बीआइटी मेसरा में अगले डेढ़ माह में ‘फाइव-जी यूज केस लैब’ की स्थापना होगी. लैब का डमी मॉडल स्थापित हो गया है. लैब की स्थापना दूरसंचार विभाग कर रहा है. इसकी घोषणा शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आइएमसी-2023) के उदघाटन सत्र में की. इसके लिए देशभर में फाइव-जी यूज केस लैब की स्थापना को लेकर 100 तकनीकी संस्थानों का चयन किया गया है. इसका उद्देश्य दूरसंचार के लिए फाइव-जी को मजबूती देना है. साथ ही संभावनाओं के लिए फाइव-जी को तकनीकी रूप से दक्ष और अनुसंधान के लिए रिसर्चर को प्रेरित करना है. मुख्य आयोजन में बीआइटी मेसरा के इसीइ विभाग के डॉ संजय कुमार शामिल हुए. वहीं, बीआइटी मेसरा के जीपी बिरला ऑडिटोरियम में आयोजित वीडियो कांफ्रेंसिंग कार्यक्रम में वीसी प्रो डॉइंद्रनील मन्ना, डीन पीजी प्रो निशा गुप्ता, डीन यूजी प्रो वीआर गुप्ता, विभागाध्यक्ष, इसीइ प्रो एसएस सोलंकी, दूरसंचार विभाग के प्रतिनिधि विकाश कुमार और नीलेश कुमार समेत 200 से अधिक विद्यार्थी उपस्थित थे. कार्यक्रम का आयोजन दूरसंचार विभाग (डीओटी) और सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआइ) के सहयोग से हुआ.
5जी से मशीनों के बीच कनेक्टिविटी को मिलेगी मजबूती
फाइव-जी यूज केस लैब के लिए संस्था के इसीइ विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ गजेंद्र कांत मिश्रा और डॉ संजीत कुमार को नोडल अधिकारी बनाया गया है. डॉ गजेंद्र ने बताया कि फोर-जी टेक्नोलॉजी का उद्देश्य मोबाइल-टू-मोबाइल कनेक्टिविटी को बढ़ाना था. अब फाइव-जी को सक्रिय कर इंटरनेट की मदद से मशीनों के बीच की कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने पर जोर दिया जायेगा. लैब का लाभ वैसे प्राध्यापक, शोधकर्ता और छात्रों को मिलेगा जो, कम्युनिकेशन एंड कनेक्टिविटी को मजबूत करने की दिशा में शोध करने के इच्छुक होंगे. वहीं, डॉ संजीत कुमार ने बताया कि यूज केस लैब के जरिये स्मार्ट एग्रीकल्चर, होम केयर और मेडिकल टेक्नोलॉजी से जुड़ी वैसी मशीनें जो इंटरनेट की मदद से सटीक अध्ययन प्राप्त करने में उपयोगी होगी, उनपर भी शोध किया जायेगा. इसका लाभ स्टार्टअप समुदाय को मिलेगा.
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