारकर फेंक दिया गया.

सबसे ज्यादा 88 बच्चों को वर्ष 2019 में फेंका गया. इनमें 32 बच्चियां और 37 लड़के थे. जिन शिशुओं की पहचान नहीं हो पायी, उनकी संख्य 19 रही. वर्ष 2019 के आंकड़े बताते हैं कि 32 बच्चियों को फेंक दिया गया, जिसमें से 16 मृत मिलीं. 37 लड़कों में 21 मृत और 16 जीवित मिले. 19 बच्चे ऐसे मिले, जिनके लिंग का पता नहीं चल पाया. इनमें से 2 बच्चे जीवित मिले थे.

Also Read: मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 4474 बच्चों को फेंका गया, 395 भ्रूण हत्या हुई

वर्ष 2015 में कुल 18 बच्चियों का परित्याग कर दिया गया, जिनमें 9 मृत और 9 जीवित मिलीं. 6 लड़कों का परित्याग किया गया, जिसमें 2 मृत और 4 जीवित मिले. 5 मृत बच्चे मिले, जिनके लिंग की पहचान नहीं हो पायी थी. इस तरह इस साल कुल 29 बच्चों को उनके परिवार ने फेंक दिया, जिसमें 16 मृत पाये गये, जबकि 13 जीवित अवस्था में मिले.

वर्ष 2016 में भी 29 लोगों का परित्याग किया गया. इनमें से 10 जीवित मिले थे, जबकि 16 मृत अवस्था में मिले. इस साल 5 लड़कियां मृत मिलीं जबकि 8 जीवित थीं. इस साल किसी लड़के की मौत नहीं हुई. 2 जीवित शिशु मिला. 11 मृत बच्चे मिले, जिनके लिंग की पहचान नहीं हो पायी.

वर्ष 2017 की बात करें, तो कुल 65 बच्चों के परित्याग की जानकारी पा-लो-ना को मिली. इनमें से 28 शिशु मृत मिले और 37 जीवित. इनमें से 37 बेटियां थीं और 25 बेटे. 3 के लिंग का पता नहीं चल पाया. 37 बेटियों में 12 मृत मिलीं, जबकि 25 बेटों में 13 की मौत हो चुकी थी.

Also Read: 15 वर्षों बिना मानदेय के काम कर रहे हैं जिले के 200 चौकीदार-दफादार, भूखे मरने को विवश हैं परिवार के लोग

वर्ष 2018 में परित्यक्त बच्चों की संख्या बढ़कर 82 हो गयी. इनमें से 48 की मौत हो गयी, जबकि 32 जीवित थे. इस साल भी बेटों की तुलना में परित्यक्त बेटियों की संख्या ज्यादा थी. इस साल भी 37 बेटियों को कहीं न कहीं फेंक दिया गया, जिनमें 16 की मौत हो गयी. 34 बेटों का इस साल परित्याग किया गया, जिनमें से 22 की मौत हो गयी. सिर्फ 12 बच्चे ही जीवित मिले. जिन बच्चों की लिंग की पहचान नहीं हो पायी, वैसे परित्यक्त बच्चों की संख्या 19 रही. इनमें 17 की मृत्यु हो गयी.

वर्ष 2019 में बेटियों की तुलना में परित्यक्त बेटों की संख्या अधिक रही. इस साल कुल 37 लड़कों को फेंक दिया गया, जिसमें 21 की मौत हो गयी. 16 जीवित अवस्था में मिले. दूसरी तरफ ऐसी 32 बेटियों में 16 की मौत हो गयी. 19 ऐसे भी बच्चे थे, जिनकी लिंग का पता पा-लो-ना नहीं लगा सकी. इनमें से 17 की मौत हो गयी. इस तरह कुल 88 बच्चों का परित्याग किया गया, जिसमें 54 मृत अवस्था में मिले.

2020 बच्चों को फेंका गया, 41 की हो गयी मौत

वर्ष 2020 में 72 बच्चों के परित्याग का ही रिकॉर्ड मिला, जिसमें 41 की मौत हो गयी. इस साल कुल 35 लड़कियों का परित्याग किया गया, जिसमें 16 की मौत हो गयी. 19 जीवित बचीं. इस साल कुल 25 लड़के का परित्याग किया गया, जिसमें 13 की मौत हो गयी. 12 उन शिशुओं की भी मौत हो गयी, जिनके लिंग का पता नहीं चल पाया.

172 बेटियों और 129 बेटों का हुआ परित्याग

इस तरह 6 साल में कुल 172 लड़कियों और 129 लड़कों का परित्याग किया गया. 64 ऐसे बच्चों को उनके माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों ने मरने के लिए छोड़ दिया, जिनके लिंग की पहचान नहीं हो पायी. इस तरह सिर्फ झारखंड में 6 साल में कुल 365 बच्चों का परित्याग किया गया. यानी हर साल औसतन 61 बच्चों को राज्य के अलग-अलग कोने में मरने के लिए छोड़ दिया जाता है.

Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें