Prabhat Khabar Explainer: भारत में किसानों को अन्नदाता का दर्जा दिया गया है. ये अन्नदाता अब तक भगवान भरोसे ही खेती-बाड़ी करते रहे हैं. धीरे-धीरे कृषि क्षेत्र में बदलाव आने लगा है. कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र में निवेश होने लगे हैं. हाल के वर्षों में कृषि क्षेत्र में होने वाले निवेश में वृद्धि देखी गयी है. सरकार ने भी किसानों को सब्सिडी (Subsidy To Farmers) के साथ-साथ खेती-बाड़ी के लिए उन्हें पीएम किसान सम्मान निधि (PM Kisan Samman Nidhi) के रूप में साल में 6,000 रुपये की दे रही है. इस सेक्टर में निवेश बढ़ने से कृषि क्षेत्र का परिदृश्य बदलने की उम्मीद है. आइए, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह की जयंती (23 दिसंबर), जिसे राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmers Day) के रूप में मनाया जाता है, के अवसर पर जानते हैं कि भारत में कृषि (Agriculture in India) के क्षेत्र में अब निवेश का ट्रेंड (Investment Trend in Agriculture Sector) कैसा है. किस तरह से इस क्षेत्र में निवेश बढ़ रहा है.
भारत में कृषि क्षेत्र में निवेश (Investment in Agriculture) की रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ रही है. पिछले 8 साल में ही इस क्षेत्र में होने वाले निवेश में 56,900 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. वर्ष 2011-12 में 35,700 करोड़ रुपये का निवेश हुआ करता था. वर्ष 2018-19 में यह बढ़कर 92,600 करोड़ रुपये हो गया. वहीं, सब्सिडी (Subsidy to Farmers) की राशि में 50 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है. नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (NITI) आयोग के सदस्य (कृषि) प्रो रमेश चंद ने अपने एक लेक्चर में यह जानकारी दी.
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आजादी का अमृत महोत्सव शृंखला के तहत आयोजित ICAR लेक्चर सीरीज में प्रो रमेश चंद ने भारत के कृषि परिदृश्य पर ‘एग्रिकल्चर इन पोस्ट इंडिपेंडेंट इंडिया: लुकिंग बैक एंड लुकिंग अहेड’ विषयक व्याख्यान दिया था. इसमें उन्होंने कई तथ्य पेश किये. इसमें उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2011-12 में कृषि क्षेत्र में 35,700 करोड़ रुपये का निवेश हुआ करता था.
वर्ष 2012-13 में यह बढ़कर 39,700 करोड़ रुपये हो गया. वर्ष 2013-14 में इसमें ममूली वृद्धि दर्ज की गयी. इस वर्ष निवेश की राशि 40,800 करोड़ रुपये हो गयी, जबकि वर्ष 2014-15 में यह बढ़कर 47,300 करोड़ रुपये हो गया. वर्ष 2015-16 में निवेश की रकम 56,200 करोड़ रुपये, वर्ष 2016-17 में 66,900 करोड़ रुपये, वर्ष 2017-18 में 67,100 करोड़ रुपये हो गयी. वर्ष 2018-19 में इसमें अप्रत्याशित वृद्धि हुई. निवेश की राशि बढ़कर 92,600 करोड़ रुपये हो गयी.
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प्रो रमेश चंद ने कृषि पर दी जाने वाली सब्सिडी के बारे में भी अपने व्याख्यान में बताया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 में सरकार ने 1,51,300 करोड़ रुपये की सब्सिडी किसानों को दी, जो वर्ष 2011-12 में 1,00,500 करोड़ रुपये हुआ करती थी. यह रकम वर्ष 2012-13 में 1,07,600 करोड़ रुपये, वर्ष 2013-14 में 1,03,200 करोड़ रुपये, वर्ष 2014-15 में 1,06,200 करोड़ रुपये, वर्ष 2015-16 में 1,08,100 करोड़ रुपये, वर्ष 2016-17 में 97,600 करोड़ रुपये, वर्ष 2017-18 में 1,27,300 करोड़ रुपये और वर्ष 2018-19 में 1,51,300 करोड़ रुपये हो गयी. बता दें कि सब्सिडी की इस राशि में किसानों को बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी शामिल नहीं है.
2018-19 में किसानों को 1.51 लाख करोड़ की सब्सिडी | |||
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वर्ष | सब्सिडी की राशि | ||
2011-12 | “1 | 00 | 500 करोड़ रुपये” |
2012-13 | “1 | 07 | 600 करोड़ रुपये” |
2013-14 | “1 | 03 | 200 करोड़ रुपये” |
2014-15 | “1 | 06 | 200 करोड़ रुपये” |
2015-16 | “1 | 08 | 100 करोड़ रुपये” |
2016-17 | “97 | 600 करोड़ रुपये” | |
2017-18 | “1 | 27 | 300 करोड़ रुपये” |
2018-19 | “1 | 51 | 300 करोड़ रुपये” |
नीति आयोग के सदस्य प्रो चंद ने बताया कि भारत सरकार कुल जीडीपी का 10 फीसदी से ज्यादा कृषि सब्सिडी पर खर्च करती है. इसमें बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी शामिल है. 2 फीसदी राशि पीएम किसान सम्मान निधि के रूप में किसानों के खाते में सरकार ट्रांसफर करती है. प्रो चंद के मुताबिक, कुल जीडीपी के 2.62 फीसदी के बराबर रकम सरकार कृषि क्षेत्र में निवेश करती है. इस क्षेत्र में निजी एवं कॉर्पोरेट निवेशकों की हिस्सेदारी सिर्फ 1.22 फीसदी है.
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प्रो रमेश चंद के मुताबिक, सरकार ने वर्ष 2018-19 में किसानों को प्रति हेक्टेयर 10,728 रुपये की सब्सिडी दी. सब्सिडी की यह रकम वर्ष 2011-12 में 7,128 रुपये प्रति हेक्टेयर हुआ करती थी. वर्ष 2012-13 में 7,631 रुपये, वर्ष 2013-14 में 7,319 रुपये, वर्ष 2014-15 में 7,532 रुपये, वर्ष 2015-16 में 7,670 रुपये, वर्ष 2016-17 में 6,923 रुपये, वर्ष 2017-18 में 9,029 रुपये और वर्ष 2018-19 में 10,728 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सरकार ने किसानों को सब्सिडी दी.
किसानों को प्रति हेक्टेयर सब्सिडी की राशि | ||
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वर्ष | प्रति हेक्टेयर सब्सिडी की राशि | |
2011-12 | “7 | 128 रुपये” |
2012-13 | “7 | 631 रुपये” |
2013-14 | “7 | 319 रुपये” |
2014-15 | “7 | 532 रुपये” |
2015-16 | “7 | 670 रुपये” |
2016-17 | “6 | 923 रुपये” |
2017-18 | “9 | 029 रुपये” |
2018-19 | “10 | 728 रुपये” |
प्रो रमेश चंद की मानें, तो कृषि क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 20 फीसदी का योगदान देता है. भारत में 40 फीसदी रोजगार कृषि क्षेत्र ही लोगों को देता है. इतना ही नहीं, जनकल्याणकारी योजनाओं को कृषि की मदद से ही लागू किया जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत सालाना 41 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का निर्यात करता है, जबकि 20 बिलियन डॉलर का आयात करता है.
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